मेरठ में पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी के घर की कुर्की के लिए पुलिस ने अर्जी की तैयार, जल्द होगी कार्रवाई
Yakub Qureshi News स्वजन संग फरार याकूब कुरैशी पर पुलिस ने शिकंजा कस दिया है। दिन के निर्धारित समय से पहले इसलिए जरूरी है याकूब के घर की कुर्की। याकूब के बेटे इमरान और फिरोज को भी पुलिस की टीमें ढूंढ नहीं पा रही।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Yakub Qureshi News मेरठ में पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी के घर से सामान निकालने का आधार बनाकर पुलिस ने कुर्की की अर्जी तैयार कर ली है। दरअसल, कुर्की का नोटिस चस्पा करने के बाद कुर्की के लिए तीस दिन का समय होता है, जब तक समय पूरा होगा। तब तक रिश्तेदार याकूब के घर को पूरा खाली कर देंगे। यही कारण है कि पुलिस कोर्ट से कुर्की की अनुमति लेकर संपत्ति को कब्जे में लेगी। पुलिस ने याकूब की सभी संपत्ति को चिन्हित कर लिया है।
पांच करोड़ की कीमत का पकड़ा गया था मीट
31 मार्च को पुलिस और प्रशासन की टीम ने हापुड रोड स्थित मीट फैक्ट्री में छापामारी कर करीब पांच करोड़ कीमत का मीट पकड़ा था। मीट अभी भी फैक्ट्री के अंदर फ्रीज में रखा हुआ है। पुलिस ने इस मामले में याकूब कुरैशी, उनकी पत्नी शमजिदा, बेटा फिरोज और इमरान समेत 17 आरोपित बनाए है। याकूब कुरैशी, इमरान और फिरोज ने अग्रिम जमानत पर 23 मई की डेट लगा रखी है। हालांकि पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए याकूब के करीबियों पर नजर रख रही है।
कुर्की की अर्जी तैयार
पुलिस को याकूब की जयपुर में होने की जानकारी मिली थी, जिसके आधार पर पुलिस की एक टीम को जयपुर के लिए भेजा गया है। एएसपी केशव कुमार का कहना है कि पुलिस ने कुर्की की अर्जी तैयार कर ली है। याकूब और परिवार की गिरफ्तारी नहीं होने पर पुलिस कुर्की की कार्रवाई करने जा रही है। पुलिस ने याकूब की सभी संपत्ति भी चिन्हत कर ली है। उसके अलावा याकूब के परिवार पर भी नजर रखी जा रही है। उसके मददगारों पर भी पुलिस कार्रवाई करने जा रही है।
याकूब कुरैशी के बेटों व उनकी मीट कंपनी के खिलाफ परिवाद दाखिल
मेरठ : पशु वधशाला अल फहीम स्लाटर हाउस के खिलाफ गुरुवार को लखनऊ की सीबीआइ/प्रदूषण की विशेष अदालत में परिवाद दाखिल किया गया। इस परिवाद में स्लाटर हाउस के प्रबंध निदेशक मो. इमरान कुरैशी व निदेशक मो. फिरोज कुरैशी को भी अभियुक्त बनाया गया है। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट यशा शर्मा ने परिवाद को दर्ज रजिस्टर करने का आदेश दिया है। गुरुवार को अदालत के समक्ष उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से यह परिवाद दाखिल किया गया।
बिना सहमति के स्लाटर हाउस
विधि अधिकारी एके चौबे के मुताबिक वर्ष 2019 में मेरठ विकास प्राधिकरण ने इस स्लाटर हाउस को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन जब बोर्ड द्वारा गठित टीम ने निरीक्षण किया तो बिना सहमति के स्लाटर हाउस चलता हुआ पाया गया। इस जांच में स्लाटर हाउस से निकलने वाले पानी का नमूना भी प्रदूषित पाया गया। मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी।