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नेशनल से खेलो इंडिया तक होती है इनके गोल्डेन पंचों की चर्चा, दमदार- मेरठ का यह बाक्सिंग खिलाड़ी

जिले से प्रदेश प्रदेश से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दमदार मुक्केबाजी के साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले सुनील चोहान इनविटेशनल ओपन बाक्सिंग प्रतियोगिता के साथ ही खेलो इंडिया यूनवर्सिटी गेम्स में भी स्वर्ण पदक पर मुक्‍का जड़ चुके हैं ।

By Himanshu DwivediEdited By: Published: Thu, 25 Feb 2021 01:19 PM (IST)Updated: Thu, 25 Feb 2021 01:19 PM (IST)
नेशनल से खेलो इंडिया तक होती है इनके गोल्डेन पंचों की चर्चा, दमदार- मेरठ का यह बाक्सिंग खिलाड़ी
मेरठ के बाक्सिंग खिलाड़ी सुनील चौहान ।

[अमित तिवारी] मेरठ। मनुष्य के जीवन, उसके व्यक्तित्व, आचरण व व्यवहार पर आसपास के माहौल का पूरा असर पड़ता है। तभी तो पिता के साथ कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम में रहने और अभ्यास में तल्लीन सुनील चौहान भी मुक्केबाजी को ही जीते हैं। यह उनके रग-रग में रमा-बसा है। जिले से प्रदेश, प्रदेश से राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दमदार मुक्केबाजी के साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले सुनील चोहान इनविटेशनल ओपन बाक्सिंग प्रतियोगिता के साथ ही खेलो इंडिया यूनवर्सिटी गेम्स में भी स्वर्ण पदक पर मुक्‍का जड़ चुके हैं। अब सुनील का लक्ष्य अगली सीनियर नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप है जहां से उन्हें देश के लिए विदेशी माटी पर बाक्सिंग प्रतियोगिता में पदक जीतने का मौका मिलेगा।

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खेलो इंडिया में जीता सोना

लाकडाउन के ठीक पहले ओडिशा में हुई खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में सुनील ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले आन इंडिया यूनवर्सिटी गेम्स बागपत में हुई जिसमें सुनील ने कांस्य पदक जीता था। इसके अलावा सुनील ने साल 2017 सीनियर नेशनल गुवाहाटी, साल 2018 सीनियर नेशनल विशाखापटनम, साल 2019 नवंबर सीनियर नेशनल पुणे और साल 2020 सीनियर नेशनल हिमाचल में भी प्रतिभाग किया। इन प्रतियोगिताओं में पदक से एक कदम पीछे चूक गए। मेडल पुाइट में कड़ी प्रतिस्पर्धा से चूकने के बासद भी सुनील ने अपनी तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी। वह लगातार कठिन परिश्रम कर रहे हैं और अब अगले नसीनियर नेशनल की तैयारी कर रहे हैं। कोविड के कारण स्थगित हुई प्रतियोगिताओं की तिथि अभी जारी नहीं हुई।

नौ गोल्डन पंच के बाद नेशनल में जीता सोना

सुनील चौहान ने साल 2017 में कोलकाता में आयोजित सीनियर नेशनल बाक्सिंग चैंपियनशिप में पहला राष्ट्रीय स्तर्ण पदक जीता। इस स्वर्ण पदक के साथ ही सुनील को बेस्ट बाक्सर का खिताब भी मिला। यह मौका और पहले ही आ जाता लेकिन साल 2013 से 2016 तक चार साल तक बाक्सिंग फेडरेशन प्रतिबंधित रहने के कारण कोई प्रतियोगिता नहीं हो सकी थी। प्रदेश स्तर पर कई स्वर्ण पदक जीतने के बाद सुनील को नेशनल में स्वर्ण पदक जीतने का मौका मिला। कोलकाता की प्रतियोगिता के एक महीने पहले सुनील चौहान ने विशाखापटनम में आयोजित सीनियर नेशनल ब्ज्ञक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था। क्वार्टर फाइनल में दमदार प्रदर्शन करते हुए सुनील ने पंजाब के धीरेंद्र को कड़ी टक्कर दी। फाइट दो-दो की बराबरी पर चल रही थी लेकिन अंतिम क्षणों में पुाइट के दौरान नियमों की गणित में निर्णय धीरेंद्र की ओर गया और सुनील 3:2 से मैच हार गए। लेकिन इसके बाद और कठिन परिश्रम के बाद सुनील ने कोलकाता के सीनियर नेशनल में 60 किलो भार वर्ग में सुनील ने धीरेंद्र को 5:0 के गोल्डन पंच के साथ फाइनल मुकाबला जीत लिया।

प्रदेश में लगातार रहा है दबदबा

सुनील चौहान ने प्रदेश स्तरीय बाक्सिंग प्रतियोगिताओं में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया है। सुनील ने स्टेडियम में साल 2010 में बाकसिंग का प्रशिक्षण शुरू किया था। उस समय सुनील की उम्र 11 साल थी। उन्होंने प्रदेश स्तर पर पहला स्वर्ण पदक उसी साल जीता था। इसके बाद साल 2012 में दो स्वर्ण, 2013 में स्वर्ण, 2014 में दो स्वर्ण और साल 2015 से 2017 तक हर साल प्रदेश स्तर की प्रतियोगिता में अपने भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतते रहे। सुनील ने साल 2013 और 2014 में स्कूल नेशनल बाक्सिंग प्रतियोगिता में भी कांस्य पदक जीता था।

मार्गदर्शन ने बदला रास्ता

सुनील चौहान के पिता अक्षय लाल चौहान स्टेडियम के हास्टल खिलाड़ियों के लिए बने मेस में कुक हैं। सुनील छोटी उम्र से ही पिता व भाई के साथ स्टेडियम में ही रहे हैं। वहीं से पढ़ाई भी की। साल 2017 में गांधी मेमोरियल इंटर कालेज किठौर से 12वीं उत्तीर्ण की। स्टेडियम में बाक्सिंग के खिलाड़ियों का प्रशिक्षण देखते हुए उन्हें भी बाक्सिंग खेलने का मन हुआ। स्टेउियम में रहने वाले सभी बाक्सिंग कोचेज ने सुनील का मार्गदर्शन व प्रोत्साहन किया जिससे उनके भी खेल में निखार आता गया। लाकडाउन के दौरान प्रशिक्षण के साथ ही आय का स्त्रोत भी बंद होने के बाद सुनील ने भाई के साथ सब्जी का ठेला लगाया। इस पर दैनिक जागरण में प्रमुखता से प्रकाशित खबर के बाद खेल मंत्री किरण रिजिजु ने दोनों भाइयों को पांच-पांच लाख रुपये की मदद राशि प्रदान की थी। सुनील के भाई भी तीरंदाज हैं और स्टेडियम में ही प्रशिक्षण करते हैं। 


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