नौकरी के नाम पर ठगी का मास्टर माइंड दबोचा
सिंचाई विभाग में सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर कई लोगों से ठगी का आरोपित पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आरोपित सिंचाई विभाग में था। फंसने के डर से 2017 में रिटायरमेंट ले लिया था। आरोपित पांच से छह लाख रुपये लेते थे। जिसके बाद पीड़ितों को प्रशिक्षण और नियुक्ति पत्र भी देते थे।
मेरठ, जेएनएन। सिंचाई विभाग में सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर कई लोगों से ठगी का आरोपित पुलिस के हत्थे चढ़ गया। आरोपित सिंचाई विभाग में था। फंसने के डर से 2017 में रिटायरमेंट ले लिया था। आरोपित पांच से छह लाख रुपये लेते थे। जिसके बाद पीड़ितों को प्रशिक्षण और नियुक्ति पत्र भी देते थे।
कंकरखेड़ा के गोविंदपुरी निवासी संदीप ने 2017 में सिविल लाइंस थाने में ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि 2016 में उसकी मुलाकात एमडीए कर्मचारी राजकुमार से हुई थी। उसने सिंचाई विभाग में सींचपाल के पद पर नौकरी लगवाने की बात की थी। छह लाख रुपये में बात तय हुई थी। शुरू में उससे एक लाख रुपये राजकुमार ने लिए। जिसके बाद उसने खरखौदा थाना क्षेत्र निवासी पिता-पुत्र रोहताश और अमित से मुलाकात कराई। उन्होंने उससे ढाई लाख रुपये लिए। इसके बाद 50 हजार रुपये लखनऊ आने-जाने के नाम पर ले लिए। उसके पास आडियो-वीडियो भी है। उसे फर्जी प्रशिक्षण और नियुक्ति पत्र भी सौंप दिया। राजफाश होने के बाद जब उसने रुपये मांगे तो धमकी दी। साथ ही आत्महत्या के लिए उकसाया। दारोगा रामकुमार ने बताया कि विवेचना के दौरान मास्टर माइंड सुशील कुमार निवासी आर्य नगर प्रीत विहार, थाना लोनी का नाम सामने आया। उसकी तलाश शुरू की गई। शुक्रवार को पुलिस ने मास्टर माइंड और रोहताश को सोहराब गेट से दबोच लिया। उन्होंने बताया कि सुशील ने 2017 में फंसने के डर से गौतमबुद्धनगर से रिटायरमेंट ले लिया था। जांच के दौरान पता चला कि आरोपित 10 से 15 लोगों से नौकरी के नाम पर ठगी कर चुके हैं। प्रति व्यक्ति पांच से छह लाख रुपये लेते थे। गौरतलब है कि संदीप ने ठगी के मामले में राजकुमार, अमित और रोहताश के नाम रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अब राजकुमार और अमित फरार हैं। बाप-बेटा लाते थे 'शिकार'
मेरठ : सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी का धंधा काफी समय से चल रहा था। अमित और रोहताश लोगों को सुशील से मिलाते थे। उन्होंने अपने क्षेत्र के आसपास रहने वाले कई लोगों को सुशील से मिलवाया था। पीड़ितों को पूरी तरह बातों में ले लेते थे। जांच के दौरान सामने आया कि पीड़ितों ने कई लोगों को बिजनौर में दो से तीन महीने तक प्रशिक्षण भी करा दिया था। मामले खुलने के बाद हड़कंप मच गया था। तभी से आरोपित फरार थे। वहीं, मामले के सामने आने पर लखनऊ तक से फोन घनघनाने लगे थे।