राम मंदिर आंदोलन के लिए संघ ने भरी हुंकार, सोशल मीडिया पर सक्रिय स्वयंसेवक
आंदोलन के लिए सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हुए स्वयंसेवक, कारसेवा जैसे अभियान की तरफ संगठन बढ़ रहा है। 18 दिसंबर को माधवकुंज में फिर होगी समन्वय बैठक।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 11:33 AM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 11:33 AM (IST)
मेरठ (जेएनएन)। राम मंदिर को लेकर संघ एवं सहयोगी संगठन मैराथन मंथन में जुट गए हैं। मेरठ के माधवकुंज में संघ की निगरानी में राम मंदिर आंदोलन की लहर उफान मारने लगी है। गुरुवार को भाजपा समेत तमाम संगठनों को प्रेरित करने के बाद अब संघ बस्तियों तक पहुंचेगा। इधर, रविवार को मेरठ प्रांत के 27 जिलों की समन्वय बैठक होगी। नौ दिसंबर को दिल्ली चलो आंदोलन की जिम्मेदारियां तय होंगी।
सहयोगी संगठन एक्शन में आए
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लंबे समय इंतजार के बाद राम मंदिर आंदोलन के लिए हुंकार भरी है, जिससे भाजपा समेत तमाम सहयोगी संगठन एक्शन में आ गए हैं। नौ दिसंबर को नई दिल्ली में प्रदर्शन का जिम्मा विश्व ङ्क्षहदू परिषद संभालेगी, जिसके पीछे संघ पूरी ताकत के साथ खड़ा है। इस साल फरवरी में राष्ट्रोदय एवं 28 अक्टूबर को जिमखाना मैदान में संघ संगम कार्यक्रम के जरिए संघ अपनी ताकत एवं अनुशासन का परिचय दे चुका है। विजयदशमी पर पथ संचलन के दौरान भी राम मंदिर की चर्चा तेज होने लगी थी। इधर, संघ के स्वयंसेवक सोशल मीडिया पर जयश्रीराम एवं भारत माता की जय समेत तमाम हिन्दूवादी नारों के साथ सक्रिय हो गए हैं।
226 बस्तियों में पहुंचने की तैयारी
नई दिल्ली की रैली को लेकर संघ मेरठ महानगर की सभी 226 बस्तियों में पहुंचने की तैयारी में है। मेरठ महानगर के अंतर्गत 32 नगरों से स्वयंसेवक दिल्ली कूच के लिए हिन्दू समाज के बीच भी पहुंचेंगे। प्रांत प्रचारक धनीराम ने समन्वय बैठक में स्पष्ट रूप से आगाह किया है कि कार्यकर्ता किसी भी अन्य वर्ग, समुदाय एवं धर्म के लोगों का दिल नहीं दुखाएंगे। मेरठ में संघ की 170 शाखाएं हैं, किंतु दिल्ली अभियान के लिए सेवा बस्तियों में पहुंचकर लोगों को अपने साथ जोडऩे पर विशेष जोर होगा। उधर, विहिप सालभर से गांवों में पहुंचकर राम मंदिर निर्माण की जमीन बना रहा था, जिसका असर इस अभियान में नजर आएगा।
'इस आंदोलन का लोकसभा चुनाव कोई संबंध नहीं'
प्रांत प्रचार प्रमुख अजय मित्तल का कहना है कि किसी के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। राम मंदिर हिन्दुओं की आस्था, भारत के गौरव एवं सम्मान का प्रतीक है, जिसके लिए अनुषांगिक संगठनों के अलावा आम व्यक्ति भी इसे जुड़ रहा है। उन्होंने साफ किया कि इस आंदोलन का लोकसभा चुनावों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। विहिप के गोपाल शर्मा ने बताया कि 18 नवंबर से माधवकुंज में सुबह सात से दस बजे तक रोजाना समन्वय बैठक चलेगी। अभियान में जिला, मंडल, खंड एवं गांवों की भी इकाई को भी अहम भूमिका दी जाएगी।
सहयोगी संगठन एक्शन में आए
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लंबे समय इंतजार के बाद राम मंदिर आंदोलन के लिए हुंकार भरी है, जिससे भाजपा समेत तमाम सहयोगी संगठन एक्शन में आ गए हैं। नौ दिसंबर को नई दिल्ली में प्रदर्शन का जिम्मा विश्व ङ्क्षहदू परिषद संभालेगी, जिसके पीछे संघ पूरी ताकत के साथ खड़ा है। इस साल फरवरी में राष्ट्रोदय एवं 28 अक्टूबर को जिमखाना मैदान में संघ संगम कार्यक्रम के जरिए संघ अपनी ताकत एवं अनुशासन का परिचय दे चुका है। विजयदशमी पर पथ संचलन के दौरान भी राम मंदिर की चर्चा तेज होने लगी थी। इधर, संघ के स्वयंसेवक सोशल मीडिया पर जयश्रीराम एवं भारत माता की जय समेत तमाम हिन्दूवादी नारों के साथ सक्रिय हो गए हैं।
226 बस्तियों में पहुंचने की तैयारी
नई दिल्ली की रैली को लेकर संघ मेरठ महानगर की सभी 226 बस्तियों में पहुंचने की तैयारी में है। मेरठ महानगर के अंतर्गत 32 नगरों से स्वयंसेवक दिल्ली कूच के लिए हिन्दू समाज के बीच भी पहुंचेंगे। प्रांत प्रचारक धनीराम ने समन्वय बैठक में स्पष्ट रूप से आगाह किया है कि कार्यकर्ता किसी भी अन्य वर्ग, समुदाय एवं धर्म के लोगों का दिल नहीं दुखाएंगे। मेरठ में संघ की 170 शाखाएं हैं, किंतु दिल्ली अभियान के लिए सेवा बस्तियों में पहुंचकर लोगों को अपने साथ जोडऩे पर विशेष जोर होगा। उधर, विहिप सालभर से गांवों में पहुंचकर राम मंदिर निर्माण की जमीन बना रहा था, जिसका असर इस अभियान में नजर आएगा।
'इस आंदोलन का लोकसभा चुनाव कोई संबंध नहीं'
प्रांत प्रचार प्रमुख अजय मित्तल का कहना है कि किसी के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है। राम मंदिर हिन्दुओं की आस्था, भारत के गौरव एवं सम्मान का प्रतीक है, जिसके लिए अनुषांगिक संगठनों के अलावा आम व्यक्ति भी इसे जुड़ रहा है। उन्होंने साफ किया कि इस आंदोलन का लोकसभा चुनावों से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। विहिप के गोपाल शर्मा ने बताया कि 18 नवंबर से माधवकुंज में सुबह सात से दस बजे तक रोजाना समन्वय बैठक चलेगी। अभियान में जिला, मंडल, खंड एवं गांवों की भी इकाई को भी अहम भूमिका दी जाएगी।
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