शहर को अभी झेलनी होगी कूड़े की दुर्गध, लटकी निगम की योजनाएं
शहर की 20 लाख जनता को अभी कूड़े की दुर्गध झेलनी पड़ेगी। कूड़ा निस्तारण प्लांट शुरू होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है।
मेरठ । शहर की 20 लाख जनता को अभी कूड़े की दुर्गध झेलनी पड़ेगी। कूड़ा निस्तारण प्लांट शुरू होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं है। मंगतपुरम में कूड़े का निस्तारण कर पार्क बनाने की योजना हो या फिर गांवड़ी में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाकर बिजली बनाने की योजना..। एक भी परवान नहीं चढ़ सकी। कंपोस्टिंग यूनिटों के जरिए खाद बनाने के दावे हों या फिर प्लाज्मा तकनीक से कूड़ा निस्तारण की कवायद..। ये सभी योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। गर्मी शुरू हो गई है। कूड़े की दुर्गध से शहर की हवा दूषित हो रही है। साथ ही बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
शहर के बीच कूड़े का 'पहाड़'
दिल्ली रोड पर होटल मुकुट महल के पीछे मंगतपुरम में कूड़े का पहाड़ 40 साल पुराना है। लाखों टन कूड़ा यहां पर डंप है। इलाहाबाद हाई कोर्ट और एनजीटी में यह मामला जाने के बाद नगर निगम प्रशासन ने प्रस्ताव तैयार किया था कि कूड़े का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से करेंगे। इसके साथ इसे खूबसूरत स्थान में बदलने के लिए पार्क, सिटी फारेस्ट तैयार करेंगे। यह प्रस्ताव हाई कोर्ट में रखने के बाद भी आज तक कुछ नहीं हुआ है। साल गुजर गया, लेकिन प्रस्ताव पर एक इंच भी कार्य नहीं हुआ। कूड़ा आसपास के लोगों के लिए बीमारियों का सबब बना हुआ है।
गांवड़ी में प्लांट लगाने पर फंसा पेंच
नगर निगम प्रशासन ने गांवड़ी में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने की कवायद तेज की थी। पहले सोलापुर की कंपनी को फाइनल किया गया। फिर शासन स्तर से आइएलएंडएफएस कंपनी को चयनित कर लिया गया। नतीजा सोलापुर की कंपनी हाई कोर्ट चली गई। याचिका पर हाई कोर्ट ने कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने पर फिलहाल रोक लगा दी है। शासन से एक कंपनी तय होने के बाद दूसरी कंपनी चयनित करने का कारण सहित जवाब तलब किया है। सुनवाई 16 अप्रैल को होनी है। नगर निगम ने दावा किया था कि गांवड़ी में कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाकर बिजली बनाई जाएगी, लेकिन ऐसा पेंच फंसा है कि जिससे निपटना आसान नहीं है।
एनओसी में उलझी प्लाज्मा तकनीक
कुछ दिन पहले ही नगर निगम ने प्लाज्मा तकनीक आधारित एक मशीन खरीदी थी। दावा किया कि प्लाज्मा तकनीक के जरिए यह मशीन 200 किलो कूड़े को राख बनाकर 20 किलो में तब्दील क र देगी। मशीन को कंकरखेड़ा में स्थापित कर ट्रायल किया गया। एक दिन मशीन चलाई भी गई, लेकिन नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो मामला पर्यावरण व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी न होने पर फंस गया। नतीजा ट्रायल रोक दिया गया है। सप्लाई करने वाली कंपनी से दोनों विभागों से एनओसी मांगी गई है। इससे वार्ड वार कूड़ा निस्तारण की तैयारियों को झटका लगा है।
कंपोस्टिंग यूनिटें भी नहीं दे सकीं राहत
नगर निगम प्रशासन ने स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर बढ़ाने के लिए शहर में कई तरह की कंपोस्टिंग शुरू कराई। स्वयंसेवी संस्थाओं को जोड़कर जैविक, व्यक्तिगत कंपोस्टिंग यूनिटें शुरू की गई। करीब 60 स्थानों पर जैविक और 100 स्थानों पर व्यक्तिगत कंपोस्टिंग के दावे रहे। किचन से निकलने वाले कूड़े से लेकर पार्क में जमा होने वाली पत्तियों के कचरे से खाद बनाने के दावे भी किए गए। कई बड़े संस्थानों में भी यह यूनिटें शुरू की गई, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों को ही नहीं पता है कि कंपोस्टिंग यूनिटों से खाद कितनी बनी। यह भी नहीं बता पा रहे हैं कि शहर में कितने कूड़े का निस्तारण इसके जरिए हुआ। यह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई है। वर्जन:--
कूड़ा निस्तारण बड़ी चुनौती है। गांवड़ी में प्लांट का मामला हाई कोर्ट में लंबित है। शासन ने अब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना के तहत वार्ड वार कूड़ा निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। शहर में बड़ी मात्रा में कूड़ा उत्पन्न करने वालों को अब खुद कूड़ा निस्तारण करना होगा, जो कूड़ा बचेगा उसे नगर निगम निस्तारित करेगा। यह योजना जुलाई तक पूरे शहर में अमल में लानी है।
अमित कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त