स्कूल में बच्चे पढ़ाएं या जानवर खदेड़ें
परिसर में गंदे पानी में घूमते जानवर। एक छोर पर पूरे मोहल्ले का दुर्गध मारता कूड़ा।
मेरठ : परिसर में गंदे पानी में घूमते जानवर। एक छोर पर पूरे मोहल्ले का दुर्गध मारता कूड़ा। इनके बीच पढ़ते नौनिहाल। यह हालात मुल्ताननगर के प्राथमिक विद्यालय की हैं। स्वच्छता मिशन के दौर में विद्यालय प्रांगण में जानवरों की धमाचौकड़ी सिस्टम के लिए बड़ा सवाल है। शिक्षक की विवशता ये है कि वे बच्चों को पढ़ाएं या फिर दिनभर जानवर खदेड़ें।
मुलतान नगर के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक से पांच तक कुल 118 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल किराये की जर्जर बिल्डिंग में चलता है। स्कूल तक जाने के लिए पक्की सड़क तक नहीं है। शिक्षक पेड़ के नीचे बच्चों को बैठाकर पढ़ाने को मजबूर हैं। परिसर में ही मोहल्ले का कूड़ा डंप होता है, जिसकी वजह से बच्चे अक्सर बीमार हो जाते हैं। गंदगी के इस आलम में जानवरों ने बसेरा बना लिया हैं, जो घूमते हुए कभी भी बच्चों के बीच पहुंच जाते हैं। तीन शिक्षिकाओं में से एक छड़ी लेकर जानवरों को खदेड़ती ही रहती हैं। विद्यालय की शिक्षिका ने कहा कि हम चाहते हैं कि बच्चे अच्छे माहौल में पढ़ें। कई बार बेसिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है। विद्यालय शिफ्ट कराने की बात कही जा रही है।
शौचालय भी नहीं
देश में घर-घर शौचालय बनवाने का अभियान चल रहा है, लेकिन विद्यालय में शौचालय तक नहीं है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसकी जरूरत तक नहीं समझी।
कीचड़ में हैंडपंप
बच्चों को साफ-सुथरा रहने के लिए कहा जाता है, पर यहां बच्चे हैंडपंप पर पानी पीने जाते हैं तो वह कीचड़ से सन जाते हैं। क्योंकि यहां पक्का रैम्प तक नहीं है। इन्होंने कहा--
विद्यालय को शिफ्ट करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। परिसर में साफ-सफाई रखने के निर्देश हैं। समस्या है तो उसे दूर कराया जाएगा।
सत्येंद्र कुमार, बीएसए