नौचंदी मैदान का मालिक कौन है, कमिश्नर ने बैठाई जांच
राजकीय मेले का रूप लेने वाले नौचंदी मैदान की जमीन की स्थिति स्पष्ट न होने से कई बड़े प्रोजेक्ट अटक गए हैं। मालिकाना हक को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं, आयुक्त ने बैठाई जांच।
By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 12:02 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 12:02 PM (IST)
मेरठ (नवनीत शर्मा)। देश-विदेश में भाईचारे और सौहार्द की मिसाल के रूप में विख्यात नौचंदी मेला अब राजकीय मेले का रूप ले रहा है। लेकिन मेले की जमीन का मालिक कौन है, अभी भी राज बन हुआ है। मैदान के मालिक की तलाश न होने के कारण कई बड़े प्रोजेक्ट भी फाइलों से बाहर नहीं निकल सके और मैदान की करोड़ों की जमीन पर भी अवैध कब्जा हो गया। अब आयुक्त ने टीम गठित कर मैदान के मालिक की तलाश शुरू कराई है। प्रदेश सरकार ने नौचंदी मेले को राजकीय मेले का दर्जा देने की कवायद शुरू की है। राजकीय मेला घोषित होते ही मेले की चमक काफी बढ़ जाएगी। लेकिन असल समस्या नौचंदी मैदान के मालिक को लेकर शुरू हुई है। अभी तक जिला पंचायत और नगर निगम मैदान की भूमि पर अपना कब्जा बताते हुए उलझते रहे हैं, तमाम प्रयासों के बाद भी स्थिति अस्पष्ट ही रही। पिछले दिनों आयुक्त अनीता सी मेश्राम ने मैदान की खाली भूमि पर बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए निगम और जिला पंचायत से रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट में भी मैदान के असल मालिक की स्थिति स्पष्ट नहीं है। मैदान का मालिक तय नहीं होने से अब फिर से प्रोजेक्ट पर संकट के बादल छाने की आशंका को देखते हुए आयुक्त ने डीएम की अध्यक्षता में एक टीम गठित कर मालिक की तलाश शुरू कराने के आदेश जारी कर दिए हैं।
जमीन के टुकड़ों में खो गई सच्चाई
नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक सन् 1892 में करीब 11 बीघा जमीन नौचंदी मैदान के लिए लीज पर दी गई थी। इस जमीन के पास ही नजूल के साथ जिला पंचायत और बंजर में दर्ज भूमि के बड़े टुकड़े थे। कुल मिलाकर करीब दो लाख वर्ग मीटर से अधिक भूमि नौचंदी मैदान के हिस्से में थी। विभिन्न प्रकृति और स्वामित्व में बटी भूमि के कारण ही सौ साल से अधिक समय बीतने के बाद भी मालिक तय नहीं हो सका।
50 हजार वर्ग मीटर भूमि पर हुआ कब्जा
मैदान का स्वामित्व विवाद हल न होने के कारण करीब 50 हजार वर्ग मीटर भूमि पर अवैध कब्जा भी हो चुका है। पूर्व आयुक्त डा. प्रभात कुमार ने भूमि को कब्जा मुक्त कराकर मैदान की चहारदीवारी कराने का आदेश दिया, लेकिन बाद में तमाम विवादों के कारण जमीन कब्जा मुक्त नहीं हो सकी।
सिर्फ मेला आयोजन पर है ध्यान
नगर निगम और जिला पंचायत मैदान पर लगने वाले नौचंदी मेले के आयोजन तक ही सिमटे हुए हैं। एक वर्ष निगम तो, अगले वर्ष जिला पंचायत मैदान पर मेला लगाता है। इसके बाद मैदान को लावारिश छोड़ दिया जाता है।
इन्होंने कहा--
नौचंदी मैदान पर कुछ नया करने की तैयारी है, लेकिन जमीन और मैदान के मालिक की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हो सका है। मैदान के स्वामित्व की स्थिति साफ करने के लिए टीम गठित की गई है।
-अनीता सी मेश्राम, आयुक्त
जमीन के टुकड़ों में खो गई सच्चाई
नगर निगम के रिकार्ड के मुताबिक सन् 1892 में करीब 11 बीघा जमीन नौचंदी मैदान के लिए लीज पर दी गई थी। इस जमीन के पास ही नजूल के साथ जिला पंचायत और बंजर में दर्ज भूमि के बड़े टुकड़े थे। कुल मिलाकर करीब दो लाख वर्ग मीटर से अधिक भूमि नौचंदी मैदान के हिस्से में थी। विभिन्न प्रकृति और स्वामित्व में बटी भूमि के कारण ही सौ साल से अधिक समय बीतने के बाद भी मालिक तय नहीं हो सका।
50 हजार वर्ग मीटर भूमि पर हुआ कब्जा
मैदान का स्वामित्व विवाद हल न होने के कारण करीब 50 हजार वर्ग मीटर भूमि पर अवैध कब्जा भी हो चुका है। पूर्व आयुक्त डा. प्रभात कुमार ने भूमि को कब्जा मुक्त कराकर मैदान की चहारदीवारी कराने का आदेश दिया, लेकिन बाद में तमाम विवादों के कारण जमीन कब्जा मुक्त नहीं हो सकी।
सिर्फ मेला आयोजन पर है ध्यान
नगर निगम और जिला पंचायत मैदान पर लगने वाले नौचंदी मेले के आयोजन तक ही सिमटे हुए हैं। एक वर्ष निगम तो, अगले वर्ष जिला पंचायत मैदान पर मेला लगाता है। इसके बाद मैदान को लावारिश छोड़ दिया जाता है।
इन्होंने कहा--
नौचंदी मैदान पर कुछ नया करने की तैयारी है, लेकिन जमीन और मैदान के मालिक की स्थिति स्पष्ट न होने के कारण प्रोजेक्ट पर काम शुरू नहीं हो सका है। मैदान के स्वामित्व की स्थिति साफ करने के लिए टीम गठित की गई है।
-अनीता सी मेश्राम, आयुक्त
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