मेरठ में एंबुलेंस का किराया तय करने के बाद भी बेहिसाब वसूले जा रहे दाम, व्यवस्था का बनाया मजाक
मेरठ जिला प्रशासन ने एंबुलेंस पर शिकंजा कसते हुए किराया निर्धारित कर दिया था। जिसके बाद इसकी एक व्यवस्था बनाई गई थी लेकिन इस व्यवस्था को ताख पर रखकर श्मशान तक शव ले जाने के नाम पर स्वजन से बेहिसाब किराया वसूला जा रहा है।
मेरठ, जेएनएन। एंबुलेंस चालक और संचालकों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए जिला प्रशासन ने किराया निर्धारित किया और निगरानी के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी भी दी। प्रशासन के इस कदम से आमजन को उत्पीड़न से मुक्ति मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन जिम्मेदारों ने हालात में सुधार करने बजाए व्यवस्था का मजाक बनाकर रख दिया। इससे हास्यास्पद और क्या हो सकता है कि चार दिन पहले जारी किए गए आदेशों की जानकारी नोडल अधिकारी बनाए गए एसपी ट्रैफिक को ही नहीं दी गई। नतीजा एंबुलेंस चालक अब भी शव को श्मशान तक ले जाने या संक्रमित को अस्पतालों तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया वसूल रहे हैं।
प्रशासन ने कोरोना काल में बेहाल आमजन को राहत देने और एंबुलेंस चालकों व संचालकों की मनमानी रोकने के लिए किराया निर्धारित किया था। आदेशों के अनुसार आक्सीजन रहित, आक्सीजन युक्त और वेंटीलेटर सपोर्ट एंबुलेंस को तीन श्रेणी में बांटकर किराया तय किया गया। साथ ही मनमानी करने पर शिकायत के लिए कंट्रोल रूम का नंबर भी जारी किया और पुलिस अधीक्षक यातायात के साथ संभागीय परिवहन अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया। चार दिन पहले जारी किए गए आदेशों की धरातल पर स्थिति की जांच मंगलवार को की गई तो स्थिति जस की तस सामने आई। बातचीत में तमाम एंबुलेंस चालकों ने पहले तो प्रशासन के किराया निर्धारण की जानकारी से ही इंकार कर दिया। बाद में कुछ ने किराया दर कम करने की बात कही। इन सब के बीच जब निगरानी और कार्रवाई के संबंध में जब नोडल अधिकारी बनाए गए पुलिस अधीक्षक यातायात से बात की गई तो उन्होंने पहले तो खुद को नोडल अधिकारी बनाए जाने की जानकारी से ही इंकार कर दिया। बाद में आदेश पत्र देखने के बाद अपना पक्ष रखा और शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कही। उधर, फिलहाल एंबुलेंस चालकों द्वारा की जा रही मनमानी को रोकने के लिए कोई निगरानी नहीं की जा रही है। अभी कार्रवाई के लिए शिकायत का इंतजार हो रहा है।
पहले नियम-शर्ते पूरी करें फिर होगी वीडियो काल
कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने राहतभरी पहल करते हुए संक्रमित मरीज की उसके स्वजन से बातचीत कराने के लिए वीडियो काल की व्यवस्था मेडिकल कालेज में शुरू कराई और जारी रखने निर्देश भी दिए, लेकिन व्यवस्था शुरू होने के अगले दिन ही जटिल बना दी गई। अब स्वजन को इसका लाभ लेने के लिए चक्कर काटने होंगे। इसका कारण है वीडियो काल के लिए तय किए गए नियम और शर्ते, जिन्हें पूरा करने के लिए स्वजन फिलहाल चक्कर लगा रहे हैं। संक्रमित मरीज का संपर्क अपने स्वजन से कराने के लिए वीडियो काल की शुरुआत सोमवार को की गई। कई स्वजन ने वीडियो काल से मरीज का हाल जाना। मरीजों को भी हौसला मिला। मेडिकल प्रशासन का कहना है कि बड़ी संख्या में यहां मरीज भर्ती हैं, ऐसे में सभी की बातचीत स्वजन से कराना संभव नहीं है। इसलिए कुछ लोगों की बात वीडियो काल पर कराई जा रही है। इसके लिए स्वजन को प्रार्थना पत्र देना होगा, जिसमें मोबाइल नंबर के साथ अपनी व मरीज की जानकारी देने के साथ वीडियो काल पर मरीज से बात की गुहार लगेगी।
संभागीय परिवहन अधिकारी दिनेश कुमार ने बताया कि एंबुलेंस चालकों को समझाया गया है, साथ ही अधिक किराया वसूलने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। अभी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पुलिस अधीक्षक यातायात जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मुङो नोडल अधिकारी बनाए जाने की जानकारी कुछ देर से मिली है। कई एंबुलेंस चालकों के खिलाफ पूर्व में कार्रवाई की जा चुकी है। शिकायत मिलते ही फिर कार्रवाई होगी।