सबसे छोटे तीरंदाजों में दक्ष का निशाना रहा अचूक
ोल चेतना मेले के अंतर्गत शनिवार को कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में जिला स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में 35 से अधिक तीरंदाजों ने हिस्सा लिया। तीरंदाजों को चार वर्ग में विभाजित किया गया था। इसमें अंडर-9, मिनी सब-जूनियर, सब-जूनियर और सीनियर वर्ग शामिल हैं। तीरंदाजी के प्रति बच्चों का उत्साह देख
मेरठ : खेल चेतना मेले के अंतर्गत शनिवार को कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में जिला स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता में 35 से अधिक तीरंदाजों ने हिस्सा लिया। तीरंदाजों को चार वर्ग में विभाजित किया गया था। इसमें अंडर-9, मिनी सब-जूनियर, सब-जूनियर और सीनियर वर्ग शामिल हैं। तीरंदाजी के प्रति बच्चों का उत्साह देख मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विभाग कार्यवाहक अशोक शर्मा ने प्रोत्साहित किया।
तीरंदाजी की अंडर-9 आयु वर्ग की प्रतियोगिता में स्टेडियम के सबसे छोटे तीरंदाज दक्ष प्रथम स्थान पर रहे। दूसरे व तीसरे स्थान पर टीकरी के अभिषेक व जुनैद विजेता रहे। मिनी सब-जूनियर बालक वर्ग में टीकरी के देवेंद्र प्रथम व स्टेडियम के शिवांश द्वितीय व आशु तीसरे स्थान पर रहे। मिनी सब-जूनियर बालिका वर्ग में स्टेडियम के ताशु प्रथम व सृष्टि द्वितीय रही। सब-जूनियर बालक वर्ग में सत्यकाम के विक्रांत प्रथम, स्टेडियम के मनीष द्वितीय व सत्यकाम के श्रेयांश तीसरे स्थान पर रहे। जूनियर बालक वर्ग में स्टेडियम के दानिश प्रथम, विकास द्वितीय व मोनू पाल तृतीय रहे। सीनियर बालक वर्ग में स्टेडियम के प्रिंस प्रथम, अंकित द्वितीय व सागर तृतीय रहे। सीनियर बालिका वर्ग में स्टेडियम की अनिता प्रथम व कश्तिना द्वितीय रहीं। सुविधा को तरस रहे स्टेडियम के तीरंदाज
बेहतर ट्रेनिंग के लिए स्टेडियम के तीरंदाजों का संघर्ष समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले ढाई सालों से स्टेडियम को कोई भी तीरंदाजी कोच ऐसा नहीं मिला जो पूरे सत्र में मौजूद रह पाया हो। साई में अवसर मिलने पर एक कोच स्टेडियम का एडहॉक कोच का पद छोड़ गए। काफी इंतजार के बाद अब एक महिला कोच मिली तो खिलाड़ी संसाधन से जूझ रहे हैं। तीरंदाज जिन टारगेट पर निशाना साध रहे हैं वे काफी पुराने हो गए हैं। अक्सर तीरंदाजों के तीर टारगेट को भेद कर पीछे निकल जाती है। इससे ट्रेनिंग के समय खिलाड़ियों को अधिक सावधान रहना पड़ता है जिससे किसी अन्य खेल का खिलाड़ी जख्मी न हो जाए।