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विशेष सचिव ने किया स्कूलों का निरीक्षण, मिली गंदगी और कमजोर पढ़ाई

यूपी बोर्ड के विशेष सचिव ने आज मेरठ के प्रधानाचार्यों से मुलाकात की और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों के बारे में जानकारी ली। उन्‍होंने स्‍कूलों का निरीक्षण भी किया।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 06 Oct 2018 03:47 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2018 03:47 PM (IST)
विशेष सचिव ने किया स्कूलों का निरीक्षण, मिली गंदगी और कमजोर पढ़ाई

मेरठ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से 10वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बोर्ड परीक्षा को लेकर शासन भी इस बार काफी सजग है। इस कड़ी में पहली बार विभिन्न अधिकारियों को जिलों के निरीक्षण के लिए भेजा जा रहा है। शनिवार को विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा चंद्र विजय सिंह ने मेरठ में स्कूलों का निरीक्षण किया और कुछ स्कूल प्रधानाचार्यों से विशेष तौर पर मुलाकात की। प्रधानाचार्य से उन्होंने बोर्ड परीक्षा की तैयारियों का जायजा लेने के साथ ही परिषद की ओर से जारी दिशा-निर्देशों से संबंधित मंतव्य लिया। उन्होंने प्रधानाचार्यों की समस्याएं सुनी और उसे परिषद और शासन तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

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स्कूलों में मिलीं कमियां

स्कूलों में निरीक्षण के दौरान उन्हें काफी कमियां भी देखने को मिलीं। इनमें स्कूलों में शिक्षकों व छात्रों की संख्या में कमी, बच्चों से पढ़ाई के बारे में पूछने पर अधूरी तैयारी, बिल्डिंग ठीक न होना, चारदीवारी टूटी होना, स्कूल परिसर में सफाई न होना आदि कमियां देखने को मिली हैं। साथ ही कुछ स्कूलों में खेलकूद की अच्छी व्यवस्था पर खुशी जताई। उन्होंने खेल को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों को प्रोत्साहित भी किया।

बैठक में सुनीं समस्याएं

डीएन इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य के साथ बैठक में उन्होंने सभी से बोर्ड परीक्षा के लिए दिए गए दिशा-निर्देश के बारे में पूछा। प्रधानाचार्य ने विशेष सचिव को बताया कि पिछले साल कमरों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे को बदलकर इस साल साउंड रिकॉर्डर वाले सीसीटीवी कैमरे लगाना उनके लिए और अधिक आर्थिक बोझ वाला निर्देश है। प्रधानाचार्य ने बताया कि पूरा सिस्टम बदलने में पिछले साल की तुलना में इस साल और अधिक खर्च लगेगा जिसके लिए हर स्कूल प्रबंधन तैयार नहीं हो रहा है।

कैमरे लगवाने का सुझाव

सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने सभी राजकीय विद्यालयों में कैमरे लगवाकर अधिक से अधिक बच्चों की परीक्षा वहां कराने का भी सुझाव दिया। इसके अलावा प्रधानाचार्य ने विशेष सचिव के समक्ष कुछ मांगे भी रखी। इनमें बेसिक शिक्षा में पहली से आठवीं कक्षा तक संचालित विद्यालयों में सामान्य खर्च के लिए विभाग से धनराशि आवंटित है। इसी तरह कक्षा एक से आठ या छह से आठ तक की कक्षाएं माध्यमिक स्कूलों में भी संचालित हैं। प्रधानाचार्यों ने इसके लिए भी विभाग से धनराशि मुहैया कराने की मांग की है क्योंकि फीस माध्यमिक स्कूलों में भी नहीं ली जाती और खर्च उतना ही आता है। साथ ही एक से आठ तक की किताबें समय से भेजी जाएं।

स्कूलों में हो कौशल विकास

माध्यमिक स्कूलों के प्रधानाचार्य ने विशेष सचिव माध्यमिक शिक्षा को एक महत्वपूर्ण सुझाव भी दिया है। इनका कहना है कि भारत सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास योजना को माध्यमिक स्कूलों में संचालित कराया जाना चाहिए। माध्यमिक स्कूलों में पहले से संसाधन व्याप्त हैं और इस तरह की योजना से स्कूल के बच्चों को अधिक लाभ मिलेगा। स्कूल परिसर में ही उनकी पढ़ाई और ट्रेनिंग दोनों हो जाएगी। विशेष तौर पर कौशल विकास योजना को उन्होंने व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने की मांग की जिसका लाभ सीधे तौर पर बालक बालिकाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण में मिल सकता है।


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