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CAA Protest In Meerut: सोचिए, शांत तालाब में पत्थर किसने फेंका! Meerut News

पूरी दुनिया को अदब और अमन का पैगाम देने वाली क्रांति धरा शुक्रवार को अचानक अराजकता की भेंट चढ़ गई। यह अनपेक्षित था। यह साफ है कि ऐसा मुट्ठी भर उपद्रवियों की शह पर हुआ।

By Prem BhattEdited By: Published: Sat, 21 Dec 2019 10:15 AM (IST)Updated: Sat, 21 Dec 2019 10:15 AM (IST)
CAA Protest In Meerut: सोचिए, शांत तालाब में पत्थर किसने फेंका! Meerut News
CAA Protest In Meerut: सोचिए, शांत तालाब में पत्थर किसने फेंका! Meerut News

मेरठ, [जय प्रकाश पांडेय]। पूरी दुनिया को अदब और अमन का पैगाम देने वाली क्रांति धरा शुक्रवार को अचानक अराजकता की भेंट चढ़ गई। यह अनपेक्षित था। बीते साल भर के भीतर की बात करें तो कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए, फैसले किए गए, निर्णय लिए गए ..और मेरठ की जनता ने हर कदम पर अमन का दामन थाम स्थानीय प्रशासन व सरकार का साथ दिया। नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद जहां कुछ दूसरे स्थानों पर अराजकता की स्थिति बनी वहीं मेरठ व आसपास के जिलों में पूरी तरह शांति रही। ..लेकिन, शुक्रवार की दोपहर होते-होते मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर व बुलंदशहर में अचानक ही अराजकता फैल गई।

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मुट्ठी भर उपद्रवियों की शह

यह साफ है कि ऐसा मुट्ठी भर उपद्रवियों की शह पर हुआ। यह भी माना जा सकता है कि इन मुट्ठी भर लोगों को कोई पीछे से नियंत्रित कर रहा हो, जिसके चलते देखते ही देखते इन शहरों में स्थिति अराजक हो गई। इस बात को न मानने की कोई वजह नहीं कि इन मुट्ठी भर लोगों ने खास इलाकों की जनता को बहकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे उपद्रवी और अमन के दुश्मनों की पहचान करना अब पुलिस की पहली जिम्मेदारी होनी चाहिए। इस बात का पता लगाया ही जाना चाहिए कि आखिर शांत तालाब में पत्थर मारा किसने।

अधिकारियों को आ गया पसीना

तीन तलाक का मसला रहा हो अथवा अनुच्छेद 370 का, अयोध्या का मामला रहा हो अथवा नागरिकता संशोधन कानून का, मेरठ और आसपास के इन शहरों के रहवासियों ने मिलजुल कर इसे अपनाया, स्वीकारा, और इसके चलते गुरुवार तक कहीं पत्ता भी नहीं खड़का लेकिन, शुक्रवार की अराजकता के चलते अभी तक कसौटी पर खरी उतरी पुलिस भी अवाक रह गई। इन शहरों में हालात एकबारगी कुछ ऐसे बन गए कि आला पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी पसीना आ गया। मेरठ की बात करें तो एक ओर उपद्रव होने पर पुलिस जब तक उसे संभालने पहुंचती, दूसरी ओर से उपद्रव की सूचनाएं आने लगतीं। यह साफ लग रहा था कि पुलिस को उलझाने और उसे परेशान करने के लिए बाकायदा जाल बुना गया। खुफिया तंत्र की नाकामी का यह एक नमूना है।

नागरिकता देने का कानून है यह

इसमें दो राय नहीं कि नागरिकता संशोधन कानून से ऐसे तमाम लोगों को भारी राहत मिलने जा रही है जो अब तक शरणार्थी बनकर यहां रह रहे थे। यह बात तो सभी को स्पष्ट रूप से समझ ही लेनी चाहिए कि यह कानून नागरिकता देने के लिए है, लेने के लिए नहीं। इसके बाद भी अगर मेरठ समेत अन्य कुछ शहरों में उपद्रवी अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे तो अब जरूरत है उन्हें उनकी औकात बताने की। अमन पसंद शहरवासियों को पूरा भरोसा है कि पुलिस और प्रशासन के जिम्मेदार लोग ऐसा करेंगे भी। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाना चाहिए। उठिए, और उपद्रवियों को नग्न कर दीजिए, यह शहर किसी की जागीर नहीं जो जैसा चाहा, इसके साथ वैसा व्यवहार कर लिया। यह शहर हमारा है, आपका है, हम सभी का है। 


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