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14 साल बाद भी विक्टोरिया पार्क कांड के पीड़ितों को न्याय का इंतजार Meerut News

14 साल बाद भी अभी त‍क विक्‍टोरिया पार्क कांड में पीडितों को न्‍याय नहीं मिल पाया है। अब आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से है जहां यह मामला लंबे समय से विचाराधीन है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 02:00 PM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 02:00 PM (IST)
14 साल बाद भी विक्टोरिया पार्क कांड के पीड़ितों को न्याय का इंतजार Meerut News

मेरठ, जेएनएन। पल भर में सबकुछ खाक कर देने वाली विक्टोरिया पार्क अग्निकांड की शुक्रवार को 14 साल पूरे हो जाएंगे। लेकिन पीड़ितों को अब भी इंसाफ का इंतजार है। पीड़ितों का कहना है कि अग्निकांड के जो भी आरोपी हैं उन्हें छूट दी गई। इस अग्निकांड के पीड़ितों के जख्मों पर सरकार और आयोग भी मरहम नहीं लगा सके। अब आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से है जहां यह मामला लंबे समय से विचाराधीन है।

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दस अप्रैल 2006 को विक्टोरिया पार्क में लगाए गए कंच्यूमर मेले में भीषण आग लगी थी। देखते ही देखते पूरा पंडाल आग का गोला बन गया था। इस आग में 65 लोगों की मौत हो गई थी। 81 लोग गंभीर रूप से तो 85 लोग सामान्य रूप से झुलसे थे। इस प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर न्यायिक आयोग पूर्व जस्टिस एसबी सिन्हा की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है।

तमाम गवाहों और लंबी जांच के बाद इसका निष्कर्ष सामने आया। आयोग ने इस मेले के आयोजकों को घटना के लिए 60 प्रतिशत और सरकारी तंत्र को 40 प्रतिशत दोषी माना। लेकिन पीड़ित लोगों का कहना है कि उन्हें इंसाफ नहीं मिला। पीड़ित पक्ष ने मृतकों के परिजनों के लिए 20-20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी। अब तक पीड़ित पक्ष को राज्य सरकार की तरफ से सात-सात लाख रुपये मुआवजा मिल चुका है।

आज 1000 लोगों का भंडारा करेंगे संजय गुप्ता

विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में मारे गए लोगों की याद में हर वर्ष 10 अप्रैल को विक्टोरिया पार्क में होने वाला यज्ञ-भंडारा इस बार नहीं होगा। विकटोरिया पार्क अग्निकांड संघर्ष समिति के सचिव संजय गुप्ता का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से अग्निकांड पीड़ित परिवारों से घर में रहकर ही हवन करने का आग्रह किया गया है। उन्होंने बताया कि अग्निकांड में मारे गए लोगों की याद में 1000 लोगों के भंडारे का आयोजन सदर थाने में किया जाएगा। यहीं से पुलिस के सहयोग से जरूरतमंदों में भोजन वितरण होगा। उनका कहना है कि पीड़ितों को न्याय सिर्फ मुआवजा से नहीं मिलेगा, दोषियों को सजा होगी तभी असल न्याय होगा। 


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