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गेहूं की रोटी खाने से बढ़ रहे हैं पेट के रोगी

गेहूं की रोटी हमें सेहतमंद बनाने की जगह बीमार कर रही है। गेहूं में ग्लूटेन प्रोटीन के कारण विश्व में बहुत से लोग पेट के रोगी हो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 04:00 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 06:11 AM (IST)
गेहूं की रोटी खाने से बढ़ रहे हैं पेट के रोगी
गेहूं की रोटी खाने से बढ़ रहे हैं पेट के रोगी

मेरठ, जेएनएन : गेहूं की रोटी हमें सेहतमंद बनाने की जगह बीमार कर रही है। गेहूं में ग्लूटेन प्रोटीन के कारण विश्व में बहुत से लोग पेट के रोगी हो रहे हैं। जबकि गेहूं लाखों लोगों के खाद्यान के लिए महत्वपूर्ण है। यह बात जेनेटिक एंड प्लाट ब्रीडिंग विभाग में आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के शुभारंभ के दौरान मुख्य वक्ता पदम भूषण से सम्मानित और वैज्ञानिक चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन प्रो. आरबी सिंह ने कही।

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस प्रेक्षागृह में आयोजित सेमिनार में प्रो. सिंह ने कहा कि गेहूं विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए लगभग 20 प्रतिशत आहार कैलोरी की पूर्ति करता है। चीन के बाद भारत गेहूं का दूसरा विशालतम उत्पादक है। वैज्ञानिकों को गेहूं की नई प्रजातियों की खोज करनी चाहिए। जिससे लोग पेट की बीमारियों से बच सकें। विशिष्ठ अतिथि और भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सह संयोजक दिनेश उपाध्याय ने हर्बल गार्डन और हर्बल पौधों के लगाने पर जोर दिया। कनाडा से आए वैज्ञानिक रॉन एमडी पॉव ने कहा कि गेहूं की 69 प्रजाति और छह टिटिकैल प्रजाति का आविष्कार किया है। जीनस में बदलाव करके अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। गेहूं की नई प्रजातियों की रिसर्च में भारत का विशेष स्थान है। कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि गेहूं से मनुष्य को 20 प्रतिशत कैलोरी मिलती है। वैज्ञानिकों को गेहूं की नई प्रजाति की खोज करने का प्रयास करना चाहिए। प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला और प्रो. पीके शर्मा ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। इस मौके पर डीएसडब्ल्यू प्रो. जितेंद्र कुमार ढाका और प्रो. पीके गुप्ता भी उपस्थित रहे।

सीसीएसयू से करार

सेमिनार में विश्वविद्यालय के कुलपति ने आइआइएमआर लुधियाना, सीएसएसआइ करनाल, बैंकाक यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों से करार पत्र पर भी हस्ताक्षर किया। इससे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं और फैकल्टी को इन संस्थानों में रिसर्च और अध्ययन करने का मौका मिलेगा।

तकनीकी सत्र में शोध पत्र पढ़

सेमिनार में दो तकनीकी सत्र हुए। इसमें एके सिंह, जारोसलव डोलेजल, कुलविंद्र सिंह, प्रबोध त्रिवेदी, समीर सावंत ने अपने विचार रखे। डा. दर्शन लाल अरोड़ा, फूल सिंह, महेश राठौड़, अरुण वशिष्ठ, प्रो. बीरपाल सिंह, प्रो. जयमाला, प्रो. एके चौबे, प्रो. हरेंद्र सिंह, प्रो. रूप नारायण आदि लोग उपस्थित रहे।


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