मेरठ शहर में ठंड के मौसम में भी हो रहा जलभराव, यह कारण आ रहा सामने Meerut News
मेरठ शहर में नाला सफाई में जरा भी एक-दो दिन की लेटलतीफी हुई कि मोहल्लों में जलभराव होते देर नहीं लगती। इन दिनों ठंड का मौसम है लेकिन शहर का ब्रह्मपुरी इलाका जलभराव से जूझ रहा है। मेरठ शहर में नालों का जाल है। नगर निगम को जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
मेरठ, जेएनएन। Waterlogging प्रदेश में इकलौता मेरठ शहर है, जहां 12 महीने नाले उफान पर रहते हैं। नाला सफाई में जरा भी एक-दो दिन की लेटलतीफी हुई कि मोहल्लों में जलभराव होते देर नहीं लगती। इन दिनों ठंड का मौसम है, लेकिन शहर का ब्रह्मपुरी इलाका जलभराव से जूझ रहा है। मेरठ शहर में नालों का जाल है। छोटे-बड़े 350 नाले हैं। जिनमें 14 बड़े नाले जलनिकासी की प्रमुख संरचना में आते हैं। ओडियन, आबूनाला एक, आबूनाला दो, कोटला नाला, मोहनपुरी नाला, पांडव नगर नाला, दिल्ली रोड नाला आदि की सफाई प्रतिदिन करानी पड़ती है। इसकी वजह सिर्फ यह है कि इन नालों में शहर के डेयरियों का गोबर बहाया जाता है। शहर में डेयरियों की संख्या 1500 के ऊपर हैं। कहने को कई सालों से डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। लेकिन सच यही है कि नगर निगम एक भी डेयरी को शहर के बाहर शिफ्ट नहीं करा सका है।
डस्टबिन बन चुके हैं नाले
वहीं, नालों के किनारे रहने वाले लोग, दुकानदार नाले का उपयोग कचरे के डस्टबिन के रूप में करते हैंं। ठंड के मौसम में घरों में पानी की खपत कम हो जाती है। लिहाजा नालों में भी पानी कम पड़ जाता है। ऐसे में गोबर और कचरा मिलकर नालों को जगह-जगह चोक कर देता है। स्थिति ये बन जाती है कि नाले का पानी बैक हो जाता है। नालियां उफनाती हैं और जलभराव की स्थिति बन जाती है।
एक सप्ताह से जूझ रहे मोहल्ले
पिछले एक सप्ताह से ब्रह्मपुरी, जाटव गेट, पूर्वा इलाही बख्श, पूर्वा शेखलाल, भगवतपुरा, माधवनगर में जलभराव की स्थिति इसीलिए बनी हुई है। ओडियन नाला समेत पुलिया-नालियां सब चोक हैं। नाले-नालियों की सफाई से सिर्फ कचरा और गोबर की सिल्ट निकल रही है।
गंदगी फैलाने वालों पर कार्रवाई नहीं
स्वच्छता उपविधि 2018 के तहत नगर निगम में नाले में कचरा डालने और गोबर बहाने पर जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन गंदगी फैलाने वालों यह कार्रवाई नहीं होती है। नालों को कचरा मुक्त करने का कभी अभियान भी नहीं चलाया गया। शहर में गंदगी फैलाने पर जुर्माना लगेगा। मुख्य बाजारों में नोटिस बोर्ड तक नहीं लगे हैं। कभी निगम अधिकारी अभियान चलाकर गंदगी फैलाने वालों को पकड़ने की कार्रवाई नहीं करते। सिर्फ कागजी दिशा-निर्देशों के भरोसे अधिकारी शहर को स्वच्छ सुंदर बनाने का दावा कर रहे हैं।