इलाज के लिए कतार में खड़े होंगे सभी, अस्पतालों में 'वीआइपी' कल्चर खत्म
हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में वीआइपी कल्चर खत्म कर दिया है। अब सभी को कतार में खड़े होकर इलाज की पर्ची कटवानी होगी।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 28 Oct 2018 01:07 PM (IST)Updated: Sun, 28 Oct 2018 01:07 PM (IST)
मेरठ (संतोष शुक्ल)। वह वक्त गया, जब वीआइपी का रुतबा जमाकर अधिकारी और नेता अस्पतालों में डाक्टर के पास सीधे पहुंच जाते थे, और गरीब मरीज लाइन में खड़ा देखता रह जाता था। हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में वीआइपी कल्चर खत्म कर दिया है। सभी को कतार में खड़े होकर इलाज की पर्ची कटवानी होगी। उन्हें निजी चिकित्सालयों में इलाज कराने पर भुगतान भी नहीं मिलेगा।
लाइन में कटाएं पर्ची
उत्तर प्रदेश सरकार में सचिव वी हेकाकी झमोली ने 25 अक्टूबर को जारी सकरुलर में हाईकोर्ट के निर्देशों को स्पष्ट करते हुए सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी एवं सीएमओ को पत्र भेजा है। स्नेहलता सिंह बनाम राज्य की एक जनहित याचिका के आधार पर कोर्ट ने कहा है कि सरकार से वेतन लेने वाला कोई भी अधिकारी, विधायक व मंत्री सरकारी अस्पतालों में अपने रुतबे का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। उन्हें मरीजों के पीछे कतार में खड़े होकर उन सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा, जो आम मरीज करता है। स्वयं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इलाज के लिए सीधे डाक्टर की केबिन में नहीं जा सकेंगे। अगर कतार में खड़े मरीजों ने इसकी शिकायत की तो शासन को गंभीरता से लेना होगा।
मेरठ में तो कंगाल है चिकित्सा
मेडिकल कालेज में 1060, जिला अस्पताल में 235 और 12 सीएचसी पर 30-30 बेडों की उपलब्धता के बावजूद सुपरस्पेसियलिटी श्रेणी का इलाज नहीं है। 1मेडिकल में कार्डियक, न्यूरो, किडनी, कैंसर, बर्न व अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं, जबकि जिला अस्पताल एवं स्वास्थ्य विभाग में ज्यादातर इलाज एमबीबीएस डाक्टरों पर निर्भर है। अगर यहां कोई अधिकारी इलाज नहीं कराना चाहता तो उसे केजीएमसी एवं पीजीआइ जैसे सरकारी केंद्रों का विकल्प चुनना होगा।
निजी अस्पतालों में इलाज पर रोक
अधिकारी और नेता सुविधाओं का हवाला देते हुए निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं, जिसका खर्च सरकार उठाती है। किंतु कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी रोक दिया है। निर्णय में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उन्हीं चिकित्सा सुविधाओं का खर्च सरकार उठाएगी, जो सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। अगर किसी अधिकारी को न्यूरो या यूरो की बीमारी का इलाज कराना है तो उसे प्रदेश के अन्य सरकारी चिकित्सालयों में से विकल्प चुनना होगा। कुछ शर्तो के साथ ही निजी अस्पतालों में इलाज की छूट होगी।
इन्होंने कहा...
अस्पतालों में वीआइपी कल्चर खत्म करने का आदेश जारी हुआ है। हाई कोर्ट ने ऐसे लोगों के निजी अस्पतालों में होने वाले इलाज पर भी कई शर्ते लगाई है।
डा. राजकुमार, सीएमओ
लाइन में कटाएं पर्ची
उत्तर प्रदेश सरकार में सचिव वी हेकाकी झमोली ने 25 अक्टूबर को जारी सकरुलर में हाईकोर्ट के निर्देशों को स्पष्ट करते हुए सभी मंडलायुक्त, जिलाधिकारी एवं सीएमओ को पत्र भेजा है। स्नेहलता सिंह बनाम राज्य की एक जनहित याचिका के आधार पर कोर्ट ने कहा है कि सरकार से वेतन लेने वाला कोई भी अधिकारी, विधायक व मंत्री सरकारी अस्पतालों में अपने रुतबे का प्रयोग नहीं कर सकेंगे। उन्हें मरीजों के पीछे कतार में खड़े होकर उन सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा, जो आम मरीज करता है। स्वयं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इलाज के लिए सीधे डाक्टर की केबिन में नहीं जा सकेंगे। अगर कतार में खड़े मरीजों ने इसकी शिकायत की तो शासन को गंभीरता से लेना होगा।
मेरठ में तो कंगाल है चिकित्सा
मेडिकल कालेज में 1060, जिला अस्पताल में 235 और 12 सीएचसी पर 30-30 बेडों की उपलब्धता के बावजूद सुपरस्पेसियलिटी श्रेणी का इलाज नहीं है। 1मेडिकल में कार्डियक, न्यूरो, किडनी, कैंसर, बर्न व अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं, जबकि जिला अस्पताल एवं स्वास्थ्य विभाग में ज्यादातर इलाज एमबीबीएस डाक्टरों पर निर्भर है। अगर यहां कोई अधिकारी इलाज नहीं कराना चाहता तो उसे केजीएमसी एवं पीजीआइ जैसे सरकारी केंद्रों का विकल्प चुनना होगा।
निजी अस्पतालों में इलाज पर रोक
अधिकारी और नेता सुविधाओं का हवाला देते हुए निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं, जिसका खर्च सरकार उठाती है। किंतु कोर्ट ने सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी रोक दिया है। निर्णय में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उन्हीं चिकित्सा सुविधाओं का खर्च सरकार उठाएगी, जो सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं है। अगर किसी अधिकारी को न्यूरो या यूरो की बीमारी का इलाज कराना है तो उसे प्रदेश के अन्य सरकारी चिकित्सालयों में से विकल्प चुनना होगा। कुछ शर्तो के साथ ही निजी अस्पतालों में इलाज की छूट होगी।
इन्होंने कहा...
अस्पतालों में वीआइपी कल्चर खत्म करने का आदेश जारी हुआ है। हाई कोर्ट ने ऐसे लोगों के निजी अस्पतालों में होने वाले इलाज पर भी कई शर्ते लगाई है।
डा. राजकुमार, सीएमओ
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