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Vijay Diwas : अबोहर में पाकिस्‍तान से लोहा लेने के लिए तैनात थे मेरठ के कर्नल रविंद्र प्रकाश, ऐसी बनाई थी रणनीति

Vijay Diwas मेरठ के कर्नल प्रकाश के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने युद्ध विराम के बाद गंगानगर सेक्टर के ही मग्गी गांव पर कब्जा कर लिया था। सरहद से सटे इस गांव में कुछ ही घर थे। उस वक्‍त एक टुकड़ी ने पाकिस्तानी सैनिकों को भागने पर विवश कर दिया था।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 10:52 AM (IST)
16 दिसंबर को सरहद के दोनों ओर से थी हमले की तैयारी, सीमा पर तैयार थे टैंक।

अमित तिवारी, मेरठ। Vijay Diwas वर्ष 1971 के युद्ध में पूर्व में हारे पाकिस्तानियों ने बौखलाकर जब पश्चिमी मोर्चा खोला तो यहां भी पहले से तैयार भारतीय सेना के जवानों ने हर मोर्चे को संभाल रखा था। मेरठ के कर्नल रविंद्र प्रकाश भी पंजाब के अबोहर में अपनी आर्मर्ड यूनिट के साथ तैनात थे। अबोहर की ओर बढ़ती पाकिस्तानी आर्मर्ड ब्रिगेड ने अपना रुख फाजिल्का की ओर कर लिया, जिससे अबोहर में उस दिन आमने-सामने की मुठभेड़ नहीं हुई। इसके बाद कर्नल प्रकाश अपनी टीम के साथ 16 दिसंबर को पाकिस्तान में घुसकर हमले की तैयारी की थी। उधर से पाकिस्तानी सेना भी तैयार थी, जिससे आमने-सामने की जंग होती। लेकिन उसी दिन युद्ध विराम की घोषणा ने टैंकों को सरहद पर ही रोक दिया।

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युद्ध विराम के बाद खाली कराया गांव

कर्नल प्रकाश के अनुसार पाकिस्तानी सेना ने युद्ध विराम के बाद गंगानगर सेक्टर के ही मग्गी गांव पर कब्जा कर लिया था। सरहद से सटे इस गांव में कुछ ही घर थे, लेकिन उन्हें छुड़ाने और दुश्मन को मार गिराने गंगानगर से एक टुकड़ी ने युद्ध विराम के बाद गांव पर हमला किया और पाकिस्तानी सैनिकों को भागने पर विवश कर दिया। युद्ध के दौरान भी यहां अबोहर से गंगानगर जाने वाली ट्रेन चल रही थी। आठ दिसंबर को ङ्क्षहदू कोट स्टेशन पर पाकिस्तानी एयरफोर्स ने सेना का ठिकाना समझकर हमला कर दिया, तब ट्रेन का संचालन रोका गया।

हर दिन करते थे युद्ध की तैयारी

कर्नल प्रकाश बताते हैं कि उस समय सूचना देर से पहुंचती थी, लेकिन युद्ध होने का एहसास हर किसी को था। इसलिए वह अपनी आर्मर्ड रेजिमेंट से लगातार युद्धाभ्यास कर रहे थे। अबोहर में सरहद से एक किमी पीछे नगर के पास तीन टैंकों के साथ कर्नल प्रकाश टूप लीडर के तौर पर तैनात थे। कपास से लहलहाते खेतों में माइन बिछाई थी, जिसमें गांव के लोगों का आना-जाना बंद कर दिया गया था। आठ दिसंबर को क्षेत्र का दौरान करने के दौरान भी पाकिस्तानी वायु सेना ने हमला कर दिया, जिसमें कर्नल प्रकाश व उनकी टीम बच गई।

एक साल बाद ही युद्ध में हुए शामिल

कर्नल रविंद्र प्रकाश दिसंबर 1970 में आइएमए से निकलकर सेना की आर्मर्ड रेजिमेंट में शामिल हुए थे। उनके पिता रिसालदार मेजर बल्लम सिंह और बेटे ले. कर्नल अंकित प्रकाश भी आर्मर्ड रेजिमेंट में कार्यरत हैं। भर्ती के बाद उन्हें यंग आफिसर कोर्स में भेजा गया, लेकिन युद्ध का माहौल बनता देख कोर्स छोटा कर गंगानगर और वहां से अबोहर में तैनाती मिली। वह वर्ष 2005 में सेना से कर्नल पद से सेवानिवृत्त हुए।


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