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जीते जी बेगाने हुए अब अस्थि अवशेष को अपनों का इंतजार

भले ही बेबसी हो पर कोरोना संक्रमितों का साथ जीते जी स्वजनों से छूट जाता है

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jun 2020 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jun 2020 06:04 AM (IST)
जीते जी बेगाने हुए अब अस्थि अवशेष को अपनों का इंतजार
जीते जी बेगाने हुए अब अस्थि अवशेष को अपनों का इंतजार

जेएनएन, मेरठ: भले ही बेबसी हो, पर कोरोना संक्रमितों का साथ जीते जी स्वजनों से छूट जाता है। दुखद तो यह है कि मौत के बाद भी कई के अस्थि अवशेषों को अपनों का इंतजार है। सूरजकुंड श्मशान गृह में ऐसे सात लोगों की अस्थियों की पोटलियां रखी हैं, जिन्हें एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन कोई लेने नहीं आया।

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सूरजकुंड श्मशान गृह में 37 चिता स्थल हैं, जिनमें अंतिम संस्कार किया जाता है। श्मशान के एक दर्जन चबूतरों पर एक माह से अस्थियां पड़ी थीं, जिन्हें उठाने कोई नहीं आया। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए चिता स्थल खाली न मिला तो पुरोहितों को मजबूरी में फर्श पर अंतिम संस्कार कराना पड़ा। सांसद राजेंद्र अग्रवाल की पहल पर नगरायुक्त ने श्मशान गृह का रखरखाव करने वाली संस्था गंगा मोटर कमेटी को अस्थियां संकलन और उन्हें सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सौंपी थी। कमेटी के अनिल मित्तल ने बताया कि 15 जून को आदेश हुए थे। जिसके बाद अस्थियां सुरक्षित रखवा दी गई थीं। चार-पांच लोग अपने स्वजनों की अस्थिया ले गए, लेकिन सात पोटलियां अभी भी रखी हुई हैं। इनमें से कई तो डेढ़ माह से रखी हैं। सूरजकुंड में गाजियाबाद, शामली, हापुड़, बुलंदशहर जैसे क्षेत्रों संक्रमित शव आ रहे हैं।

गौरतलब तो यह भी है कि कोरोना काल में संक्रमितों की मौत के बाद अंतिम संस्कार की समस्त क्रियाओं का भी पालन तक नहीं हो पा रहा है। चूंकि शव सीधे सूरजकुंड लाए जा रहे हैं, इसलिए अंतिम यात्रा का सवाल ही नहीं है।

हिदू धर्मशास्त्रों के विद्वान डा. चितामणि जोशी ने बताया यह विपत्ति काल है, ऐसे में घट विस्फोट, पिडदान और अंगार प्रज्वलन जैसी क्रियाओं का पालन मुमकिन नहीं है।

उन्होंने बताया कि स्कंद गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि जब तक विसर्जन के बाद अस्थियां गंगा में रहती हैं, तब तक मृतक का स्वर्ग में वास रहता है। उन्होंने कहा नियमत: पांच दिन में अस्थियों का संग्रह कर लिया जाना चाहिए।

गंगा मोटर कमेटी के अनिल मित्तल ने बताया कि तीन माह तक अगर अस्थि अवशेषों को लेने कोई नहीं आएगा तो कमेटी उन्हें गंगाी में प्रवाहित करने की व्यवस्था करेगी। एक किलो गुगल डालकर करें अंतिम संस्कार

वरिष्ठ फिजीशियन डा.अनिल कुमार ने बताया कि दाह संस्कार के बाद अस्थि अवशेषों से किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा नहीं होता है, पर ऐसे समय में चाहे सामान्य व्यक्ति का अंतिम संस्कार हो या कोरोना संक्रमित अंतिम संस्कार में एक किलो गुगल भी डालना चाहिए। इससे आसपास के वातावरण में संक्रमण खत्म हो जाता है।


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