Hindi Diwas 2021 : साहित्य से भरी है युवाओं की लाइब्रेरी, जानिए-कौनसी किताबें सबसे ज्यादा पढ़ी जा रही
Hindi Diwas 2021 मेरठ के युवा भी हिंदी साहित्य में विशेष रूचि रखते हैं। युवा पीढ़ी पुराना हिंदी साहित्य और चेतन भगत से लेकर अमीश तक की हिंदी में अनुवाद की गई सभी किताबों में दिलचस्पी ले रही है। मेरठ में साहित्य का अच्छा कलेक्शन है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Hindi Diwas 2021अंग्रेजी साहित्य के पाठकों के मुकाबले हिंदी साहित्य के पाठकों की संख्या किसी भी मायने में कम नहीं है। आज हिंदी साहित्य की भी वही मांग है, जो अंग्रेजी साहित्य की है। तभी तो अंग्रेजी भाषा में लिखी गई किताबों को हिंदी पाठकों तक पहुंचाने के लिए उनका तेजी से हिंदी में अनुवाद किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों में अंग्रेजी भाषा में लिखी गई लगभग हर लेखक की किताब को हिंदी बाजार में उतारा गया है। इन्हें पाठकों ने हाथों हाथ लिया भी है। कुछ ऐसे उदाहरण भी देखने को मिले हैं, जब हिंदी में अनुवाद की गई किताबों की बिक्री अंग्रेजी किताब से अधिक हुई है।
किताबों में दिलचस्पी
हिंदी दिवस पर यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हिंदी साहित्य हमेशा की ही तरह आज भी समसामयिक और प्रासंगिक बना हुआ है। तभी तो युवा पीढ़ी पुराना हिंदी साहित्य और चेतन भगत से लेकर अमीश तक की हिंदी में अनुवाद की गई सभी किताबों में दिलचस्पी ले रही है। पुस्तक विक्रेताओं का कहना है कि पुराने साहित्य में आज भी फणीश्वर नाथ रेणु की मैला आंचल, कमलेश्वर की कितने पाकिस्तान, श्रीलाल शुक्ल की राग दरबारी और भीष्म साहनी की तमस की बिक्री सबसे अधिक है। इन कालजयी रचनाओं को हर उम्र के लोग पसंद करते हैं।
सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली किताबें
- ट्वेल्थ फेल : अनुराग पाठक
- सुहेलदेव : अमीश
- पिशाच : संजीव पालीवाल
- बोलना ही है : रवीश कुमार
- औघड़ : निलोत्पल मृणाल
- दैनिक जीवन में मनोविज्ञान : विनय मिश्रा
- एटीट्यूड इज एवरीथिंग : जेफ केलर
- कृष्ण कुंजी : अश्विन सांघी
- द इंटेलिजेंट इंवेस्टर : बेंजामिन ग्राहम
- वन अरेंज्ड मैरिज मर्डर : चेतन भगत
इनका कहना है
हिंदी साहित्य के प्रति युवाओं का नजरिया काफी बदला है। हिंदी में अनुवाद की गई किताबों के कुछ खास लेखक हैं। इनके साहित्य का हर उम्र के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। हालांकि इन दिनों बच्चों की किताबों की मांग में कमी आई है।
- तुषार नागिया, बुक कार्नर, आबूलेन
पाठक नए और पुराने दोनों ही तरह के हिंदी साहित्य को पसंद करते हैं। फिर चाहे वह मुंशी प्रेमचंद हों या फिर जयशंकर प्रसाद की किताबें। नए साहित्य में फिक्शन की अधिक मांग है। हालांकि धाॢमक पुस्तकों की मांग भी इन दिनों बढ़ी है।
- राजीव चोपड़ा, मेरठ बुक सेंटर, गढ़ रोड
युवा पीढ़ी साहित्य पढऩे के साथ ही अब पुस्तकों को सहेजना भी सीख गई है। एक छोटी लाइब्रेरी युवाओं के रूम में आसानी से मिल जाएगी। युवा किताबों के माध्यम से अपनी संस्कृति को जानना चाहते हैं। यही कारण है कि धर्म और अध्यात्म से जुड़ी किताबों की मांग बढ़ी है।
- रामकुमार शर्मा, निंबस छिपी टैंक रोड
अपनी हिंदी का सौंदर्य बढ़ाइए
मेरठ : यह हिंदी प्रदेश है। हमारी बोलचाल से लेकर लिखने, पढऩे में हिंदी की अधिकता है। हमारा परिवेश भी हिंदी है। ऐसे में हमारे आसपास हिंदी की बिंदी बिगडऩी नहीं चाहिए। इसके बाद भी कई सरकारी विभागों के बोर्ड और वेबसाइट पर हिंदी गलत तरीके से लिखी दिख जाएगी। नई शिक्षा नीति में अपनी भाषा पर महत्व दिया गया है। जिसकी जिम्मेदारी शिक्षण संस्थानों की है। ऐसे में चौ. चरण सिंह विवि की वेबसाइट पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सूचनाएं जिस विंडो में हैं, वहां शिक्षा-नीति की जगह -निति लिखा है। वहीं, परिसर में प्रशासनिक भवन के पास राष्ट्रीय सेवा योजना के लिए जो नोटिस बोर्ड लगा है। उसमें स्वयं जैसे शब्द पर य की जगह व पर बिंदी लगी है। बोर्ड पर व्यक्तित्व, सामाजिक, समस्याओं जैसे शब्द भी सही से नहीं लिखे गए हैं।
हिंदी हैं हम- किताबों के इंतजार में है हिंदी भवन
मेरठ: जब हिंदी की बात होती है तो शहर में पुरुषोत्तम दास टंडन हिंदी भवन की वर्तमान तस्वीर हिंदी प्रेमियों को विचलित करती रहती है। हिंदी साहित्य के किताबों के भंडार से भरा यह स्थल पिछले कई साल से भैंसों का तबेला बना हुआ है। हिंदी भवन को अपने पुराने स्वरूप को लाने के लिए हिंदी भवन समिति के पदाधिकारी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह कोशिश अभी कागजों से बाहर नहीं निकल पाई है। हिंदी भवन में हिंदी के हर लेखक की किताबें पहले थीं, जो अब पदाधिकारियों के घर और अन्य संस्थानों में रखी गईं हैं। हिंदी भवन को उसके स्थल पर स्थापित करने के लिए योजना बनी है। जहां 400 से अधिक लोगों के बैठने की व्यवस्था रहेगी, लोग यहां बैठकर हिंदी की चर्चा कर सकेंगे। हिंदी भवन कब अपने स्वरूप को प्राप्त करेगी, इसका इंतजार है। हिंदी भवन समिति के मंत्री दिनेश चंद्र जैन का कहना है कि हिंदी भवन का नक्शा एमडीए के पास है। इसके लिए प्रयास हो रहा है।