Union Budget 2019: मेरठ को न कोई नई ट्रेन, न ही नई लाइनों पर काम शुरू
मोदी सरकार के अंतरिम बजट से आस संजोए बैैैैठे मेरठवासियों को मेरठ से कोई भी नई ट्रेन की घोषणा नहीं किए जाने से घोर निराशा हुई है। नई लाइनों पर काम भी शुुुरू नहीं किया जाएगा।
By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 03:58 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 04:26 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। बजट में इस बार फिर मेरठ की उम्मीद डि-रेल हो गई। न कोई नई ट्रेन मिली और न ही नई लाइनों पर काम शुरू हुआ। शहरवासी फिर मायूस हैं। ऐसे दौर में जब मेरठी देश-दुनिया में अपनी काबिलियत से छाए हैं। रेल मंत्रालय की यह बेरुखी मेरठ को अपनों से काटने पर अमादा है।
करना पड़ता है दिक्कतों का सामना
आइआइटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाले गणित के शिक्षक विपिन चौधरी बताते हैं कि उन्हें दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, भोपाल में कक्षाएं लेने के लिए जाना पड़ता है। मेरठ से कोई सुविधाजनक ट्रेन इन शहरों के लिए नहीं है। दिल्ली से बाकी शहरों के लिए सफर आसान होता है। लेकिन दिल्ली से मेरठ आने में पसीने छूट जाते हैं। मेरठ-पानीपत-करनाल-कैथल, शामली की नई रेल लाइन फिर कागजों में ही दबी रह गई। इस लाइन के लिए तीन साल पहले सुरेश प्रभु ने 22 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। वहीं, दिल्ली-शामली-सहारपुर लाइन के दोहरीकरण के लिए 15 सौ करोड़ की घोषणा हुई थी। लेकिन शुक्रवार को आए बजट से मेरठ पूरी तरह मायूस है। इन तीन वर्षो में यह लाइन सर्वेक्षण से बाहर नहीं निकल पाई।
शाप से नहीं उबर पाया हस्तिानपुर
मेरठ-हस्तिनापुर-बिजनौर रेल लाइन को शायद फिर ग्रहण लग गया। चक्रवर्ती सम्राटों की राजधानी कहा जाने वाला हस्तिनापुर आज दुनिया से कटा हुआ है। इस रुट पर लाइन की मांग मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर जिलों के लोग आजादी के बाद से कर रहे हैं।
करना पड़ता है दिक्कतों का सामना
आइआइटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने वाले गणित के शिक्षक विपिन चौधरी बताते हैं कि उन्हें दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, भोपाल में कक्षाएं लेने के लिए जाना पड़ता है। मेरठ से कोई सुविधाजनक ट्रेन इन शहरों के लिए नहीं है। दिल्ली से बाकी शहरों के लिए सफर आसान होता है। लेकिन दिल्ली से मेरठ आने में पसीने छूट जाते हैं। मेरठ-पानीपत-करनाल-कैथल, शामली की नई रेल लाइन फिर कागजों में ही दबी रह गई। इस लाइन के लिए तीन साल पहले सुरेश प्रभु ने 22 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। वहीं, दिल्ली-शामली-सहारपुर लाइन के दोहरीकरण के लिए 15 सौ करोड़ की घोषणा हुई थी। लेकिन शुक्रवार को आए बजट से मेरठ पूरी तरह मायूस है। इन तीन वर्षो में यह लाइन सर्वेक्षण से बाहर नहीं निकल पाई।
शाप से नहीं उबर पाया हस्तिानपुर
मेरठ-हस्तिनापुर-बिजनौर रेल लाइन को शायद फिर ग्रहण लग गया। चक्रवर्ती सम्राटों की राजधानी कहा जाने वाला हस्तिनापुर आज दुनिया से कटा हुआ है। इस रुट पर लाइन की मांग मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर जिलों के लोग आजादी के बाद से कर रहे हैं।
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