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तीमारदारों का बुरा हाल, कैसा है मरीज, पूछ रहे बस यही सवाल

कोरोना से संक्रमित मरीजों का उपचार कराना आमजन के लिए काफी दिक्कतों से भरा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 03:45 AM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 03:45 AM (IST)
तीमारदारों का बुरा हाल, कैसा है मरीज, पूछ रहे बस यही सवाल
तीमारदारों का बुरा हाल, कैसा है मरीज, पूछ रहे बस यही सवाल

मेरठ,जेएनएन। कोरोना से संक्रमित मरीजों का उपचार कराना आमजन के लिए काफी दिक्कतों से भरा हुआ है। मेरठ के साथ पड़ोसी जनपदों के संक्रमित मरीजों को लेकर स्वजन शहर के निजी अस्पताल और मेडिकल कालेज में पहुंच रहे हैं। यहां घंटों भटकने और सिफारिश के बाद मरीज को भर्ती किया जा रहा है। उधर, भर्ती होने के कई दिन बाद भी मरीज के इलाज और उसकी सेहत के संबंध में जानकारी न मिल पाने से स्वजन काफी परेशान हैं। संक्रमित मरीज का उपचार करा रहे कई स्वजन से बातचीत की गई तो उनकी पीड़ा सामने आई।

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बोले तीमारदार

गढ़ रोड स्थित एक निजी अस्पताल में नौ अप्रैल को पिताजी को भर्ती कराया था। तब से चिकित्सक बस यही बता रहे हैं कि उपचार चल रहा है। मरीज को दूर से भी देखने नहीं दिया जा रहा है। मोबाइल पर बातचीत तक नहीं कराई जा रही। ऐसे में हर दिन अस्पताल के बाहर बैठकर उनके ठीक होने का इंतजार करते हैं।

-अंकित अरोड़ा, थापरनगर

पांच दिन पहले पत्नी को संक्रमित होने पर मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। भर्ती कराने से पहले घंटों यहां-वहां चक्कर काटे और सिफारिश भी लगाई। पहले बेड खाली न होना बताया गया, फिर किसी प्रकार भर्ती किया। अब पांच दिन बाद मरीज की हालत कैसी है, कुछ पता नहीं है। चिकित्सक उपचार करने की बात कहकर टाल देते हैं।

-राजेंद्र त्यागी, मवाना

तीन दिन पहले संक्रमित होने पर पति को गाजियाबाद से मेडिकल कालेज में लेकर पहुंचे थे। यहां घंटों बाद किसी प्रकार भर्ती किया गया। चिकित्सकों ने बताया कि उपचार चल रहा है। देखने दिया जा रहा है न बातचीत कराई जा रही है। अब पता नहीं अंदर कैसा उपचार चल रहा है। परिवार के सभी सदस्य काफी चिंतित हैं।

-पूजा रानी, गाजियाबाद

मुजफ्फरनगर में उपचार कराया गया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद संक्रमित स्वजन को लेकर मेरठ पहुंचे और यहां गढ़ रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। निजी अस्पताल में भर्ती करने से पहले तमाम बहाने और शर्ते सामने रख दी गई। अब मरीज कैसा है कुछ पता नहीं चल पा रहा है।

-सतीश शर्मा, मुजफ्फरनगर


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