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साहिर की याद ताजा कर गए कलम के बाहुबली

उर्दू की शोखी और अदब जब हिन्दी के लालित्य में घुलता है तो साहित्य का इंद्रधनुष उकर जाता है। अपने शब्दों से फिल्मी गीतों को कुछ ऐसा ही इंद्रघनुषी रंग भरने वाले होनहार गीतकार मनोज मुंतशिर को नये दौर का साहिर लुधियानवी कहा जाता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Aug 2019 05:00 AM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 06:24 AM (IST)
साहिर की याद ताजा कर गए कलम के बाहुबली

मेरठ, जेएनएन : उर्दू की शोखी और अदब जब हिन्दी के लालित्य में घुलता है तो साहित्य का इंद्रधनुष उकर जाता है। अपने शब्दों से फिल्मी गीतों को कुछ ऐसा ही इंद्रघनुषी रंग भरने वाले होनहार गीतकार मनोज मुंतशिर को नये दौर का साहिर लुधियानवी कहा जाता है। उनकी बेहतरीन शायरी और सहज बोलों में ढले गीत 60 के दशक के मजरूह सुल्तानपुरी, शैलेंद्र, शकील बदायूंनी, राजा मेंहदी अली खान और कैफी आजमी जैसे गीतकारों की याद ताजा करते हैं। मेरे रक्शे कमर, तेरी गलियां, कौन तुझे यूं प्यार करेगा, तेरे संग यारा जैसे दर्जनों सुपरहिट गाने देने वाले मनोज की कलम से बाहुबली के रूप में देश की दो सबसे कामयाब मूवी भी निकल चुकी हैं। प्रभा खेतान फाउंडेशन और श्रीसीमेंट के तत्वावधान में मेरठ के लालकुर्ती स्थित होटल क्रिस्टल पैलेस में आयोजित कार्यक्रम कलम में मनोज मुंतशिर ने अपने सफर को दर्शकों के साथ रोमांचक अंदाज में साझा किया। दैनिक जागरण मीडिया पार्टनर की भूमिका में रहा।

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गीत हिट होगा या नहीं..कोई नहीं बता सकता

कलम कार्यक्रम में शुक्रवार शाम मेरठ में मनोज मुंतशिर अपनी किताब मेरी फितरत है मस्ताना..को लेकर साहित्य प्रेमियों से रूबरू हुए। कार्यक्रम का आगाज होटल क्रिस्टल की निदेशिका दीपा गर्ग ने किया। इसके बाद मनोज मुंतशिर मंच पर सोनम महाजन के साथ संवाद करते हुए अपने गीत एवं पटकथा लेखन की यात्रा पर निकल पड़े। उन्होंने कैफी आजमी के फिल्म शोला और शबनम के बोल..जाने क्या ढूंढती रहती हैं ये आंखें मुझमें, और फिल्म जब-जब फूल खिले में आनंद बख्शी के गीत..यहां मै अजनबी हूं को सुनाते हुए अपने प्रेरणा की तह तक गए। फिल्म कबीर सिंह के गाने हिट होने के बारे में पूछने पर साफ किया कि वो अब हिट या फ्लाप के भय में नहीं पड़ते। कई सामान्य गाने बड़े हिट हुए, जबकि कई बेहतरीन गाने लोगों तक नहीं पहुंच सके।

मां के लिए क्या लिखूं..उसने मुझे खुद लिखा है

मां शब्द पर साहित्य लेखन को लेकर मनोज ने कई भावुकता भरे लम्हे सुनाए। केसरी फिल्म का गाना..तू कहती है मेरा चांद है तू, और चांद हमेशा रहता है, सुनाकर मनोज ने गीतों में साहित्य की सुखद वापसी का एहसास कराया। मनोज ने बताया कि वो मुंबई में डेढ़ साल तक फुटपाथ पर सोए, किंतु कभी मां को नहीं बताया। इस संघर्ष में मां एक हजार किमी दूर भी रहकर मेरी ताकत बनी रही।

धोनी से बाहुबली तक

धोनी पर बनी फिल्म के गीतों से लेकर हैदराबाद में बाहुबली की पटकथा लिखने तक के सफर को दिलचस्पी के साथ पेश किया। बताया कि दक्षिण भारतीय फिल्मों को हिन्दी में डब करने की चुनौती वाकई बड़ी थी, किंतु राजामौलि ने भरोसा किया। हम करने में कामयाब रहे। बाहुबली-एक में ..क्या है मूत्यु डायलाग बेहद सराहा गया। मनोज ने बताया कि हालीवुड मूवी ब्लैक पैंथर की कहानी काफी हद तक भारतीय फिल्मों की तरह थी, जिसका डायलाग लिखने में मजा आया।

आमिर खान की विक्रम बेधा में दिखेगा यूपी-मेरठ

मनोज मुंतशिर ने कहा कि उन्होंने आमिर खान की फिल्म विक्रम बेधा की पटकथा लिखी है। ये कहानी लखनऊ, कानपुर और पूर्वाचल के आसपास की है। पटकथा मेरठ तक भी पहुंच सकती है। अजय देवगन की आगामी फिल्म चाणक्य जनवरी 2020 से फ्लोर पर आ जाएगी।

जब बिग बी ने खुद बुलवाया

मनोज ने बताया कि वो फुटपाथ पर सोते थे, जहां एक दिन पेजर पर बिग बी की ओर से संदेश भिजवाया गया। मनोज हैरान हुए..भरोसा भी नहीं हुआ। कौन बनेगा करोड़पति के लिए पटकथा बननी थी। आखिरकार एक होटल में बिग बी से 15 मिनट की मुलाकात वरदान बन गई। फुटपाथ पर रहते हुए हर एपिसोड के लिए 25000 रुपए कमाना बड़ी बात थी, जो फिर रुकी ही नहीं। कार्यक्रम में पहुंचे लोगों ने अपने पसंदीदा गीतकार से तमाम पहलुओं पर चर्चा की। आनंदिता, मेरठ की एहसास वोमन आफ मेरठ गरिमा मिलथल, ईशा दत्ता व एड्रोलाजिस्ट डा. सुनील जिंदल समेत कई अन्य शामिल हुए।


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