थोड़ी बारिश में घुटनों तक पानी, दिल्ली रोड की यही कहानी
हर साल बारिश में जलभराव से निपटने की तैयारी पर जुलाई से पहले तीन महीने लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। जनता को भरोसा दिलाया जाता है कि इस बार तो जलभराव नहीं होगा।
मेरठ, जेएनएन : हर साल बारिश में जलभराव से निपटने की तैयारी पर जुलाई से पहले तीन महीने लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं। जनता को भरोसा दिलाया जाता है कि इस बार तो जलभराव नहीं होगा। लेकिन, बरसात में सारे दावे हवाई साबित होते हैं। यही दिल्ली रोड के साथ होता आया है। थोड़ी बारिश में घुटनों भर पानी.. दिल्ली रोड की यह कहानी बन चुकी है।
दिल्ली रोड पर सबसे अधिक जलभराव रामलीला ग्राउंड के सामने, पंजाबी पुरा और शारदा रोड मोड़ के समीप, मेवला फ्लाई ओवर के नीचे, मोहकमपुर औद्योगिक क्षेत्र की सड़क के मोड़ पर, सुभाष होटल के पास होता है। यह स्थान कई साल से जलभराव के रूप में चिह्नित है। दरअसल, इन स्थानों की नालियां इसी नाले से जुड़ी हैं। जैसे ही नाले का पानी उफनाता है वैसे ही नालियों का पानी ब्रेक हो जाता है। असल में फुटबाल चौक से परतापुर के बीच दिल्ली रोड पर जलनिकासी की व्यवस्था दो हिस्सों में बंटी है। एक हिस्सा फुटबाल चौक से नवीन मंडी तक है। दूसरा हिस्सा मेवला फ्लाई ओवर से परतापुर थाने तक। नाले की लंबाई छह किमी है। पांच फीट चौड़े और छह फीट गहरे नाले से मोहकमपुर, शिवपुरम, रिठानी, परतापुर क्षेत्र तो सीधे तौर पर जुड़े हैं लेकिन, रोड के दूसरी तरफ कोई नाला न होने के कारण माधवपुरम, ध्यानचंद नगर, शताब्दीनगर, रिठानी व परतापुर के दूसरी साइड के हिस्से का पानी भी इसी नाले में आता है। नाले पर जलनिकासी के लिए करीब दो लाख आबादी का दबाव है। औद्योगिक क्षेत्र का पानी का दबाव भी इस पर है।
जलभराव के ये हैं कारण:
-मेवला फ्लाई ओवर से लेकर परतापुर फ्लाई ओवर तक दिल्ली रोड पर एक साइड पर नाला नहीं है। एक नाले पर सड़क के दोनों ओर बसे मोहल्लों की जलनिकासी का दबाव है।
-नाले पर एक दर्जन से अधिक पुलिया चिह्नित की गई हैं जो काफी नीचे हैं। कई जगह अतिक्रमण भी है। जिससे बारिश में नाले में जलस्तर बढ़ने पर जलनिकासी बाधित होती है।
-दिल्ली रोड नाले की तल्लीझाड़ सफाई नहीं की गई। सुभाष होटल से लेकर परतापुर तक नाले की गहराई में सिल्ट जमा है। जिससे थोड़ी बारिश में पानी सड़क पर आ जाता है।
-मेवला फ्लाई ओवर से फुटबाल चौराहे दूसरे हिस्से में नाले पर अतिक्रमण है। रामलीला ग्राउंड के पास नाला संकरा हो गया। जिससे बारिश का पानी सड़क पर भरता है।
पिछले साल हुए जलभराव से नहीं लिया सबक
समाधान की बात करें तो नगर निगम ने कोई कदम नहीं उठाए हैं। पिछले साल 27 जुलाई की भारी बारिश में दिल्ली रोड पर भीषण जलभराव के बाद शॉपरिक्स मॉल से संजय वन होते हुए शताब्दी नगर के हिस्से की जलनिकासी के लिए दूसरे नाले के निर्माण की बात उठी थी। मोहकमपुर औद्योगिक क्षेत्र के कारोबारियों ने जलनिकासी के बेहतर प्रबंधन के लिए शासन स्तर पर भी बात रखी थी। लेकिन, निगम ने न तो तल्लीझाड़ सफाई की और न ही वैकल्पिक नाला बनाने का प्लान बनाया है। निचली पुलिया को भी ऊंचा नहीं किया गया। रामलीला ग्राउंड के सामने नाले का चौड़ीकरण भी नहीं हुआ। अतिक्रमण भी नहीं हटाया गया।
लोगों का कहना है
फोटो--500
-सुभाष होटल के समीप नाले का पानी उफनाकर खाली प्लाटों में भर रहा है। नाला काफी चौड़ा है और गहरा भी है। सफाई कायदे से होती तो ये स्थिति न बनती।
कपिल, रिठानी। फोटो--501
- नगर निगम को जलनिकासी की व्यवस्था के लिए एक प्लान बनाना चाहिए। नाला काफी पुराना है। आबादी भी बढ़ रही है। शहर का विस्तार हो रहा है। जलनिकासी के लिए दूसरी साइड पर भी नाले का निर्माण होना चाहिए।
रवींद्र, शताब्दीनगर।
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- जलनिकासी के लिए फुटबाल चौक से नवीन मंडी तक नाले का चौड़ीकरण होना चाहिए। दोनों हिस्सों पर नाला हो। औद्योगिक क्षेत्र का पानी भी इसी में आता है। जिसे देखते हुए नाले का प्रवाह साफ रखना जरूरी है।
नवीन शर्मा, ट्रांसपोर्ट नगर। वर्जन:-- फोटो नहीं है --
दिल्ली रोड नाले के निरीक्षण में करीब आठ स्थानों पर पुलिया चिह्नित की गई हैं। जिसके नीचे पाइप लाइन है। बारिश में कचरा इनमें फंसता है। जिससे जलनिकासी बाधित होती है। इसका समाधान किया जाएगा। एक रोड के एक साइड पर नाला नहीं है। जिससे दोनों ओर बसे मोहल्लों की जलनिकासी का दबाव एक ही नाले पर है। दूसरी साइड नाला निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाया जाएगा।
डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया, नगर आयुक्त।