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हजारों की भीड़ में भी पकड़ा जाएगा आत्मघाती हमलावर

आरवीसी ने तैयार किया निस्टेंप डिटेक्शन डॉग जो आत्मघाती हमलों को शिकस्त देने में पूरी तरह दक्ष है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 01:23 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 01:23 PM (IST)
हजारों की भीड़ में भी पकड़ा जाएगा आत्मघाती हमलावर

मेरठ (अमित तिवारी)। हजारों की भीड़ में आत्मघाती हमलावर के जरिए किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति को निशाना बनाना आतंकियों की सफल तकनीक मानी जाती है। इस तरह के हमलों को शिकस्त देने के लिए मेरठ, उप्र स्थित रिमाउंट वेटनरी कोर सेंटर एंड कॉलेज (आरवीसी) ने निस्टेंप डिटेक्शन डॉग (एनटीडी) तैयार किए हैं। इस काम में निपुण इसे दुनिया का सबसे दक्ष और अपनी किस्म का पहला श्वान बताया गया है।

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निस्टेंप यानी नॉन इंट्रूसिव सिस्टेमेटिक ट्रैकिंग ऑफ एक्सप्लोसिव एंड नार्कोटिक प्लूम विधा में दक्ष यह श्वान हजारों की भीड़ में भी विस्फोटक से लैस व्यक्ति तक पलक झपकते ही पहुंच सकता है। निस्टेंप डिटेक्शन डॉग वेपर प्रेशर प्लूम यानी हवा में व्याप्त विस्फोटक की गंध को बड़ी निपुणता से पकड़ता है। किसी भी विस्फोटक में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की अलग-अलग गंध को यह श्वान नैनोग्राम यानी अतिसूक्ष्म मात्रा में भी पकड़ लेता है। जिस रास्ते से विस्फोटक गुजरता है, वहा-वहा गंध हवा में मौजूद रहती है। धीरे-धीरे गंध का दायरा बढ़ता रहता है।

आरवीसी के एक श्वान प्रशिक्षक के अनुसार निस्टेंप प्रोजेक्ट में लेब्राडोर प्रजाति के श्वानों को शामिल किया गया है। इनमें विशेष नेतृत्व क्षमता होती है। आम तौर पर हैंडलर श्वानों को पकड़कर चलते हैं। इस दौरान हर व्यक्ति की अलग-अलग (सूंघ कर) तलाशी ली जाती है। लेकिन ये श्वान जवानों की अगुवाई करते हैं। ये खुद आगे चलते हुए विस्फोटक तक पहुंच जाते हैं। संदिग्ध के भागने पर यह श्वान उस पर हमला नहीं करता है बल्कि सामने जाकर उस व्यक्ति को रोकता है। सर्च ऑपरेशन के दौरान यह न तो डरता है और ना ही डराने से भागता है। यदि विस्फोटक किसी वाहन में रखा गया है तो यह वहा भी पूरी तरह अपना लक्ष्य हासिल करने में सक्षम है।

आइडिया एंड इनोवेशन में दूसरा स्थान :

पिछले साल आर्मी आइडिया एंड इनोवेशन प्रतियोगिता में आरवीसी की ओर से निस्टेंप डिटेक्शन डॉग को पहली बार सामने लाया गया। देश भर की आर्मी यूनिटों के इनोवेशन प्रोग्राम के खुले वर्ग में निस्टेंप उपविजेता रहा। इस प्रतियोगिता की शर्त यह है कि इसमें वही आइडिया और इनोवेशन (नवोन्मेष) पेश किए जा सकते हैं, जो दुनिया में कहीं इस्तेमाल नहीं हुए हों। आरवीसी में यह श्वान फिलहाल रिसर्च एंड डेवलपमेंट स्तर पर है।

सुरक्षित होंगे ये स्थान :

इस श्वान का इस्तेमाल बड़े बिजनेस सेंटर, इंडो-पाक एवं इंडो-चीन ट्रेड सेंटर, एयरपोर्ट, शॉपिंग मॉल, सिनेमा हॉल, रेलवे स्टेशन जैसे भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर किया जा सकता है। इससे नशे के कारोबार पर भी अंकुश लगाने में मदद मिलेगी।


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