Women Empowerment: मुश्किल हालातों से लड़कर ऐसे पाया मुकाम, मेरठ की संगीता के आगे नतमस्तक हो गई हर चुनौती
Women Empowerment निरंतर संघर्ष कर जेआरएफ उत्तीर्ण संगीता आज बनी हैं परिवार का सहारा। बेहद मुश्किल हालातों का सामना करते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है। एमफिल में गोल्ड मेडलिस्ट संगीता परिवार के अन्य सदस्यों का भी ध्यान रख रही हैं।
ओम बाजपेयी, मेरठ। Women Empowerment पिता के असमय गुजरने से परिवार पर गरीबी के काले बादल छा गए थे। उस समय परिवार में सबसे छोटी संगीता के लिए मुश्किल समय था। तमाम समस्याओं और चुनौतियों के बावजूद संगीता ने शिक्षा की डगर पकड़कर जीवन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की। आज वह अपने पैरों पर खड़ी हैं। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एमफिल में गोल्ड मेडलिस्ट संगीता आज परिवार के सदस्यों की जिंदगी में चमक बिखेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
ऐसे हालातों से सामना
बुलंदशहर के पिछड़े गांव भड़कउ की रहने वाली संगीता सोलंकी के पिता रघुराज सिंह का निधन तब हो गया था जब वह नौ वर्ष की थीं। तब स्कूल की फीस व कापी-किताब का इंतजाम करना मां के बस में नहीं था। दोनों भाई बड़े थे। परिवार के पालन पोषण के लिए उनका पढऩा जरूरी था। इसके लिए बहनों की पढ़ाई छुड़ाने का दबाव बढ़ा। पर संगीता ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए खेतों के काम में मां का हाथ बंटाना शुरू कर दिया। इंटरमीडिएट गांव में पूरी हो गई। बीए और एमए भी प्राइवेट किया। हाईस्कूल से लेकर बीएड तक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने वाली संगीता पर एमए के बाद परिवार वालों ने विवाह का दबाव बनाना शुरू कर दिया। रिश्तेदारों ने भी कहा कि बड़ी बहन की शादी हो गई है।
बातें बनाते थे लोग
संगीता ने बताया कि गांव के आसपास 25 किलोमीटर तक कोई महाविद्यालय नहीं है। बुलंदशहर से बीएड करने के दौरान बस से आती-जाती थी। कई लोग ताने देते थे कि रात आठ बजे लौटती है, कौनसी पढ़ाई कर रही है।
ट्यूशन पढ़ाकर चलाया खर्च
मेरठ में किराए पर कमरा लेकर संगीता ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को हिंदी व्याकरण पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला। एमफिल में गोल्ड मेडल हासिल किया। लगनशील संगीता ने इसके बाद नेट और जेआरएफ उत्तीर्ण कर लिया। वर्तमान में वे एनएएस कालेज से डा. प्रज्ञा पाठक के निर्देशन में शोध कर रहीं हैं।
परिवार और अपने जैसी अन्य लड़कियों के लिए सहारा
संगीता को फेलोशिप में जितना पैसा मिलता है, उससे वह परिवार को भी सहारा दे रहीं हैं। इससे गांव की अन्य लड़कियों का मनोबल बढ़ा है। संगीता अपने जैसे परिवार से आने वाली पांच लड़कियों को मेरठ में शिक्षा ग्रहण करने में मदद करती हैं। एनएएस कालेज के हिंदी विभाग की शोध छात्रा संगीता का नाम वर्तमान टीजीटी की प्रतीक्षा सूची में है, साथ ही वे असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं।