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History Sheeter Vikas Dubey: सहारनपुर में मादक पदार्थों की तस्करी में पकड़ा गया था मोस्टवांटेड विकास दुबे

जून 2006 को मादक पदार्थ के साथ पकड़कर जेल भेजा गया था। पर लखनऊ से मिले दबाव के चलते पुलिस इस आरोप को साबित नहीं कर पायी। इसके बाद ही यह मुकदमा खत्‍म हो गया।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 08:58 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jul 2020 09:26 AM (IST)
History Sheeter Vikas Dubey: सहारनपुर में मादक पदार्थों की तस्करी में पकड़ा गया था मोस्टवांटेड विकास दुबे

सहारनपुर, जेएनएन। कानपुर में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों को गोलियों से छलनी करने वाले मोस्टवांटेड विकास दुबे को तत्कालीन एसएसपी एवं वर्तमान में आइजी एसटीएफ अमिताभ यश ने मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में जेल भिजवाया था। पुलिस की अदालत में मजबूत पैरवी न होने के कारण वह बरी हो गया था। यह वाकया 25 जून 2006 का है, तब अमिताभ यश सहारनपुर के एसएसपी थे।

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पुलिस पर लखनऊ से डाला जा रहा था दबाव

तत्कालीन एसओ जनकपुरी ऋषिराम कठेरिया ने विकास दुबे को एसबीडी चौक से स्मैक के साथ गिरफ्तार किया था। एसओ कठेरिया ने अपनी तरफ से मुकदमा लिखवा कर विकास को जेल भेजा था। कुछ महीने जेल में रहने के बाद विकास जमानत पर छूट गया। सूत्रों का दावा है कि इस मुकदमे में पुलिस पैरवी न करे, इसके लिए तब लखनऊ से सीधे पुलिस पर दबाव बनाया गया था। नतीजा यह रहा कि खुद लिखवाए गए मुकदमे के पुलिस अदालत में साक्ष्य पेश नहीं कर सकी और कोर्ट ने विकास दुबे को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया था। वर्तमान थाना जनकपुरी इंस्पेक्टर अभिषेक सिरोही ने बताया कि अदालत से मुकदमा समाप्त हो गया था।

लंबे थे सियासी तार

कानपुर की घटना के बाद विकास दुबे का नाम हर किसी की जुबां पर है। सभी यह जानने को उत्सुक हैं कि जरायम की दुनिया में इतना आगे निकल चुके विकास की राजनीति में एंट्री कैसे हुई। घटना के बाद यहां भी विकास दुबे को लेकर चर्चा है, यह बताया जा रहा है कि सहारनपुर जेल में जब विकास बंद था तो उसकी मुलाकात यहां कुछ अपराधियों से हुई थी। जमानत पर छूटने के बाद वह समझ चुका था कि खाकी पर रौब जमाना है, तो खादी से गठजोड़ जरूरी है।

नेता से मिला था विकास दूबे

बताया जा रहा है कि थाना जनकपुरी वाले मुकदमे को खत्म कराने के लिए भी लखनऊ से फोन करवाने के बाद विकास यहां के एक कदावर नेता से मिला था। नेता ने मुकदमे से संबंधित पुलिस अधिकारी को अपने बंगले पर बुलवा कर विकास से मिलवाया था और कहा था कि कुछ भी करो, यह मुकदमा समाप्त होना चाहिए, क्योंकि बार-बार तारीख पर विकास कानपुर से यहां नहीं आएगा।  


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