मेरठ कालेज पहुंचा सन् 1971 युद्ध का विजयंत टैंक
डिफेंस स्टडीज में वार म्यूजियम का हिस्सा बना, युवाओं को मिलेगी प्रेरणा
मेरठ। भारतीय सेना में शामिल पहला मेड इन इंडिया टैंक विजयंत रविवार को मेरठ कालेज में आ गया। कालेज में डिफेंस स्टडीज डिपार्टमेंट की ओर से बनाए गए वार म्यूजियम के अंतर्गत इसे विभाग के सामने ही रखा गया है। साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाने और पाकिस्तानी आधुनिक पैटन टैंक की धज्जियां उड़ाने वाले विजयंत टैंक अब भारतीय सेना की सेवा में नही है लेकिन देश के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। युवा पीढ़ी को फौज के प्रति आकर्षित करने और देश के हथियारों के बारे में जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से यह टैंक कालेज में लाया गया है।
रक्षा अध्ययन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. संजय कुमार ने बताया कि यह टैंक दिलाने में क्वार्टर मास्टर जनरल ऑर्डनेंस ले. जनरल आरआर निंभोरकर व मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रासंपोर्ट एवं हाइवे के संयुक्त सचिव अमित कुमार घोष का प्रमुख योगदान रहा। उन्होंने बताया कि ज्ञान और विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को सैन्य दृष्टिकोण से अध्ययन करना ही रक्षा अध्ययन है और यह टैंक इस कड़ी में सहायक सिद्ध होगा। ले. जनरल आरआर निंभोरकर मेरठ कालेज के रक्षा अध्ययन विभाग से ही पीएचडी कर रहे हैं। अमित घोष इलाहाबाद से डा. संजय के निर्देशन में पीएचडी कर रहे हैं। मेरठ में डीएम रहने के दौरान घोष ने मेरठ कालेज से ही एमए इन डिफेंस स्टडीज किया था।
530 किलोमीटर थी इसकी ऑपरेशनल रेंज
50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला इस टैंक की ऑपरेशनल रेंज 530 किलोमीटर थी। इतनी दूर से भी दुश्मन के ठिकानों को ध्वस्त करने में कामयाब थे इसके गोले। इस टैंक से अलग-अलग तरह व साइज के गोले 44 राउंड से दो हजार राउंड तक फायर किए जा सकते हैं। इसमें चार क्रू-मेंबर बैठते थे। इसका वजन 39 हजार टन, लंबाई 9.788 मीटर, चौड़ाई 3.168 मीटर और ऊंचाई 2.711 मीटर है।
अपने ही प्रोडक्शन में बना टैंक
विजयंत की ओरिजिन यूनाइटेड किंगडम है। सैन्य उपकरण बनाने वाली कंपनी विकर्स आर्मस्ट्रांग ने 1963 में इसे बनाया था। 1965 से 1986 तक इसका उत्पादन विजयंता प्रोडक्शन ने किया। इस दौरान 2200 टैंक बनाए गए जिन्होंने देश के सरहदों की सुरक्षा की। यह टैंक 1971 के भारत-पाक युद्ध के साथ ही ऑपरेशन ब्लू स्टार में भी सक्रिय भूमिका में रहा।