चक्कर लगाइए जनाब...ये एमडीए के प्लाट हैं
प्लाट पर कब्जा व रजिस्ट्री के लिए आवंटी चक्कर काटते हैं। किसी के प्लाट पर दूसरे का कब्जा तो किसी की जमीन कम है।
मेरठ (जेएनएन)। एमडीए में रोजाना ऐसे लोग चक्कर काटते हुए दिखाई देते हैं जिन्होंने वर्षों पहले प्लाट लिया था लेकिन उसका समाधान अब तक नहीं किया।
शताब्दीनगर व गंगानगर एक्सटेंशन में प्लाट न मिलने से भी हजारों लोग वर्षो से चक्कर काट रहे हैं मगर उसमें समस्या यह है कि उन्हें तो किसानों के कब्जे की वजह से प्लाट नहीं मिल पा रहा है। उनके अलावा दूसरे लोग भी परेशान हैं जिनके प्लाट किसानों की वजह से प्रभावित नहीं हैं। यहां ऐसे मामले भी आते हैं जिन्हें विकास न होने की वजह से कब्जा नहीं दिया जा रहा। फर्जी एटार्नी के जरिए आवंटी का प्लाट किसी को भी फर्जी तरीके से बेचने के कई मामले पकड़े जा चुके हैं जिसमें कई लिपिक बर्खास्त भी हुए हैं।
केस नं. एक:
वर्षों पहले पहले गंगानगर बी ब्लॉक में एक व्यक्ति ने 55 वर्ग मीटर का प्लाट की रजिस्ट्री कराई। जब वह प्लाट पर कब्जा लेने गया तो वहां उस नंबर का प्लाट ही गायब था। एमडीए ने बाद में उसे 30 मीटर का प्लाट अन्य स्थान पर दिखाया। उस पर भी बात नहीं बनी। तो तीसरा प्लाट दिखाया गया है।
दिक्कत :
बार-बार प्लाट बदला गया। और अब रजिस्ट्री शुल्क फिर से चुकाना पड़ सकता है।
केस नं. दो :
2008 में एक व्यक्ति ने सैनिक विहार में प्लाट की रजिस्ट्री कराई और कब्जा भी ले लिया। अब जब वह वहां मकान बनाने पहुंचे तो जमीन नौ मीटर कम निकली। अब वह एमडीए के चक्कर काट रहे हैं।
दिक्कत :
प्लाट का क्षेत्रफल कम मिला। पड़ोस में मकान बन गए हैं इसलिए कम जमीन में समझौता करना पड़ेगा। दूसरा प्लाट लेने का विचार आया तो फिर चक्कर काटने पड़ेंगे।
इन्होंने कहा...
जो भी प्रकरण मेरे संज्ञान में आता है उसका तत्काल समाधान कराया जाता है। किसी भी आवंटी को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
- साहब सिंह, वीसी एमडीए