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हस्‍ितनापुर के कूप में मिला अमृत, स्‍नान मात्र से ही दूर हो जाएंगे रोग

हस्‍तिनापुर के उल्‍टा खेरा टीले के जल में चर्मरोग समेत 14 रोगों से निजात दिलाने वाले तत्व हैं। टीले पर स्थित चार जलस्रोतों पर शोध किया गया।

By Taruna TayalEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 12:56 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 12:56 PM (IST)
हस्‍ितनापुर के कूप में मिला अमृत, स्‍नान मात्र से ही दूर हो जाएंगे रोग

मेरठ (जेएनएन)। हस्तिनापुर स्थित महाभारत कालीन उल्टा खेरा टीला (पांडव टीला) पर स्थित कूप का जल वाकई में अमृत है। इसमें चर्म रोगों समेत कई रोगों से निजात दिलाने वाले तत्व मौजूद हैं। शोभित यूनिवर्सिटी में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियांक भारती ने अपने शोध में यह दावा किया है। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल फॉर रिसर्च इन एप्लाइड साइंस एंड इंजीनियङ्क्षरग टेक्नोलॉजी में इसी माह प्रकाशित हुआ है। मान्यता है कि हस्तिनापुर के उल्टा खेरा टीला पर स्थित कूप में स्नान करने से चर्मरोग दूर हो जाते हैं। इसके चलते इसे अमृत कूप भी कहते हैं। इसका वैज्ञानिक महत्व जानने के लिए उल्टा खेरा टीला पर मौजूद चार जल स्रोतों से जल के नमूने लिए गए। एक नमूना कूप जल का लिया जबकि तीन नमूने सौ-डेढ़ सौ मीटर के दायरे में मौजूद पीर के समीप, रघुनाथ महल और जयंती माता शक्तिपीठ स्थित हैंडपंप से लिए। शोभित यूनिवर्सिटी की बायोटेक्नोलॉजी लैब में नमूनों का 14 पैरा मीटर पर परीक्षण हुआ।

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शोध में हुआ खुलासा

शोध मेंं पाया गया कि चारों जलस्रोतों में से केवल अमृत कूप के जल में आयरन, पोटैशियम, सल्फर, फास्फोरस और फ्लोराइड आदि तत्व मौजूद हैं। यह जल एंटी फंगल, एंटी बैक्टीरियल होने के साथ 14 चर्मरोगों को ठीक करने में सक्षम है। वहीं तीनों हैंडपंप के जल में पीएच वैल्यू तो मिनरल वाटर के बराबर मिली लेकिन सल्फर, पोटैशियम और फास्फोरस आदि तत्व नहीं पाए गए। शोधार्थी का कहना है कि इससे कूप के जल से जुड़ी सदियों पुरानी मान्यता सही साबित होती है।
द्वारिका में मिले सूक्ष्म जीव यहां भी
शोधार्थी का दावा है कि यहां पर द्वारिका के जल में मिले सूक्ष्म जीव भी देखे गए हैं। लैब में ऊं की आकृति की ग्राम पाजिटिव बैक्टीरिया की कालोनी देखी गई है, जो तीन-चार हजार पुरानी इमारतों में पाए जाते हैं। रिपोर्ट आने पर कई रहस्य उजागर होंगे।
एएसआई को भेजेंगे रिपोर्ट
शोधार्थी ने कहा कि अमृत कूप को बचाने व इसके जल की महत्ता को बताने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को रिपोर्ट भेजी जाएगी। दावा है कि आसपास के इलाकों में कुछ जगह यही तत्व मिल सकते हैं, क्योंकि महाभारतकाल में श्रीकृष्ण ने विदुर की कुटिया में बथुआ का साग खाया था और बथुआ इन्हीं तत्वों में पैदा होता है।
शोध के नतीजे
पैरामीटर्स मिला स्तर
पीएच                6.1
जल की कठोरता      825
विशिष्ट चालकता    1.06
खारापन             0.82
तापमान              34.3
घुली ऑक्सीजन      6.1
गंदलापन            06
सल्फेट              560.75
आयरन              01
फ्लोराइड           1.02
पोटैशियम          मौजूद
फॉस्फोरस          मौजूद  


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