सरूरपुर में चढ़ रहा अवैध शराब का सुरूर, महिलाएं कर रहीं ये गंदा काम
मेरठ का सरूरपुर गांव अवैध शराब का अड्डा बन चुका है। यहां महिलाएं और बच्चें भी घर में शराब बेच रहे हैं। क्षेत्र के कई गांवाेें में हरियाणा से तस्करी कर लाई जा रही है अवैध शराब।
By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 12:25 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 12:25 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। पुलिस व आबकारी विभाग की नाक तले क्षेत्र के दर्जनों गांव तस्करी की शराब का अड्डा बन चुके हैं। क्षेत्र में हरियाणा से तस्करी कर लाई जा रही शराब धड़ल्ले से बेची जा रही है। कई बार दबिश में शराब भी बरामद हुई, लेकिन आरोपितों पर कार्रवाई के नाम पर खानापूरी से ज्यादा कुछ नहीं हो सका। हाल यह है कि युवकों के साथ महिलाएं और बच्चे भी घर में शराब की बिक्री कर रहे हैं। कम कीमत की शराब के नाम पर जहर खरीदकर गरीब-मजदूर अपना शौक पूरा कर रहे हैं।
यहां लाई जाती है तस्करी कर शराब
क्षेत्र के करनावल, मैनापूठी, नारंगपुर, पाथौली, सरूरपुर, हर्रा, पांचली बुजुर्ग, खिवाई, कक्केपुर, गोटका, रामपुर मोती, डाहर, पांचली, रासना, फतेहपुर सहित दर्जनों गांवों में हरियाणा से तस्करी करके लाई शराब बेची जाती है। पूर्व में की गई कार्रवाई इसका प्रमाण हैं।
सफेदपोश भी शामिल
तस्करी की शराब पीने से बीते चार साल में कई मौत हो चुकी हैं लेकिन आबकारी विभाग ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। शराब तस्करी के खेल में कई सफेदपोश भी शामिल हैं, जो पुलिस व तस्करों के बीच मध्यस्थ की भमिका निभाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तस्कर जरूरत के हिसाब से शराब का भंडारण करते हैं। घरों के साथ-साथ खेतों और नलकूपों पर भी स्टाक रखते हैं। जरूरत के हिसाब से शराब निकालकर बेच दी जाती है।
इन्होंने बताया
गांवों में तस्करी की शराब बिकने की जानकारी नहीं है। अगर किसी के पास कोई सूचना है तो वह विभाग से साझा करे। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रख तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- आलोक कुमार, जिला आबकारी अधिकारी
यहां लाई जाती है तस्करी कर शराब
क्षेत्र के करनावल, मैनापूठी, नारंगपुर, पाथौली, सरूरपुर, हर्रा, पांचली बुजुर्ग, खिवाई, कक्केपुर, गोटका, रामपुर मोती, डाहर, पांचली, रासना, फतेहपुर सहित दर्जनों गांवों में हरियाणा से तस्करी करके लाई शराब बेची जाती है। पूर्व में की गई कार्रवाई इसका प्रमाण हैं।
सफेदपोश भी शामिल
तस्करी की शराब पीने से बीते चार साल में कई मौत हो चुकी हैं लेकिन आबकारी विभाग ने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। शराब तस्करी के खेल में कई सफेदपोश भी शामिल हैं, जो पुलिस व तस्करों के बीच मध्यस्थ की भमिका निभाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तस्कर जरूरत के हिसाब से शराब का भंडारण करते हैं। घरों के साथ-साथ खेतों और नलकूपों पर भी स्टाक रखते हैं। जरूरत के हिसाब से शराब निकालकर बेच दी जाती है।
इन्होंने बताया
गांवों में तस्करी की शराब बिकने की जानकारी नहीं है। अगर किसी के पास कोई सूचना है तो वह विभाग से साझा करे। सूचना देने वाले का नाम गोपनीय रख तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- आलोक कुमार, जिला आबकारी अधिकारी
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