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पांच भूमिगत जलाशय दूर करेंगे शहर का जल संकट

केंद्र सरकार के जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना (जेएनएनयूआरएम) के गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत शहर में जल संकट समाप्त करने के लिए विभिन्न स्थानों पर पांच भूमिगत जलाशय निर्मित किए गए थे।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 06:25 AM (IST)
पांच भूमिगत जलाशय दूर करेंगे शहर का जल संकट

मेरठ। केंद्र सरकार के जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना (जेएनएनयूआरएम) के गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत शहर में जल संकट समाप्त करने के लिए विभिन्न स्थानों पर पांच भूमिगत जलाशय निर्मित किए गए थे। पांच हजार किलो लीटर (50 लाख लीटर) क्षमता के इन जलाशयों को नगर निगम ने कार्यदायी एजेंसी से ले तो लिया, लेकिन इन्हें शुरू नहीं किया। इसलिए 20 करोड़ से अधिक लागत से बने इन जलाशयों का शहरवासियों को कोई लाभ नहीं मिल सका। अब जल निगम की यांत्रिक शाखा ने इन्हें शुरू करने की तैयारी की है। इनकी मरम्मत और सफाई करके चालू किया जाएगा। इससे शहर में हमेशा 50 लाख लीटर पेयजल उपलब्ध रहेगा।

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गंगाजल आया न नलकूप का पानी

गंगाजल प्रोजेक्ट के तहत भोला की झाल पर 100 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया गया था। वहां से शहर में ट्रंक लाइन बिछाई गई थी। दो दर्जन से अधिक नए नलकूप स्थापित किए गए। नए ओवरहेड और भूमिगत जलाशय बनाए गए। टाउन हाल और सर्किट हाउस के पुराने भूमिगत जलाशय को सुधारा गया। इन दोनों के साथ-साथ पीएल शर्मा स्मारक और विकासपुरी में नए भूमिगत जलाशय में गंगाजल की आपूर्ति दी गई। जबकि पांच अन्य स्थानों पर बनाए गए भूमिगत जलाशय में पानी आसपास के नलकूप से भरा जाना था। बच्चा पार्क, शास्त्रीनगर, नौचंदी, माधवपुरम और प्रहलाद नगर (सूत मार्केट गोला कुआं) में बने पांच हजार किलो लीटर (50 लाख लीटर) क्षमता के भूमिगत जलाशय को नगर निगम ने ले तो लिया, लेकिन उन्हें शुरू नहीं किया। चार साल में भी इनमें एक बूंद पानी की नहीं पहुंची।

कौन भरेगा पानी, कटवा दिए कनेक्शन

पांचों जलाशय में आसपास के नलकूपों से रातभर में पानी भरकर सुबह से पानी की शहर में आपूर्ति शुरू करने की व्यवस्था बनाई गई थी। यह व्यवस्था निगम अफसर और कर्मचारियों को पसंद नहीं आई। लिहाजा उन्होंने इन्हें चालू ही नहीं किया। यहां तक कि इनमें स्थापित बिजली के कनेक्शन भी कटवा दिए गए।

सूत मार्केट में कूड़े के ढेर पर जलाशय

सूत मार्केट में प्रहलादनगर के नाम से निर्मित भूमिगत जलाशय पर शुरू से ही विवाद था। इसकी जमीन पर कूड़ाघर बना था। कूड़ाघर पर भूमिगत जलाशय का विरोध किया गया। मामला हाई कोर्ट तक भी पहुंचा, लेकिन फिर भी जलाशय बना दिया गया।

अब जल्द शुरू होगी जलापूर्ति

लंबी जद्दोजहद के बाद नगर निगम प्रशासन इन भूमिगत जलाशयों को शुरू करने को तैयार हो गया है। इनकी मरम्मत और सफाई करके चालू करने की जिम्मेदारी जल निगम की यांत्रिक शाखा को सौंपी गई है। जल निगम अफसरों ने काम भी शुरू कर दिया है। उनका दावा है कि 30 मई तक पांचों जलाशय को शुरू कर दिया जाएगा। इन्हें पहले नलकूपों से भरा जाएगा। उसके बाद इन्हीं से संबंधित क्षेत्र को जलापूर्ति की जाएगी।

स्काडा सिस्टम से बिना आपरेटर चलेंगे

जल निगम ने इन पांचों जलाशय को भी नलकूपों की भांति स्काडा सिस्टम से चलाने की तैयारी की है। इस आटोमेटिक सिस्टम से ये जलाशय बिना आपरेटर काम करेंगे। खुल चलेंगे और खुद बंद हो जाएंगे। इन्होंने कहा

कई साल से इन जलाशयों को उपेक्षित करके रखा गया था। ये शहर के लिए वरदान साबित होंगे। इनमें हमेशा 50 लाख लीटर पानी उपलब्ध रहेगी। हम 30 मई तक इन सभी को शुरू कर देंगे।

अमित सहरावत, एक्सईएन, जल निगम यांत्रिक शाखा

भूमिगत जलाशय और उनकी क्षमता

जलाशय का नाम क्षमता लीटर में

बच्चा पार्क 5.50 लाख

शास्त्रीनगर 5.50 लाख

नौचंदी 5.50 लाख

माधवपुरम 27.50 लाख

प्रहलादनगर 6.00 लाख


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