बंगले की पार्टी में डांस, हंसमुखलाल की हंसी गायब हुई Meerut News
इस बाजार को देखकर समझना मुश्किल है कि पहाड़ (पुलिस) तले ऊंट (बाजार) है कि ऊंट (बाजार) तले पहाड़ (पुलिस)। पढ़िए विशेष कॉलम।
मेरठ, [सुशील कुमार]। बीच शहर में एक बाजार है जनाब जहां पूरी की पूरी साबुत गाड़ी ही पल भर में कट पिटकर हवा हो जाती है। कुछ सम्मानित लोग इसे शहर की शक्ल पर बदनुमा दाग बताते तो हैं हालांकि दर हकीकत यही है कि यह बाजार बरसों बरस पहले से आबाद है, गुलजार है। आप पूछ सकते हैं कि आखिर इस अंधेरगर्दी को पुलिस रोकती क्यों नहीं। रोकती है जनाब, वक्त-बेवक्त अभियान चलता है लेकिन ..फिर सब कुछ थम जाता है। दिन, दो दिन के लिए बाजार में सन्नाटा पसरता जरूर है लेकिन फिर लौट आती है रौनक। किसी फिल्म का एक डायलाग है कि पुलिस अगर चाह ले तो मंदिर के बाहर से कोई चप्पल चुराने का भी हौसला नहीं कर सकता। हालांकि यहां बात वही है ..पुलिस चाह तो ले। इस बाजार को देखकर समझना मुश्किल है कि पहाड़ (पुलिस) तले ऊंट (बाजार) है कि ऊंट (बाजार) तले पहाड़ (पुलिस)।
हंसमुखलाल की हंसी गायब हुई
ये हैं हंसमुखलाल, अपनी दबंगई के किस्से सुनाकर सबको हंसाते रहते हैं। हाल में उनकी दबंगई के पीछे खौफ छिपा नजर आया। आजकल बेचारे परेशान जो चल रहे हैं, हिंसा का पूरा भार जो उनके कंधों पर आ गया। हिंसा में हर जगह हंसमुख लाल की उपस्थिति दिखा दी गई। स्क्रिप्ट कुछ यूं शुरू हुई। हिंसा में एक मौत हो गई। हंसमुख लाल मौके पर पहुंचे, शव को उठाया। फिर मौत हुई, हंसमुख लाल पहुंचे और शव पोस्टमार्टम को भेजा। अब हंसमुख लाल फंस गए। बोले, हर शव उठाने सिर्फ मैं ही जाऊंगा, जनपद में और अफसर भी तो हैं। इस तरह से अधीनस्थ को डांट चुके मगर उनकी सुनता कौन है। सबके तार जो सीधे हाईकमान से जुड़े हैं। बेचारे का इस समय बुरा हाल है, अब तो खाना खाने का मन भी नहीं करता। इन दिनों हंसमुख लाल के चेहरे की हंसी मानो गायब सी हो गई है।
दवा की तरह गुड एंट्री
खाकी में इन दिनों गुड एंट्री काफी मशहूर है। यह बेचारी हर कागज पर जो चिपक जाती है। बंदूकबाज गुड एंट्री देने में कोई गुरेज नहीं कर रहे है। हिंसा की घटना के बाद हर पुलिसकर्मी अपने बचाव की जुगत में है पर गुड एंट्री है, जो उसका साहस बढ़ा रही है। उस गुड एंट्री की विपक्ष के खेमे में भी चर्चा हुई है। यह सिर्फ हिंसा में ही हर खाकीवाले के लिए दवा का काम नहीं कर रही है, बल्कि दूसरी घटनाओं में भी रामबाण साबित हो रही है। बात एक मुठभेड़ की करें, जिसने पूरे जनपद में धरना प्रदर्शन करा दिया था। उसे लेकर थाना प्रभारी थर-थर कांप रहे थे। गुड एंट्री मिली तो थाना प्रभारी की कंपकपी बंद हो गई। अब खाकी वाले इस गुड एंट्री से भी बंदूकबाज का मूड भांपने लगे हैं। यानी गुड एंट्री मिली तो कुर्सी सुरक्षित हो गई, वरना खतरा बरकरार है।
बंगले की पार्टी में डांस
कमांड हाउस की पार्टियां तो वैसे भी हमेशा चर्चा में रहती हैं लेकिन यह पार्टी कुछ खास ही थी। ..क्योंकि मेजबान बंदूकबाज थे लिहाजा माइक से इशारा मिलते ही गेटमैन से लेकर अफसरों तक ने पार्टी में रौनक लाने के सारे जतन झोंक दिए। देहाती बाबू ने डांस में प्रभुदेवा को भी पीछे छोड़ा। ठुमके ऐसे लगे कि पार्टी में जान आ गई। यातायात के मुखिया ने गीत गुनगुनाया, भले यातायात को पटरी पर न ला पाए मगर उनकी सुरीली आवाज सभी के दिलों में घर कर गई। पार्टी है तो डीजे भी बजेगा और मदिरा भी छलकेगी। हां, मदिरा की अनुमति थी, मगर डीजे जो देर रात तक बजा उसका क्या? अंदरखाने की बात है कि पार्टी में फुल रौनक थी मगर वीडियो बनाने की हिम्मत किसी ने नहीं दिखाई। पार्टी में जो हुआ वह वहीं तक रह गया। तभी तो कहा है, सैंया भए कोतवाल तब डर काहे का।