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रामकथा के बाद माधव कुंज में स्थापित हुई वाल्मीकि की मूर्ति Meerut News

गुरूवार को भैसाली मैदान में चल रही श्रीराम कथा के साथ महर्षि वाल्‍मीकि की मूर्ति को भव्‍य शोभायात्रा निकाली गई। जिसके बाद मूर्ति को माधव कुंज में स्‍थापित किया गया।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 01:55 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 01:55 PM (IST)
रामकथा के बाद माधव कुंज में स्थापित हुई वाल्मीकि की मूर्ति Meerut News
रामकथा के बाद माधव कुंज में स्थापित हुई वाल्मीकि की मूर्ति Meerut News

मेरठ, जेएनएन। भैसाली मैदान में चल रही श्रीराम कथा के बाद गुरुवार की दोपहर को रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति को भव्य शोभायात्र के साथ माधव कुंज में स्थापित किया गया। भैसाली मैदान में शोभा यात्र का शुभारंभ हुआ। धर्म जागरण समन्वय के तत्वावधान में मुख्य अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल, उप्र संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डा. वाचस्पति मिश्र, सुभाष वाल्मीकि, धर्म जागरण समन्वय के क्षेत्रीय प्रमुख ईश्वर दयाल, कथा के अध्यक्ष विनोद भारतीय, सूर्य प्रकाश टोंक, दिनेश महाजन, मुकेश सिंघल, कमल दत्त शर्मा व संजीव जैन सिक्का ने वाल्मीकि प्रतिमा का पूजन अर्चन कर यात्र का शुभारंभ कराया।

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राम वनवास से देशभक्ति तक सुंदर झांकी

शोभायात्र में बैंड-बाजों के साथ कई आकर्षक व सुंदर झांकी शामिल रहीं। इसमें सबसे पहले गणपति की झांकी आगे रही। उनके पीछे राम के वनवास के समय कुटिया का सजीव चित्रण कलाकारों ने प्रस्तुत किया। भारत माता की झांकी में युवाओं ने देशभक्ति गीतों पर प्रस्तुति दी। महर्षि वाल्मीकि की भी सुंदर झांकी निकाली गई।

रामायण का सहज चित्रण

शोभायात्र में झांकियों के बीच महर्षि वाल्मीकि द्वारा रामायण का चित्रण बेहद सहज और आकर्षक भाव से प्रस्तुत किया जा रहा था। शोभायात्र भैसाली मैदान से महताब सिनेमा, घंटाघर, वैली बाजार आदि मार्गो से होते हुए शताब्दीनगर माधवकुंज पहुंची। वाल्मीकि युवा शक्ति दल के अध्यक्ष रजनीश टोंक के नेतृत्व में युवाओं ने रुट की व्यवस्था संभालने में अहम भूमिका निभाई।

राम ने दिया था अंत्योदय का संदेश

मुख्य अतिथि सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महर्षि वाल्मीकि के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब भगवान राम अयोध्या से निकले थे। तब उन्होंने राजा-महाराजा को नहीं, बल्कि पिछड़े लोगों को साथ लिया।

ये रहे मौजूद

पंकज गोयल, पीयूष शास्त्री, बलराज गुप्ता, विनीत विश्नोई, ईश्वर चंद्र कंसल, अर¨वद मारवाड़ी, राजकुमार सोनकर, संजीव गुप्ता, ललित नागदेव, विवेक रस्तोगी, अजय सिंह, प्रवेश त्यागी, अजय गुप्ता व मीडिया प्रभारी अमित शर्मा आदि मौजूद रहे।

काहे उदास जब मन भगवान तेरे साथ रहे

मेरठ, जेएनएन। केंद्रीय आर्य सभा के तत्वावधान में शास्त्रीनगर स्थित रमापुरम पार्क में महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्मदिवस पर बोधोत्सव कार्यक्रम के तीसरे दिन विशेष आयोजन हुआ। आचार्य वागीश्वर शास्त्री, राजेंद्र शास्त्री, दीपक शास्त्री व देव शर्मा ने देवयज्ञ किया। इसमें साम वेद के 100 मंत्रों की विशेष आहुतियां प्रदान की गईं। यज्ञ में यजमान के रुप में राकेश देवी, सुशील कुमार, सुनीता देवी, वेद प्रकाश, उर्मिला, विश्वबंधु व सोमपाल गोस्वामी मौजूद रहे। बिजनौर से पहुंचे आर्य जगत के प्रसिद्ध भजन उपदेशक पं. योगेश दत्त ने गाया कि काहे होता उदास जब मन भगवन तेरे साथ रहे। मुंबई से पहुंचे डा. सोमदेव ने अपने ओजस्वी उदबोधन में दयानंद सरस्वती के द्वारा स्थापित आर्य समाज की चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन र¨वद्र सिंह व अध्यक्षता ज्ञानमुनि वानप्रस्थ ने की। कार्यक्रम में केंद्रीय आर्य सभा के अध्यक्ष डा. आरपी सिंह, राजेश सेठी, सुनील आर्य, मनवीर सिंह, धर्मवीर शर्मा, राम सिंह जाखड़, धर्मेद्र, सत्यपाल सिंह, आनंद प्रकाश, महावीर सिंह, गंगाराम सिंह, अर¨वद कुमार, प्रीति सेठी, अपर्णा, प्रेमलता मक्कड़ व कैलाश सोनी मौजूद रहे।

वरना कुछ न रह जाए शिकवा तकदीर से

बोधोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रम ग्राम कुनकुरा में संपन्न हुआ। राजेश सेठी ने कहा कि आर्य का अर्थ ही श्रेष्ठ व पुरुषार्थी है। भजनोपदेशक पं. योगेश दत्त ने ‘जीवन को सफल बनाले तदवीर से, वरना कुछ न रह जाए शिकवा तकदीर से’ सुनाकर पुरुषार्थ के महत्व पर बल दिया। मुख्य अतिथि डा. सोमदेव ने कहा कि भगवान राम व कृष्ण को अपने जीवन में आत्मसात करे, यही उनकी वास्तविक पूजा है। जयभगवान, धर्मवीर व रुकम सिंह ने सहयोग किया। 


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