व्यापारी बोले, जेल जाने से हम नहीं डरते
व्यापारियों के कलक्ट्रेट में धरने से क्षुब्ध डीएम द्वारा व्यापारियों को कथित तौर पर जेल भजने की चेतावनी से व्यथित दिखाई दिए।
मेरठ , जेएनएन। व्यापारियों के कलक्ट्रेट में धरने से क्षुब्ध डीएम द्वारा व्यापारियों को कथित तौर पर जेल भेजने की बात से व्यापारी खासे नाराज हैं। व्यापारी नेताओं का कहना है कि व्यापारी संगठनों का गठन ही व्यापारी उत्पीड़न का विरोध करने के लिए होता है। उत्पीड़न चाहे जो भी कर रहा हो। संगठन विरोध करेगा, फिर भले ही जेल जाना पड़े। हम जेल से नहीं डरते। हालांकि जिलाधिकारी ने शनिवार को स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने जेल भेजने जैसी बात कभी नहीं की।
दक्षिण विधायक सोमेंद्र तोमर का कहना है कि लॉकडाउन दो महीने से ज्यादा समय से चल रहा है लेकिन व्यापारियों ने उसमें प्रशासन का पूरा साथ दिया है। कोई अनुशासनहीनता उन्होंने नहीं की। सभी मेरठ के नागरिक हैं। उन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास है। वे ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे जनपद में संक्रमण का फैलाव हो सके। सरकार और हम व्यापारियों के साथ हैं। हालांकि आज की बैठक के बाद किसी के मन में कोई कटुता नहीं दिखी।
भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश सिघल ने कहा कि आज व्यापारियों और अफसरों के बीच अच्छे माहौल में बात हुई है। व्यापारियों को अपनी बात कहने का अधिकार है। संगठन भी व्यापारियों के साथ खड़ा है। मुझे नहीं लगता कि जिलाधिकारी ने ऐसे शब्दों का प्रयोग किया होगा।
संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने कहा कि दो महीने से व्यापारियों की दुकानें बंद हैं। व्यापारियों के परिवार आर्थिक संकट के शिकार हो रहे हैं। प्रशासन स्पष्ट बात न कर बार बार वार्ता के लिए बुलाता है और नया वादा कर देता है। कोई वादा पूरा नहीं किया गया। आगरा, नोएडा और दिल्ली तीनों ही स्थानों पर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या मेरठ से ज्यादा है लेकिन वहां कुछ बाजार खोला गया है। ताकि देश में आर्थिक गतिविधियां प्रभावित न हों। मेरठ जिला प्रशासन का यह व्यवहार व्यापारियों का उत्पीड़न है जिसका विरोध किया गया। हालांकि आज अच्छे माहौल में वार्ता हुई है लेकिन व्यापारियों को जेल भेजने की धमकी देना अनुचित है। भविष्य में भी यदि व्यापारी उत्पीड़न हुआ तो व्यापारी विरोध करेगा।
दूसरी ओर अरुण वशिष्ठ गुट के संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष अजय गुप्ता ने कहा कि व्यापारी हित में संगठन व्यापारियों के साथ हमेशा खड़ा है। व्यापारियों के साथ अन्याय न हो इसीलिए संगठन का गठन किया जाता है। किसी भी गलत कार्रवाई के विरोध में व्यापारी एकजुट मिलेंगे। जिला प्रशासन की अपनी मजबूरी है लेकिन जेल भेजने की धमकी दिया जाना अनुचित है।
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व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों से हमारी लगातार बातचीत हो रही थी। उन्हें हर बार स्पष्ट बताया गया है कि शहर कंटेनमेंट जोन है, अभी दुकानें नहीं खुलेंगी। सफाई व रखरखाव के लिए समय देने का भी वादा हमने किया था लेकिन व्यापारी धरने पर बैठ गए। यह गलत कदम था। इसका हमने विरोध किया। हमने धारा 144 का हवाला देते हुए फिर कभी धरना करने पर कार्रवाई की बात की थी। जेल भेजने की बात कभी नहीं की।
- अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी।