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Gallantry saga of Army Dogs: भारतीय सेना के वॉर हीरोज में शामिल हैं फौजी श्वानों की शहादत

सेना के तमाम ऑपरेशन में शहीद हुए फौजी श्‍वानों की स्‍वामी भक्ति व साहस की याद में भारतीय सेना के पूर्वी कमान के अंतर्गत एक यूनिट में आर्मी डॉग मेमोरियल बना है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 12:29 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 12:29 PM (IST)
Gallantry saga of Army Dogs: भारतीय सेना के वॉर हीरोज में शामिल हैं फौजी श्वानों की शहादत
Gallantry saga of Army Dogs: भारतीय सेना के वॉर हीरोज में शामिल हैं फौजी श्वानों की शहादत

मेरठ, [अमित तिवारी]। भारतीय सेना के वॉर हीरोज की सूची में फौजी श्वानों के साहस की गाथा भी शामिल है। देशभर में हुए तमाम ऑपरेशन में शहीद हुए फौजी श्वानों से जुड़ी कहानियों में फौजी श्वानों की स्वामी भक्ति और उनकी मौजूदगी के चलते जान बचने की घटनाएं भी कम प्रेरणादायक नहीं हैं।

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रिमाउंट वेटनरी कोर (आरवीसी) सेंटर एंड कॉलेज में जन्मे, प्रशिक्षित हुए और सीमाओं पर अदम्य साहस का परिचय देते हुए शहीद हुए फौजी श्वानों की फेहरिस्त काफी लंबी है। इनकी शहादत को वॉर हीरोज की तर्ज पर सम्मान देने और उनकी याद में भारतीय सेना की पूर्वी कमान ने डॉग मेमोरियल बनाया है।

ऑपरेशन राइनो में शामिल दस्ते के नाम के पत्थर

पूर्वी कमान की ओर से दक्षिण पूर्व भारत के विभिन्न क्षेत्रों में तैनात फौजी श्वान सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं। सेना के ऑपरेशन राइनो में शामिल फौजी श्वानों के दस्ते के सम्मान और याद में यह मेमोरियल बनाया है। ऑपरेशनों में सेवाएं देने वाली दीप्ति, हेमा, बिंबो, चेबल्स, हरिता, बवारी, डच, बेकर, बिट्टू, बैंडी, आदि फौजी श्वानों के नाम के पत्थर इस मेमोरियल में लगाए गए हैं। पूर्वी कमान की ओर से शुरू हुई फौजी श्वानों की शहादत को सम्मान देने की इस परंपरा को देश के अन्य हिस्सों तक बढ़ाया जाएगा।

शहीद मानसी के नाम आरवीसी का द्वार

अगस्त 2015 में जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन में श्वान मानसी ने छिपे आतंकियों के हमले की तैयारी को भांपकर भोंकते हुए पीछे की टुकड़ी को आगाह किया। तभी आतंकियों की गोलीबारी में मानसी अपने ट्रेनर बशीर संग शहीद हो गई। मानसी के सम्मान में आरवीसी में डॉग ट्रेनिंग फैकल्टी के मुख्य गेट का नाम ‘मानसी द्वार’ रखा गया है। आरवीसी कमांडेंट रह चुके मेजर जनरल बीएस पंवार की किताब ‘द साइलेंट के9 वॉरियर्स’ में फौजी श्वानों के कारनामों को प्रमुखता से स्थान दिया गया है।

जितने स्टार, उतना ज्यादा सम्मान

सेनिकों की ही तरह फौजी श्वानों को भी अदम्य साहस और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) कमेंडेशन कार्ड प्रदान किया जाता है। मेमोरियल में लगे पत्थरों में सबसे ऊपर दीप्ति के नाम का पत्थर लगा है जिस पर तीन स्टार दिए गए हैं। दीप्ति को आर्मी कमांडर से तीन कमेंडेशन कार्ड मिल चुके हैं। इसी तरह इस मेमोरियल में एक व दो स्टार वाले श्वानों के नाम इंगित हैं। कुछ दिनों पहले डच की मृत्यु हो गई। उसे दो कार्ड मिले थे।

फौजी श्वानों की शौर्य गाथा

20 दिसंबर 2000: ट्रैकर डॉग अमित ने ऑपरेशन रेड केरिंग में 30 किमी दूर खोजे नागा उग्रवादियों के ठिकाने।

05 अगस्त 2000 : ट्रैकर डॉग बलराज ने नॉर्दर्न सेक्टर में वांटेड आतंकी को मार गिराने और कालाकोप राइफल की रिकवरी की।

30 जून 2006: एक्सप्लोसिव डिटेक्शन डॉग बलराम ने अमरनाथ यात्र के रास्ते में भारी मात्र में आइईडी खोजा।

13 अक्टूबर 2010 : ट्रैकर डॉग बारू ने ऑपरेशन कोटारिसर में आतंकी ठिकानों को खोजा।

25 मई 2002 : माइन डिटेक्शन डॉग भावना ने हैंडलर शिव लाल के साथ आइईडी खोजा। इसे निकालने के दौरान आतंकियों द्वारा ब्लास्ट कराने पर दोनों शहीद हो गए।


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