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कर्ज तो चुका दूंगी, पति को कुछ हो गया तो क्या करूंगी

मेडिकल कालेज में एक सप्ताह पहले भर्ती के लिए जगह न मिल पाने के कारण निजी अस्पत

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 12:15 AM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 12:15 AM (IST)
कर्ज तो चुका दूंगी, पति को कुछ हो गया तो क्या करूंगी

मेरठ,जेएनएन। मेडिकल कालेज में एक सप्ताह पहले भर्ती के लिए जगह न मिल पाने के कारण निजी अस्पतालों के चक्कर काटते हुए योगेश की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। निजी अस्पतालों का मोटा बिल चुकाने के लिए पत्नी अंजू को उधार लेना पड़ा। वह कहती हैं कि उनकी एक ही इच्छा है कि उनके पति ठीक होकर उनके साथ घर चलें। इलाज के लिए लिया गया कर्ज तो वह पति के साथ मिलकर बाद में भी चुका देंगी, लेकिन पति को कुछ हो गया तो क्या करेंगी। यह कहते हुए अंजू की आंखें नम हो गई। आस लेकर कहती हैं कि मेडिकल में भर्ती होने पर उनके पति ठीक हो जाएंगे।

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भर्ती के लिए कतार में दिखे मरीज

मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड के सामने सबकुछ सामान्य दिखने के बाद भी पीछे वार्ड में भर्ती होने के लिए एक साथ पांच मरीजों को घंटाभर से ज्यादा इंतजार करना पड़ा। शुक्रवार को दोपहर एक से दो बजे के बीच कोविड वार्ड के दरवाजे पर तीन सरकारी एंबुलेंस, एक निजी एंबुलेंस में मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। वहीं एक और मरीज को दूसरे वार्ड से ट्रांसफर कर कोविड वार्ड में भर्ती करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही थी। इंतजार करने वाले मरीजों में ऐसे भी थे, जिन्हें इससे पहले मेडिकल में भर्ती करने से मना कर दिया गया था। उन्हें कुछ दिनों तक निजी अस्पतालों के चक्कर काटते हुए कर्ज लेकर मोटा बिल चुकाना पड़ा और अंत में वापस मेडिकल में भर्ती किया गया।

पहले ही भर्ती हो गए होते तो हालत ठीक होती

सरधना के योगेश पुत्र राजपाल को एक सप्ताह पहले भी मेडिकल कालेज में भर्ती कराने को लाया गया था। उस दिन मेडिकल में आक्सीजन की किल्लत बताकर भर्ती करने से इन्कार कर दिया गया। योगेश की पत्नी अंजू के अनुसार उस दिन वह फिर भी अपने पैरों पर खड़े थे। आक्सीजन की थोड़ी समस्या थी, इसीलिए एंबुलेंस में आक्सीजन लगाकर लाए थे। भर्ती न हो पाने पर एंबुलेंस चालक भी आक्सीजन नहीं होने की बात कहते हुए मरीज व स्वजन को मेडिकल में ही छोड़कर चला गया। अंजू स्वजन की मदद से स्कूटी से पति को वापस ले गईं और कर्ज लेकर निजी अस्पताल में भर्ती कराया। योगेश के स्वजन के अनुसार उसी दिन उन्हें भर्ती कर लिया जाता तो अब तक उनकी हालत में सुधार हो सकता था।

बिल मोटा, इलाज शून्य

योगेश को सबसे पहले तीन मई को बुखार की शिकायत हुई। उन्हें सरधना के चिकित्सा केंद्र पर ले जाया गया। वहां से बाद में प्यारेलाल के लिए रेफर कर दिया गया। प्यारेलाल पहुंचने पर वहां से भी मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया। मेडिकल में पहुंचने पर भी भर्ती नहीं किया गया तो किसी तरह रुपये का इंतजाम कर अंजू योगेश को अभिराम अस्पताल ले गई। यहां कोई आराम नहीं मिलने पर न्यू सूर्या अस्पताल ले गए, जहां इलाज मिलने के बाद भी मरीज की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। शुक्रवार को वहां 38 हजार रुपये अस्पताल का खर्च और 28 हजार रुपये दवाओं का बिल भुगतान कर मेडिकल लेकर पहुंचे।


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