वाह क्या शॉट दिया! बोलते ही खूब खिंचवाते थे फोटो
दिलों पर राज करने वाले फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर के निधन से हर कोई दुखी है तो मेरठ की भी आंखें नम हैं। वैसे तो उनका मेरठ से सीधा नाता नहीं था पर उनका परिवार जरूर यहीं से ताल्लुक रखता था। पृथ्वीराज कपूर के नाटक का मंचन यहां हुआ। राजकपूर की मां भी मेरठ की ही थीं।
मेरठ, जेएनएन। दिलों पर राज करने वाले फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर के निधन से हर कोई दुखी है तो मेरठ की भी आंखें नम हैं। वैसे तो उनका मेरठ से सीधा नाता नहीं था पर उनका परिवार जरूर यहीं से ताल्लुक रखता था। पृथ्वीराज कपूर के नाटक का मंचन यहां हुआ। राजकपूर की मां भी मेरठ की ही थीं। यही नहीं ऋषि कपूर की पत्नी नीतू सिंह की प्रारंभिक शिक्षा यहीं से हुई। ऋषि कपूर से मिल चुके यहां के सिनेमा जगत के लोग उन्हें याद कर रहे हैं। यादें साझा करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मूडी थे ऋषि कपूर, खुश करना आसान नहीं था
ऋषि कपूर मूडी स्टार थे। उनकी बेहतरीन फोटो खींच पाना आसान नहीं होता था। कभी भी गुस्सा हो जाते थे, जबकि अच्छी फोटो खींचने का दबाव रहता था। इंसान भी अच्छे थे इसलिए मुझे हार नहीं माननी थी। एक दिन मैंने उत्साह में आकर बोल दिया 'वाह क्या शॉट दिया'। मुझे लगा अब तो सेट पर फोटोग्राफी करने का रोजगार छिन जाएगा। पर वह तो इतना कहते ही खुश हो गए थे। खुद ही अलग-अलग एंगल से फोटो खींचने को बोलने लगे। यह मंत्र हाथ लग गया था उन्हें खुश करने का। उन्हें खुश करके फोटो लेना सबके लिए आसान नहीं था। पर मैंने अब यह मंत्र हर सेट पर आजमाना शुरू कर दिया। 1980 में फिल्म कर्ज के सेट पर फोटोग्राफी की। 1982 में फिल्म प्रेम रोग में फोटोग्राफी की। दिल्ली के प्रगति मैदान में चांदनी फिल्म की शूटिंग हुई थी। उस दौरान भी फोटो खींचने का मौका मिला। ऐसे बेहतरीन कलाकार को खोने का दुख हमेशा रहेगा।
-ज्ञान दीक्षित, दादा साहब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड से सम्मानित फिल्म फोटोग्राफर याददाश्त गजब की थी, मुझे दोबारा पहचान गए थे
मेरी मुलाकात ऋषि कपूर साहब से दिल्ली में हुई थी। उनकी खुद के प्रोडक्शन की फिल्म 'आ अब लौट चलें' का प्रीमियर था। वह उन सभी लोगों से मिले थे जिन्हें बुलाया गया था। कुछ समय बाद उनसे फिर मिलना हुआ तो वह फौरन पहचान गए। बहुत अच्छी बातें करते थे। उनकी लगभग सभी फिल्में मेरे सिनेमाहॉल में चली थीं। प्रेमग्रंथ, बॉबी, राम तेरी गंगा मैली, दीवाना, आ अब लौट चलें जैसी फिल्मों का जबरदस्त क्रेज रहता था। ऐसे संजीदा कलाकार और इंसान के खो देने से दुख हुआ है। वह मेरठ तो नहीं आए, लेकिन उनके परिवार का मेरठ से तो नाता रहा है। वह हमेशा दिल के करीब रहेंगे। यह शब्द हैं देवेश त्यागी के। देवेश के नंदन सिनेमाहॉल में उनकी फिल्में देखने को भीड़ उमड़ा करती थी। इसी तरह से निशात सिनेमा के संचालक दीपक सेठ भी उनके अभिनय के मुरीद हैं। उनका कहना है कि वह भी 'आ अब लौट चलें' के प्रीमियर पर गए थे। कहते हैं यह दुखद है ऐसे मजे हुए कलाकार का हमारे बीच से चले जाना। ऋषि कपूर की तो यहां ननिहाल थी। पृथ्वीराज कपूर और राजकपूर यहां कई बार आए। ऋषि कपूर को फिल्म में माला पहनाते ही उछल पड़े थे दर्शक
अप्सरा सिनेमा का वह दिन सबसे यादगार है जब अमर-अकबर-एंथनी फिल्म चल रही थी। एक सीन में जब अमिताभ बच्चन स्टेज पर पहुंचकर ऋषि कपूर को माला पहनाते हैं तब सभी दर्शक खड़े हो गए थे। कुछ दर्शक पर्दे की ओर बढ़कर पैर छूने पहुंच गए थे। वह जमाना भावनाओं का था। उनकी 'दीवाना' फिल्म में तो खूब सीटियां बजी थीं। लैला मजनू, बॉबी जैसी फिल्मों का बड़ा क्रेज रहा। अन्य फिल्में भी जबरदस्त भीड़ एकत्र करती थीं। एक तरह से वह रोमांस के असली बादशाह थे। मेरे परिवार से उनके परिवार का गहरा नाता रहा है। अप्सरा सिनेमा का पहले नाम था। नॉवेल्टी और उससे पहले यही आनंद हॉल हुआ करता था जिसमें पृथ्वीराज कपूर के थियेटर होते थे। पृथ्वीराज कपूर, राजकपूर आदि उनके घर पर ही रुकते थे।
-अनुपम गुप्ता, अप्सरा सिनेमा हॉल के संचालक