..तो ईपीसी विधि से होगा कांवड़ गंगनहर पटरी का निर्माण
शासन को फाइनल डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भेजने के बाद कांवड गंगनहर पटरी को ईपीसी (इंजीनियरिग प्रोक्यूरमेंट एंड कंस्ट्रकशन) विधि से निर्माण करने कर विचार किया जा रहा है।
मेरठ, जेएनएन। शासन को फाइनल डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भेजने के बाद कांवड गंगनहर पटरी को ईपीसी (इंजीनियरिग प्रोक्यूरमेंट एंड कंस्ट्रकशन) विधि से निर्माण करने कर विचार किया जा रहा है। यदि ईपीसी विधि से गंगनहर पटरी का निर्माण होता है तो बाहरी कंपनी डिजाइन से लेकर निर्माण व टोल की तर्ज पर वसूली की सभी योजना अपनी जिम्मेदारी पर तय करेगी। बतादें कि लोक निर्माण विभाग निर्माण के निर्माण खंड भवन ने सेतु निगम व सिंचाई निगम से एस्टीमेट लेने के बाद शासन को तीनों जनपदों में 694 करोड़ लागत की डीपीआर भेजी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चौ. चरण सिंह कांवड़ गंगनहर पटरी मार्ग के दोहरीकरण की घोषणा की थी। यह मार्ग मोदीनगर से मंगलौर तक 114 किमी है। शासन के निर्देश पर लोक निर्माण विभाग मेरठ ने इसके बाई व दाई दोनों ओर का एस्टीमेट बनाकर भेजा था। जिस पर मुख्यालय ने दाई ओर की पटरी को दोहरीकरण करने के लिए स्वीकृत कर मुहर लगा दी थी। इसमें गंगनहर के पटरी से 7 मीटर छोड़कर टू-लेन सड़क का निर्माण होगा। सेतु निगम की सबसे ज्यादा लागत
शासन मुख्यालय को भेजी गई डीपीआर में तीनों विभागों का तीनों जनपदों में 694.78 करोड़ का खर्च अनुमानित है। इसमें सबसे अधिक खर्च सेतु निगम ने बताया है, जिसकी धनराशि 149.13 करोड़ है। अधिकारियों का कहना है कि गाजियाबाद, मेरठ व मुजफ्फरनगर में गंगनहर के उपर बाई व दाई ओर सड़कों को एक-दूसरे रूट पर डायवर्ट करने के लिए दस ओवरब्रिज बनाए जाएंगे। ईपीसी विधि जानिए -
ईपीसी का हिदी में अनुवाद इंजीनियरिग प्रोक्यूरमेंट एंड कंस्ट्रकशन है। इस विधि में पूरे प्रोजेक्ट को डिजाइन से लेकर निर्माण तक की तैयारी कंपनी की होती है। इसमें टोल वसूली भी शामिल होती है।