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हर दिन एक नई शुरुआत की कोशिश

लॉकडाउन में घर में रहते हुए बोर होने की जरूरत नहीं है। घर पर भी बहुत काम हैं जिन्हें करने लगें तो वक्त का पता भी नहीं चलेगा। ऐसा हो भी रहा है। शहर में टीनएजर्स व युवक-युवतियां घर पर रहते हुए बहुत कुछ कर रहे हैं। उनका दिन केवल मोबाइल और टीवी में ही व्यतीत नहीं हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Apr 2020 07:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 07:00 AM (IST)
हर दिन एक नई शुरुआत की कोशिश

मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन में घर में रहते हुए बोर होने की जरूरत नहीं है। घर पर भी बहुत काम हैं, जिन्हें करने लगें तो वक्त का पता भी नहीं चलेगा। ऐसा हो भी रहा है। शहर में टीनएजर्स व युवक-युवतियां घर पर रहते हुए बहुत कुछ कर रहे हैं। उनका दिन केवल मोबाइल और टीवी में ही व्यतीत नहीं हो रहा है। वे कई रचनात्मक कार्य भी कर रहे हैं। कुछ युवा हर दिन कुछ नया करने की कोशिश में भी जुटे हैं। कुछ की कहानी पढि़ए.. नवरंगों से जीवन का श्रृंगार कर

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मैं आइआइएमटी विश्वविद्यालय में लॉ की छात्रा हूं। नए-नए विषयों पर लेखन मेरी दिनचर्या में शामिल है। इस वैश्विक महामारी में शारीरिक दूरी, स्वच्छता, मानसिक संबल ग्रहण करना अति आवश्यक है। मेरी पहली किताब लीव मी बेहया.. जो युवाओं पर लिखी गई है। अब अपने दूसरे उपन्यास पर सामाजिक गतिविधियों को करीब से महसूस कर गहन चितन के बाद लिखना शुरू करूंगी। रामचरित मानस, गीता व चाणक्य नीति पढ़ रही हूं। अध्यात्म से जुड़कर आत्मचितन कर रही हूं। यह सब कुछ पहले भाग-दौड़ की वजह से नहीं हो पाता था, जो लॉकडाउन के चलते संभव हो पाया है। मैं अपने लेखन के माध्यम से सोशल मीडिया के सहारे जनता को जागरूक कर सकारात्मकता लाने का संपूर्ण प्रयास कर रही हूं। छोटी-छोटी वीडियो के माध्यम से अच्छे संदेश, कविता व शायरी कर रही हूं, जिससे लोग जुड़ रहे हैं। इस समय जो युवा पीढ़ी कहानियों, किताबों, अखबारों, कविताओं, अध्यात्म, संस्कृति से दूर होती जा रही है, उनको जोड़ने के लिए यूट्यूब पर कहानियों का सिलसिला भी शुरू किया है। इसमें कहानियों के माध्यम से युवाओं को समझाने का प्रयास करती हूं। पढ़ाई के साथ मैं समाजसेवा से भी जुड़ी हूं। अंत में मैं तो यही कहूंगी कि क्या खोया क्या पाया, इस पर न विचार कर पुन: नव रंगों से, इस जीवन का श्रृंगार कर।

-एकादशी त्रिपाठी, रजबन बड़ा बाजार, मेरठ कैंट बहुत कुछ सीखने को मिल रहा : सलोनी

मैं आरजी पीजी कॉलेज में बीकाम फाइनल ईयर की छात्रा हूं। 17 मार्च को मेरा पहला पेपर हुआ था। मैं खुश थी कि पेपर अपने निर्धारित समय पर पूरा हो जाएगा। जब मुझे पता चला कि मेरठ सहित पूरे देश में लॉकडाउन होने जा रहा है। इसके साथ ही पेपर स्थगित होने की सूचना आई तो मूड ही खराब हो गया। बहुत गुस्सा भी आया था, लेकिन वायरस के संक्रमण की आशंका को देखकर अब लगता है कि लॉकडाउन ही एक मात्र विकल्प बचा था। घर पर अब पेपर की तैयारी चल रही है। साथ ही पापा रामायण और महाभारत की कहानी सुनाते हैं। पहले समय नहीं मिलता था। अब मैं मम्मी के साथ किचन में भी हाथ बंटा पाती हूं। हम लोग घर में गेम्स भी खेलते हैं। खास बात और मैंने घर पर सैनिटाइजर बनाना शुरू कर दिया है। मेरे दादाजी बीमार रहते हैं, उनकी सेवा करने का मौका भी मिला है। इस लॉकडाउन ने बहुत कुछ सिखाया है।

-सलोनी राणा, पूठ खास, मेरठ। अपनी कहानी, फोटो के साथ ईमेल कीजिए

अगर आप इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, इंजीनियरिग कॉलेज व सीए आदि की पढ़ाई करते हैं। लॉकडाउन में किस तरह से समय बिता रहे हैं? क्या कुछ नया सीखने का प्रयास कर रहे हैं? टीवी और मोबाइल छोड़कर घर पर रहते हुए रचनात्मक कार्य के अनुभव कैसे हैं? आदि विषयों को बताना चाहते हैं तो ईमेल पर लिखकर अपनी फोटो के साथ भेज सकते हैं।

ईमेल ष्द्धद्बद्गद्घह्मद्गश्चश्रह्मह्लद्गह्म@द्वह्मह्ल.द्भड्डद्दह्मड्डठ्ठ.ष्श्रद्व


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