सामाजिक रूढि़यों का मुखर विरोध करती हैं होमवती की रचनाएं
मेरठ की महान रचनाकार के जन्मदिवस पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
मेरठ,जेएनएन। पश्चिम उत्तर प्रदेश की महादेवी कही जाने वाली होमवती देवी के जन्मदिवस पर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिदी विभाग में गोष्ठी हुई। 20 नवंबर 1902 में जन्मी होमवती का विवाह मेरठ के डा. चिरंजीलाल से हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद ही पति का निधन हो गया था। एक विधवा महिला के जीवन की दुश्वारियां और वेदना उनकी रचनाओं में झलकती है।
विवि के कला संकाय और हिदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि होमवती सामाजिक रूढि़यों के खिलाफ आवाज उठाने के साथ आजादी की लड़ाई के लिए भी समाज में चेतना जगा रही थीं। एनएएस कालेज की डा. ललिता यादव ने कहा कि ऐसे समय में जब महिलाओं को उच्च शिक्षा के अवसर कम थे और सामाजिक बंधन का सामना करना पड़ता था, उस समय होमवती देवी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से पितृ सत्तात्मक व्यवस्था पर प्रहार किया था। प्रोफेसर जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि कथा सम्राट प्रेमचंद के समय में एक दर्जन महिलाएं साहित्य सृजन कर रही थीं। स्त्री दर्पण पत्रिका निकल रही थी। ऐसी रचनाकारों की रचनाएं संजोने की पहल होनी चाहिए। डा. प्रज्ञा पाठक ने कहा कि प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह के भाषण से होमवती देवी पर शोध की प्रेरणा मिली थी। मेरठ में महान साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय के सहयोग से उन्होंने हिदी साहित्य परिषद की स्थापना की थी। 1951 में उनके निधन के बाद अज्ञेय ने उनकी स्मृति में एक ग्रंथ का प्रकाशन किया था।
विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला कथाकारों में शुमार
वेद प्रकाश वटुक ने कहा कि 1970 से 75 के बीच न्यूयार्क की अंग्रेजी पुस्तक में विश्व की सर्वश्रेष्ठ महिला कथाकारों की कहानियों का संग्रह प्रकाशित हुआ था। भारत से उसमें केवल होमवती और कमला चौधरी की रचनाएं प्रकाशित हुई थीं। सौभाग्य की बात है कि दोनों मेरठ की थीं। डा. रवींद्र कुमार, डा. विद्यासगर सिंह, डा. प्रवीण कटारिया, डा. यज्ञेश कुमार, योगेंद्र कुमार आदि मौजूद रहे।