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मेरठ में दस साल बाद वलयाकार दिखा सूर्य

मेरठ में 10 साल बाद रविवार को सूर्य वलयकार दिखा। साल के सबसे बड़े सूर्य ग्रहण को देखने के लिए मेरठ के सुशांत सिटी में विशेष प्रबंध किया गया। खगोल में रुचि लेने वाले बच्चे और बड़े नजारे को देखकर रोमांचित हुए। विज्ञान के जानकार मानते हैं कि सूर्य ग्रहण से निकलने वाले विकिरण का प्रभाव मौसम और धरती की सतह पर पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 10:00 AM (IST)
मेरठ में दस साल बाद वलयाकार दिखा सूर्य
मेरठ में दस साल बाद वलयाकार दिखा सूर्य

मेरठ, जेएनएन। मेरठ में 10 साल बाद रविवार को सूर्य वलयकार दिखा। साल के सबसे बड़े सूर्य ग्रहण को देखने के लिए मेरठ के सुशांत सिटी में विशेष प्रबंध किया गया। खगोल में रुचि लेने वाले बच्चे और बड़े नजारे को देखकर रोमांचित हुए। विज्ञान के जानकार मानते हैं कि सूर्य ग्रहण से निकलने वाले विकिरण का प्रभाव मौसम और धरती की सतह पर पड़ता है।

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प्रगति विज्ञान संस्था के सचिव दीपक शर्मा के मुताबिक पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा तीनों एक सीध में रहते हैं तो ग्रहण होता है। जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ कर सूर्य को ढक लेता तो सूर्य ग्रहण होता है। सूर्य ग्रहण से पहले और बाद में तापमान में सबसे अधिक बढ़ोतरी होती है। दिन में अंधेरा होने से जीव जंतुओं के व्यवहार में भी बदलाव होता है। खुद बनाए उपकरण से देखा ग्रहण

ग्रहण देखने के लिए दीपक शर्मा और बाल वैज्ञानिकों ने खुद ही उपकरण बनाए। इसमें बॉल मिरर प्रोजेक्टर, बैनाकुलरस्कोप, फिल्टर लगा टेलीस्कोप, सोलर चश्मे, सोलर स्कोप, कैमरे पर सोलर फिल्म लगाकर सूर्यग्रहण को देखा गया। संस्था के सदस्यों ने सूर्य ग्रहण के दौरान तापमान भी ज्ञात किया। ग्रहण देखकर बोले छात्र-छात्राएं

पहले ग्रहण लगता था तो बाबा कहते थे कि बाहर मत निकलना। स्वजन भी घर में ही रहने की सलाह देते थे। अब ग्रहण देखकर जाना है कि यह एक खगोलीय घटना है। सूर्य को एक घेरे में देखना रोमांचक है।

-कार्तिकेय शर्मा, छात्र 12वीं, जानीखुर्द

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सूर्य और चंद्र ग्रहण देखना अपने आप में उत्साहित करने वाला है। इसमें अंधविश्वास जैसी कोई चीज नहीं है। हां ग्रहण देखते समय अपनी आंखों का ध्यान रखना चाहिए। सीधे आंख से ग्रहण नहीं देखना चाहिए।

-यश कर्दम, छात्र नौवीं, केवी पंजाब लाइंस

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ग्रहण के बारे में बचपन से सुनते आए थे, अब इसे पहली बार लाइव देखा। पहले माना जाता था कि ग्रहण में खाना खराब हो जाता था। इसका कारण कुछ और था। मैं इसे धार्मिक नहीं एक खगोलीय घटना मानती हूं। सभी को इसे देखना चाहिए। मैं खुद सूर्य के वलय को देखकर रोमांचित हुई।

-सिमरन, छात्रा बीएससी, शहीद मंगल पांडेय डिग्री कॉलेज

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जैसे-जैसे तकनीक बढ़ रही है, अंधविश्वास की जगह विज्ञान आगे बढ़ रहा है। सूर्य ग्रहण की अपनी एक धार्मिक मान्यता है, लेकिन 10 साल बाद इस तरह से स्पष्ट सूर्य ग्रहण देखने को मिला। यह यादगार रहेगा।

-खिरद जहरा जैदी, छात्रा 12वीं, आरजी कॉलेज

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बड़े बोले..

ग्रहण देखने को लेकर पहले कोई सोचता नहीं था। लोग बुर्जुगों की बात सुनकर बाहर नहीं निकलते थे। इस दौरान पूजा पाठ होता था। इतने साल में मैंने पहली बार सूर्य ग्रहण अपनी आंखों से देखा।

-सुरेंद्र कुमार, माधवपुरम

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पहले टीवी पर ग्रहण देखा था। रविवार को पहली बार सुशांत सिटी में टेलीस्कोप अैर सोलर स्कोप से सूर्य ग्रहण को देखा। यह रोमांचित करने वाला रहा।

- आकाश, सुशांत सिटी


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