कमजोर सेंसर.. ठिठका फास्टैग सिस्टम
सिवाया टोल प्लाजा की 12 लेन में लगे सेंसर की क्वालिटी बेहद कमजोर है।
मेरठ, जेएनएन: सिवाया टोल प्लाजा की 12 लेन में लगे सेंसर की क्वालिटी बेहद कमजोर है। दो मीटर दूर से भी फास्टैग लगे वाहन सेंसर से ठीक से कनेक्ट नहीं हो रहे हैं। नतीजतन कर्मचारी हैंड मशीन से गाड़ी पर लगे फास्टैग को कनेक्ट करता है। उसके बाद ही तय होता है कि गाड़ी के फास्टैग में बैलेंस है। रिचार्ज नहीं है अथवा ब्लैक लिस्ट हो चुका है। जबकि टोल के मानकों में ऐसे बड़े सेंसर लगने चाहिए, जो करीब पचास मीटर दूर से ही फास्टैग लगे वाहन को कनेक्ट कर सके।
फास्टैग कार्ड की व्यवस्था सरकार ने राहगीरों के समय की बचत, किसी तरह का कोई आरोप न लगने समेत आदि समस्याओं को दूर करने के लिए की थी। मगर, टोल पर लगे सेंसरों की बदहाली देख समस्या निर्बाध बनी है। सेंसर से कनेक्ट होने के बाद उसके नीचे लाल लाइट के डिस्पले स्क्रीन पर संबंधित गाड़ी के फास्टैग की स्थिति दिखनी चाहिए, मगर फास्टैग लेन से निकलने वाली गाड़ियों में से करीब 30 प्रतिशत गाड़ियों के फास्टैग को कनेक्ट करने के लिए कर्मचारी हैंड मशीन का इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि टोल अधिकारियों का मानना है कि सेंसर से जो फास्टैग कनेक्ट हो रहे हैं, उनकी संख्या 93 प्रतिशत और हैंड मशीन से फास्टैग कनेक्ट करने की संख्या मात्र 7 प्रतिशत है। ऐसे में टोल प्लाजा पर खराब सेंसर को समय रहते नहीं बदला गया तो सरकार की फास्टैग कार्ड पर ब्रेक लग सकते हैं।
इनका कहना है
कई सेंसर में कमी पाई गई थी, उनको ठीक कराया गया है। इंजीनियरों से जांच कराकर उसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को दी जाएगी। फास्टैग व्यवस्था बहुत अच्छी चल रही है। 60 प्रतिशत राजस्व फास्टैग और 40 प्रतिशत कैश से ही आ रहा है।
-प्रदीप चौधरी, मैनेजर-क्यूब हाईवे कंपनी।