LokSabha Election 2019 : क्या सपा-बसपा के वोटर भी करेंगे ‘गठबंधन’
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच हुए गठबंधन के बाद अब सवाल यह उठता है कि क्या दोनों पार्टियों के वोटर भी एक दूसरे के साथ गठबंधन करेंगे।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 30 Mar 2019 03:15 PM (IST)Updated: Sat, 30 Mar 2019 03:15 PM (IST)
मेरठ, [प्रदीप द्विवेदी]। सपा-बसपा व रालोद ने जिन राजनीतिक समीकरणों की वजह से गठबंधन किया है, क्या इनके वोटर भी इसी तरह एकजुट हो पाएंगे। यह सवाल राजनीतिक गलियारों में शिद्दत से तैर रहा है। दल की नीति के साथ ही प्रत्याशी की छवि को भी मतदाता तराजू पर तौलते हैं। देखना यह होगा कि वोटर राजनीतिक दल के नेता की मंशा समझकर वोट करता है या नहीं।
भाजपा को हराना है मकसद
सपा व बसपा गठबंधन के पीछे सामान्य-सा एक कारण यह भी है कि दोनों दलों के वोट ट्रांसफर हों तो भाजपा को हराया जा सकता है। इस गणित में दम भी है। काफी सीट ऐसी हैं जहां दोनों के वोट मिलाकर गठबंधन हजार-दो हजार नहीं बल्कि एक लाख तक के अंतर से आगे निकल जाएगा। रालोद के आने से गठबंधन के मतों का योग और उछाल ले रहा है। पर कुछ सीट ऐसी हैं जहां तीनों को मिलाकर भी सत्ताधारी दल के पिछले प्रदर्शन से काफी पीछे छूट रहे हैं।
अपना वोटर कैसे माने
सपा-बसपा अलग-अलग समय पर बेहतर प्रदर्शन से सत्ता हासिल कर चुके हैं,तो कई बार संतोषजनक अंकों के लिए भी तरसे हैं। दोनों दल 2014 व 2017 में भाजपा के पक्ष में बहुमत भी देख चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदाता समय-समय पर किस तरह इधर से उधर होते हैं यह दोनों दल जानते हैं। कोई दल पूरी तरह से किसी जाति विशेष को अपना ही वोटर माने यह भी आज के समय में नासमझी ही कही जाएगी।
लोकसभा चुनाव 2014 का प्रदर्शन
बिजनौर सीट
भाजपा : 4 लाख 86 हजार 913
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा-रालोद): 5 लाख 35 हजार 611
मुजफ्फरनगर सीट
भाजपा : 6 लाख 53 हजार 391
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा): 4 लाख 13 हजार 51
कैराना सीट
भाजपा : 5 लाख 65 हजार 909
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा-रालोद): 5 लाख 32 हजार 201
सहारनपुर सीट
भाजपा : 4 लाख 72 हजार 999
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा): 2 लाख 87 हजार 798
मेरठ-हापुड़ सीट
भाजपा : 5 लाख 32 हजार 981
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा): 5 लाख 12 हजार 414
बागपत सीट
भाजपा : 4 लाख 23 हजार 475
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा-रालोद): 5 लाख 54 हजार 868
भाजपा को हराना है मकसद
सपा व बसपा गठबंधन के पीछे सामान्य-सा एक कारण यह भी है कि दोनों दलों के वोट ट्रांसफर हों तो भाजपा को हराया जा सकता है। इस गणित में दम भी है। काफी सीट ऐसी हैं जहां दोनों के वोट मिलाकर गठबंधन हजार-दो हजार नहीं बल्कि एक लाख तक के अंतर से आगे निकल जाएगा। रालोद के आने से गठबंधन के मतों का योग और उछाल ले रहा है। पर कुछ सीट ऐसी हैं जहां तीनों को मिलाकर भी सत्ताधारी दल के पिछले प्रदर्शन से काफी पीछे छूट रहे हैं।
अपना वोटर कैसे माने
सपा-बसपा अलग-अलग समय पर बेहतर प्रदर्शन से सत्ता हासिल कर चुके हैं,तो कई बार संतोषजनक अंकों के लिए भी तरसे हैं। दोनों दल 2014 व 2017 में भाजपा के पक्ष में बहुमत भी देख चुके हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मतदाता समय-समय पर किस तरह इधर से उधर होते हैं यह दोनों दल जानते हैं। कोई दल पूरी तरह से किसी जाति विशेष को अपना ही वोटर माने यह भी आज के समय में नासमझी ही कही जाएगी।
लोकसभा चुनाव 2014 का प्रदर्शन
बिजनौर सीट
भाजपा : 4 लाख 86 हजार 913
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा-रालोद): 5 लाख 35 हजार 611
मुजफ्फरनगर सीट
भाजपा : 6 लाख 53 हजार 391
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा): 4 लाख 13 हजार 51
कैराना सीट
भाजपा : 5 लाख 65 हजार 909
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा-रालोद): 5 लाख 32 हजार 201
सहारनपुर सीट
भाजपा : 4 लाख 72 हजार 999
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा): 2 लाख 87 हजार 798
मेरठ-हापुड़ सीट
भाजपा : 5 लाख 32 हजार 981
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा): 5 लाख 12 हजार 414
बागपत सीट
भाजपा : 4 लाख 23 हजार 475
गठबंधन का जोड़ (सपा-बसपा-रालोद): 5 लाख 54 हजार 868
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