Weather Update : सावन में बरसे भादो में तरसे, जानिए ऐसा क्यों Meerut News
अंग्रेजी के माह के हिसाब से भी अगस्त औसत की तुलना में 13 प्रतिशत कम बारिश के साथ समाप्त हुआ है। जबकि शनिवार की रात से शुरू हुई बारिश ने मौसम को सुहावना बना दिया।
मेरठ, [ओम बाजपेयी]। सावन में अच्छी बारिश देने वाला मानसून भादों में मायूस कर रहा है। सावन में अब तक हुई कुल बारिश 60 प्रतिशत पानी बरसा है। वहीं भादो के पहले पखवाड़े में 98.4 एमएम बारिश हुई है। अंग्रेजी के माह के हिसाब से भी अगस्त औसत की तुलना में 13 प्रतिशत कम बारिश के साथ समाप्त हुआ है। हालांकि शनिवार की आधी रात के बाद से रविवार की सुबह तक वेस्ट यूपी के कई हिस्सों में बारिश हुई। रविवार की सुबह से मौसम सुहावना बना हुआ है।
क्षेत्र के हिसाब से गिरा पानी
उत्तर भारत में सावन और भादो अच्छी बारिश के माह माने जाते हैं। 16 अगस्त से भादो आरंभ हो गया है। तब से अब तक 98.4 मिमी बारिश हुई है। शनिवार को हुई बारिश भी दिल्ली और पुराने शहर में ही सीमित रही। गंगानगर, शास्त्रीनगर और रुड़की रोड में नाम मात्र को बारिश हुई। मोदीपुरम में 1.2 और विश्वविद्यालय परिसर में 0.3 मिमी बारिश दर्ज की गई। दिल्ली रोड और खैरनगर में अच्छी बारिश से सड़कों पर पानी भर गया। भादो में जोरदार बारिश एक आध मौकों पर देखने को मिली है। इसके पहले 17 जुलाई से आरंभ हुए सावन में मानसूनी बारिश से जनपद सराबोर रहा। 15 अगस्त 336.3 मिमी पानी बरसा है। जो अब तक हुई कुल मानसूनी बारिश का 60 प्रतिशत है। 20 जुलाई को 24 घंटे में इस साल की सर्वाधिक 102.8 मिमी पानी बरसा था।
भादो में दही का सेवन नुकसानदेह
विज्ञान युग के पहले महाकावि घाघ और भड्डरी की रचनाएं ही किसानों और आमजन को मौसम की भविष्यवाणी की तरह प्रयोग होती थीं। सेटलाइट और रडार के युग में भी उनकी रचनाएं प्रासंगिक हैं। ये लोकोक्तियां आज भी सटीक साबित होती हैं।
हिंदू और अंग्रेजी कैलेंडर में अंतर
अंग्रेजी कलेंडर में मानसून सीजन जून से सितंबर तक माना जाता है। हालांकि मेरठ में मानसून की आमद 30 जून को होती है लेकिन जून की बारिश को मानसूनी बारिश में जोड़ते हैं। वहीं हिंदू पंचाग के हिसाब से वर्षा ऋतु के दो माह सावन और भादो होते हैं। भारतीय जलवायु के परिप्रेक्ष्य में यह आज भी प्रासंगिक है।
सावन हर्रे भादो चीत, क्वार मास गुड़ खायउ मीत
सदर बिल्वेश्वर संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा. चिंतामणि जोशी ने घाघ की इस पंक्ति का अर्थ बताते हैं कि सावन में हरड़, भादो में चिरायता नाम का एक झाड़ीदार पौध होता है के पत्ते और क्वार मास में गुड़ का सेवन करना लाभकारी होता है।
बंगाल की खाड़ी में सक्रिय निम्न दबाव असरकारी
कृषि प्रणाली संस्थान के प्रधान मौसम वैज्ञानिक डा. एन सुभाष ने बताया कि मेरठ में भले ही अगस्त में सामान्य से से कम बारिश देखी गई है लेकिन अगर देश के स्तर पर आकलन करें तो जुलाई और अगस्त दोनो माह में अच्छी बारिश देखी गई है। ऐसा पिछले 25 सालों में पहली बार हुआ है। बंगाल की खाड़ी में सक्रिय निम्न दबाव का क्षेत्र का प्रभाव एनसीआर के मौसम को प्रभावित करेगा। इससे शनिवार की तुलना में रविवार को अच्छी बारिश के आसार हैं।
बारिश एक नजर में
सावन (17 जुलाई से 15 अगस्त तक) बारिश - 422.9
भादो 1(6 अगस्त से 31 अगस्त तक) बारिश - 98.4
वर्ष 2019 -मानसून सीजन में अब तक बारिश
माह बारिश हुई औसत बारिश
अगस्त - 229.5 264.0
जुलाई - 330.0 269.0
जून - 002.6 071.2
कुल - 562.1
नोट बारिश की माप मिलीमीटर (मिमी) में है।
भादो में सिर्फ बादली और तपन
भादो माह में तेज उमस भरी गर्मी का सामना जनपदवासी कर रहे हैं। बादल घिर कर आ रहे हैं लेकिन बारिश नहीं हो रही है। 28 अगस्त को अधिकतम तापमान 37.3 डिग्री पहुंच गया था। पिछले 10 वर्ष में यह तीसरा मौका था जब अगस्त में तापमान इतना उच्च स्तर पर पहुंच गया। । अंग्रेजी कलेंडर के हिसाब से जुलाई में औसत की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी। वहीं अगस्त में औसत बारिश 264 है, इस बार 35 मिमी कम पानी बरसा है।
कवि घाघ कहते हैं
चैते गुड़ बैसाखे तेल, जेठे पंथ असाढ़े बेल, सावन साग न भादो दही, क्वार करेला न कातिक मही। ...
ई बारह जो देय बचाय, वहि घर बैद कबौं न जाय।
अर्थात चैत में गुड़, बैसाख में तेल, जेठ में यात्रा, आषाढ़ में बेल, सावन में साग और भादो में दही, क्वार में करेला और कार्तिक में मठ्ठा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। जिस घर में इनसे बचा जाता है, उस घर में वैद्य कभी नहीं आता लोग स्वस्थ्य रहते हैं।