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पश्चिम उप्र में सांप्रदायिक हिंसा कराना तो नहीं था मकसद

बुलंदशहर बवाल की जांच में जुटे पुलिस के अधिकारी इसके पीछे बड़ी साजिश की बात कह रहे हैं। क्या यह साजिश पश्चिमी उप्र में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की तो नहीं थी।

By Ashu SinghEdited By: Published: Wed, 05 Dec 2018 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 05 Dec 2018 05:05 PM (IST)
पश्चिम उप्र में सांप्रदायिक हिंसा कराना तो नहीं था मकसद
पश्चिम उप्र में सांप्रदायिक हिंसा कराना तो नहीं था मकसद

मेरठ, [सर्वेंद्र पुंडीर]। सरकारी जांच के मुताबिक बुलंदशहर के चिंगरावठी बवाल के पीछे बड़ी साजिश नजर आ रही है। एडीजी इंटेलीजेंस एसबी शिराड़कर और एसआइटी के नोडल अधिकारी मेरठ रेंज के आइजी रामकुमार ने जांच शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें तो प्रथम दृष्टया जांच में सामने आ रहा है कि कुछ लोगों की मंशा थी कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक बवाल हो। इस बवाल के पीछे कौन है? इंटेलीजेंस और एसआइटी इसका पता लगाने में जुट गई है।

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इनके जवाब तलाश कर रही इंटेलीजेंस और एसआइटी

  • जिस समय इज्तिमा से लोग लौट रहे थे। उसी समय जाम लगाने का प्लान क्यों बनाया गया?
  • जांच में सामने आया कि गोकशी के अवशेष कई दिन से खेत में पड़े थे। उसी दिन बवाल क्यों?
  • जिस खेत में अवशेष थे वहां हर रोज ग्रामीणों का आना-जाना हो रहा था। पहले क्यों सूचना नहीं दी?
  • गोकशी के अवशेष जमीन पर तो पड़े ही थे, गन्नों पर खाल टांगी गई। ताकि लोग भड़क जाए। ऐसा क्यों?
  • इज्तिमा से लौट रहे लोगों के पहुंचने का समय भी वही था, जिस समय जाम लगाया।

गांव की तरफ भीड़ दौड़ी तो हुआ लाठीचार्ज
अधिकारियों की प्रथम दिन हुई जांच में सामने आया है कि जब भीड़ को लगा कि इज्तिमा से लौट रहे लोग इस मार्ग से नहीं आ रहे हैं तो भीड़ महाव गांव की तरफ दौडऩे लगी। नारेबाजी की गई कि अब गांव में गोकशी करने वालों को नहीं छोड़ेंगे। तब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार ने ग्रामीणों को पहले समझाया और गांव में जाने से रोका, लेकिन भीड़ नहीं रुकी तो लाठीचार्ज किया। इसके बाद बवाल बढ़ा।
बुलंदशहर में पहले हुई गोकशी पर भी सवाल
एसआइटी और इंटेलीजेंस बवाल की जांच कर रही है। विहिप ने सवाल खड़ा किया है कि एक माह पूर्व बुलंदशहर की खुर्जा कोतवाली क्षेत्र में 21 गायों के शव बरामद हुए थे। बवाल होने से बचा था। इसके अलावा अरनिया, गुलावटी, खुर्जा देहात आदि थानाक्षेत्रों में भी गोकशी की घटनाएं हुई। दावा है कि छह माह में 250 गायों को काट दिया गया। इनसे हर बार बवाल होने से बचा। विहिप का सवाल है कि जब पहले इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं तो इस गोकशी को गंभीरता से क्यों नहीं लिया गया।
इनका कहना
घटना में इंस्पेक्टर और पब्लिक के युवक की मौत दुखद है। दोषी कोई भी हो, किसी भी सूरत में उसे बख्शा नहीं जाएगा। जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। दो टीमें जांच कर रही है। घटना की असली वजह भी जल्द ही सामने आ जाएगी।
-प्रशांत कुमार, एडीजी मेरठ जोन
इंटेलीजेंस की जांच अलग चल रही है। हमारी एसआइटी की जांच भी शुरू हो गई है। घटना के कुछ कारण सामने आ रहे है, जिन्हें अभी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। जल्द ही रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
-रामकुमार, आइजी मेरठ रेंज


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