पढ़ाई में 'फेल', छात्रवृत्ति में 'खेल'..अब नहीं चलेगा
केवल छात्रवृत्ति के लिए पढ़ाई करने वाले छात्रों और प्रवेश देने वाले कालेजों की अब खैर नहीं है। ऐसे कालेज और छात्रों की मुश्किल बढ़ने वाली हैं।
मेरठ, जेएनएन। केवल छात्रवृत्ति के लिए पढ़ाई करने वाले छात्रों और प्रवेश देने वाले कालेजों की अब खैर नहीं है। ऐसे कालेज और छात्रों की मुश्किल बढ़ने वाली हैं। सभी तकनीकी कालेज, डिग्री कालेज, मैनेजमेंट कालेज, पालीटेक्निक आदि ऐसे छात्रों की तलाश करने में जुटे हैं, जिन्होंने छात्रवृत्ति लेकर पहले साल पढ़ाई की और बाद में पढ़ाई छोड़ दी। इन छात्रों से छात्रव़ृत्ति वापस कर समाज कल्याण विभाग के खाते में जमा कराने को कहा गया है।
तकनीकी और मैनेजमेंट कालेजों में सबसे अधिक छात्र छात्रवृत्ति लेकर प्रवेश लेते हैं। कुछ कालेज भी केवल पहले साल तक छात्र के प्रवेश को लेकर गंभीर रहते हैं। फिर शासन से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति मिलने के बाद कालेजों को कोई चिता नहीं रहती है। छात्र से इसके लिए कालेज करार भी कर लेते हैं। इस तरह के छात्र दूसरे साल में फेल होने के बाद कालेज छोड़ देते हैं।
शासनादेश से बढ़ी कालेजों की चिता
छात्रवृत्ति को लेकर इस साल जो शासनादेश आया है, उससे कालेजों की नींद उड़ गई है। यह शासनादेश जून 2017 का है। जिसे अब कालेजों को सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है। इसके तहत यदि छात्र दो सेमेस्टर की परीक्षा या वार्षिक परीक्षा में सभी विषयों में गैरहाजिर रहता है। या फिर परीक्षा देने के बाद भी सभी विषयों में शून्य अंक पाता है, तो ऐसे छात्र या छात्रा छात्रवृत्ति के लिए अयोग्य माने जाएंगे। ऐसे छात्रों को अगर छात्रवृत्ति दी गई है, तो उसे कालेजों को वापस करनी होगी। साथ ही छात्र अगर आनलाइन आवेदन करके छात्रवृत्ति ली है और पढ़ाई छोड़ दी है। तो ऐसे छात्रों से कालेज को पूरी धनराशि वापस कर विभाग को वापस करना होगा।
तीन सत्र की होगी वसूली
जिला समाज कल्याण अधिकारी ने कालेजों को जो पत्र जारी किया है। उसमें सत्र 2017-18, 2018-19, 2019-20 में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले या सभी विषय में शून्य अंक पाने वाले छात्रों की सूची बनाने को कहा गया है। जिनसे छात्रों से दी गई छात्रवृत्ति का बैंक ड्राफ्ट बनाकर वापस किया जाएगा। ऐसे में बहुत से छात्रों की कालेज अब तलाश कर रहे हैं। छात्रों से फीस वापसी कालेजों को भारी पड़ने लगी है।