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वाह रे वाह ये उद्यमी नौकरी देता है और स्वरोजगार भी

सजल अपने करियर और बेरोजगार युवाओं के भविष्य को लेकर सजग हैं। मानो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात मान ली हो.. छोटा ही सही पर खुद के उद्यम के सीईओ बन गए हैं, कई लोगों को नौकरी दे दी है तो वहीं बेरोजगारों को उसी उद्यम की राह दिखा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 06:00 AM (IST)
वाह रे वाह ये उद्यमी नौकरी देता है और स्वरोजगार भी
वाह रे वाह ये उद्यमी नौकरी देता है और स्वरोजगार भी

मेरठ । सजल अपने करियर और बेरोजगार युवाओं के भविष्य को लेकर सजग हैं। मानो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात मान ली हो.. छोटा ही सही पर खुद के उद्यम के सीईओ बन गए हैं, कई लोगों को नौकरी दे दी है तो वहीं बेरोजगारों को उसी उद्यम की राह दिखा रहे हैं। प्रोडक्शन से लेकर मार्केटिंग में सहायता में कर रहे हैं।

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बांबे बाजार निवासी सजल अभी महज साल के हैं। बीकॉम के बाद नौकरी करने लगे। अहमदाबाद जाने का मौका मिला तो वहां के औद्योगिक प्रगति से खासा प्रभावित हुए। प्रधानमंत्री के मन की बात भी मन में घर किए हुई थी, सो अपना उद्यम करने की योजना बना डाली। कम पूंजी सीधा मुनाफा और पर्यावरण फ्रेंडली काम दिखा तो उन्हें जंच गया। यह काम है वेस्ट मैटेरियल से बनी वेलवेट कोटेड पेंसिल। उन्होंने कुछ माह पहले अपने घर में ही वेलवेट कोटेड पेंसिल बनाने का काम शुरू किया है। इसमें कई लोगों को रोजगार मिल चुका है। पेंसिल बेचने के लिए कई युवाओं की मार्केटिंग टीम भी बना ली है। बात अपने रोजगार या उद्यम तक ही सीमित नहीं है। वह इस उद्यम को अन्य युवाओं को करने की सलाह देते हैं और उसमें मदद करते हैं। इस तरह की पेंसिल बनाने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली मशीन की कीमत मामूली है और उसे चलाने या पेंसिल बनाने के लिए विशेष योग्यता की भी जरूरत नहीं। उनके सहयोग से मेरठ व अन्य जनपद के ही चार युवाओं ने उस मशीन को खरीद कर अपना उद्यम शुरू कर दिया है।

वेलवेट पेंसिल की है मांग, जुड़ रहे युवा

लकड़ी वाली पेंसिल की जगह सजल वेस्ट मैटेरियल से पेंसिल तैयार करते हैं। इसमें लकड़ी का प्रयोग नहीं होता। यही नहीं पेंसिल पर वेलवेट की परत चढ़ी होती है। इससे यह पेंसिल दिखने में आकर्षक और पकड़ने में अच्छी होती है। कीमत भी अन्य पेंसिल के ही समान है। बच्चे इसे पसंद करते हैं ऐसे में तमाम युवा उनसे होलसेल दर पर पेंसिल लेते हैं और स्कूलों-बुक स्टोरों से संपर्क करने पहुंच जाते हैं। सजल ने स्कूलों को भी चिन्हित किया है जिससे युवाओं को मदद मिल जाती है।


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