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प्रदेश बजट : मेरठ को खुश होने के लिए कुछ खास नहीं Meerut News

मेरठ को जो भी प्रदेश सरकार की तरफ से बजट में मिला है वह पहले से ही केंद्र सरकार के बजट में तय था। लेकिन सवाल यह है कि प्रदेश के बजट में इसके अलावा मेरठ को और क्‍या दिया गया है।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 04:14 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 04:14 PM (IST)
प्रदेश बजट : मेरठ को खुश होने के लिए कुछ खास नहीं Meerut News

मेरठ, जेएएन। प्रदेश के बजट में मेरठ को क्या मिला और उसकी किन उम्मीदों पर पानी फिरा, यह सभी में चर्चा का विषय है। यूं तो मेरठ की बहुत सी मांगें थीं और उसकी जरूरत भी थी, लेकिन बजट में उनकी अनदेखी की गई। स्वाभाविक है कि इसके लिए सीधी अंगुली भाजपा के जनप्रतिनिधियों पर उठती है कि वे उस मांग पर भी मुहर नहीं लगवा पाए, जिसका जिक्र खुद मुख्यमंत्री किया करते थे। आइए देखते हैं कि मेरठ को क्या मिला और क्या नहीं।

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रैपिड रेल प्रोजेक्ट को तो धन मिलना ही था

रैपिड परियोजना के लिए सरकार ने 900 करोड़ रुपये दिए हैं। इसके लिए पिछले दो बजट में भी धन दे चुकी है। केंद्र भी तीन बजट में धनराशि दे चुकी है। इसके लिए बजट तो हर सरकार को देना है चाहे पार्टी कोई भी हो, क्योंकि इसके लिए समझौते पर हस्ताक्षर हैं। समझौता हस्ताक्षर के तहत ही एशियन डवलपमेंट बैंक भी ऋण दे रहा है। ऐसे में इस परियोजना के लिए धन मिलना तय ही था।

इनर रिंग रोड के लिए 170 करोड़, लेकिन खुश न हों

शहर के लोगों को भ्रमित किया गया है कि इनर रिंग रोड के लिए 170 करोड़ रुपये मिल गए हैं, जबकि हकीकत में इतनी ही धनराशि का प्रावधान रखा है और इसी धनराशि में पूरे प्रदेश में वितरण होगा। बजट में कहा गया है कि इस धनराशि से शहरों के बाईपास, इनर रिंगरोड, चौराहों के फ्लाईओवर बनाए जाएंगे। अब इतनी सीमित धनराशि में मेरठ को कुछ मिलेगा भी या नहीं, इसकी जानकारी अभी किसी को नहीं है। अगर मिलेगा भी तो कितना मिलेगा, यह भी कोई नहीं जानता। अगर पूरी धनराशि भी मिल जाए तो भी इससे इनर रिंगरोड नहीं बन पाएगी, क्योंकि मेरठ के 10 किमी के पहले चरण के इनर रिंगरोड पर 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

जो योगी की जुबान पर था वह भी नहीं मिला

मुख्यमंत्री जब भी मेरठ आए, उन्होंने हवाई उड़ान शुरू करने की बात की। ब्राउरा होटल में जब कार्यक्रम था, तब मुख्यमंत्री ने खुद खेल विवि का प्रस्ताव लिया था और इसके लिए सहमति दी थी। पिछले दो बजट में मेरठ का नाम ले चुके थे और भाषणों में अक्सर कहा करते थे कि मेरठ में मेट्रो शुरू करनी है।

अस्पताल के लिए जमीन नहीं

प्रदेश सरकार ने मेरठ को क्या दिया, यह इस बजट से स्पष्ट है। सरकार ने उस 100 बेड के ईएसआइ अस्पताल को जमीन खरीदने के लिए भी धन नहीं दिया, जो महीनों पहले भारत सरकार की ओर से स्वीकृत हो चुका था। ऐसा अस्पताल, जिसके लिए मरीज सहारनपुर चक्कर काटते हैं और उसके लिए उद्यमियों से लेकर सांसद तक ने मुख्यमंत्री से गुहार लगाई हो, वह भी हाशिए पर रहा।


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