प्रवासी कामगारों के हुजूम में उमड़ा बेबसी का कारवां, आक्रोश देखकर सहम गए थे बच्चे और महिलाएं Saharnpur News
सहारनपुर में प्रवासी ने जल्द से जल्द घर भेजने के लिए हंगामा जब खड़ा किया तो प्रवासीयों के बच्चे और महिलाए सहम सी गई कि कहीं कोई बडी घटना न हो जाए।
सहारनपुर, [बृजमोहन मोगा]। रविवार की सुबह का आगाज कामगारों के हंगामे से हुआ। लाचारी जब आक्रोश बनी तो कदमों ने डेरे की लक्ष्मण रेखा लांघ डाली। रास्ते में पेड़ों से डंडे तोड़े तो आक्रोश भी फूटता हुआ चला। बेबसी में तपकर पत्थर बने कामगार अब अपना भय खो चुके थे। पुलिस बल भी उनके इरादों के सामने बेबस नजर आया। अफसरों की बातें अब उनका भरोसा नहीं जीत पा रही थीं।
अंबाला हाईवे पर जिस तरफ देखों कामगार ही कामगार नजर आ रहे थे। इन सभी की अपनी-अपनी दर्दभरी दास्तां थी। कोई गोद में दुधमुंहे बच्चे को लेकर पैदल बिहार जाने की जिद कर रहा था, तो कोई सिर पर अपने वजन से कई गुना भारी गठरी लादकर। सभी को अतिशीघ्र घर पहुंचने की बेताबी थी। सुबह का समय होने के कारण अस्थाई फल व सब्जी मंडी में व्यापारियों की अच्छी खासी भीड़ थी। प्रवासी कामगारों की भीड़ मंडी के आसपास पहुंची तो हर कोई सहम गया, कहीं ये भीड़ उत्पात न मचा दे। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। प्रवासियों के लिए बसों की व्यवस्था कराने के बाद हालात सामान्य होते चले गए।
राधा स्वामी सत्संग व्यास मेजर सेंटर पिलखनी आश्रय स्थल से प्रवासी सुबह सात बजे अपने बच्चों व सामान के साथ डेरे से बाहर आ गए और पैदल बिहार के सहारनपुर की ओर कूच कर दिया। करीब साढ़े सात बजे पीएनटी सेंटर के आसपास डीएम-एसएसपी ने इन्हें रोककर बात की। सभी बसों से घर भेजने की बात पर अड़ गए। साढ़े आठ बजे कमिश्नर संजय कुमार, डीआइजी उपेंद्र कुमार अग्रवाल पहुंचे। डीआइजी ने बिहार के कामगारों से उन्हीं की भाषा में बात कर समझाने की कोशिश की। इसके बाद मामला शांत होता चला गया। हालांकि अंबाला हाईवे पर जाम लग गया। तब बसें मंगाकर उन्हें बिहार बार्डर तक भेजने की व्यवस्था की गई। सुबह करीब पौने दस बजे से शाम तक यह क्रम जारी रहा।
इनका दर्द सुनिए
बिहार के गोपालगंज निवासी वकील, कमलेश कुमार व विजय का कहना था कि ट्रेन के लिए उनके रजिस्ट्रेशन 14 मई को हो गए थे, अभी जा नहीं सके। सिवान के सुजीत कुमार अपनी 11 साल की बेटी के साथ लुधियाना से डेरे पर पहुंचे थे। आनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया था, वह निरस्त हो गया। इनका कहना था कि यदि छपरा और सिवान के लोगों को एक ही ट्रेन में भेज दिया जाए तो उन्हें दिक्कत नहीं है, परंतु रजिस्ट्रेशन अभी तक नहीं हुआ। मोतीहारी की पार्वती अपने दो बच्चों के साथ डेरे पर ठहरी है, उसका कहना है कि उन्हें कई दिन हो गए, परंतु उन्हें भेजा नहीं जा रहा। ये सभी प्रवासी कामगार बिहार की नीतिश सरकार को भी इसके लिए दोषी मान रहे हैं कि वह व्यवस्था नहीं करते तो ना करें हम पैदल ही घर चले जाएंगे।