लॉकडाउन में मिला सोती नदी को जीवनदान Meerut News
कोरोना काल में लॉकडाउन के बीच सोती नदी का जीर्णोद्धार कार्य मील का पत्थर साबित हुआ है।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना काल में लॉकडाउन के बीच सोती नदी का जीर्णोद्धार कार्य मील का पत्थर साबित हुआ। सोती नदी को पुनर्जीवन तो मिला, लेकिन लॉकडाउन से बेरोजगार हुए हजारों प्रवासी अप्रवासी श्रमिकों को रोजगार भी मिला। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को सराहना भी की। लॉकडाउन के बीच जब लाखों कामगार काम न होने पर अपने घरों को वापस लौट रहे थे और बेरोजगारी का दंश झेल रहे थे तब मनरेगा योजना के माध्यम से श्रमिकों को कार्य मिला। इससे इस महामारी के बीच उनके परिवारों का पालन पोषण हो सका। बीडीओ शैलेंद्र ¨सह ने बताया कि लॉकडाउन में मनरेगा के श्रमिकों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ। ब्लाक में पूर्व में 25 सौ सक्रिय मनरेगा श्रमिक थे, उनकी संख्या बढ़कर लगभग छह हजार पहुंच गई है। प्रदेश के सीएम द्वारा नदी, तालाबों व पोखरों के पुनर्उद्धार के लिए प्रयास किए जा रहे है। जिससे कि हमारी आने वाली पीढि़यों के लिए जल का संचयन हो सके साथ ही जलस्तर भी पर्याप्त रहे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा ऑनलाइन की गई समीक्षा में सोती पुनरुद्धार की सरहाना की और उसे अन्य के लिए उदाहरण भी बताया। खादर की लाइफ लाइन है सोती नदी सोती नदी खादर क्षेत्र के किसानों के लिए जीवन रेखा का कार्य करती है। इसके अट जाने से यह नदी किसानों के लिए जी का जंजाल बन गई थी। बरसात के मौसम में जैसे ही पानी बढ़ता था यह नदी ओवरफ्लो होकर किसानों के खेतों की ओर रुख कर लेती थी। इससे फसलों के नष्ट होने का भय बना रहता था। नदी के जीर्णोद्धार से खादर क्षेत्र के लिए यह नदी फिर से लाइफ लाइन बन गई। बरसात में दिखा सफाई का असर सोती नदी की सफाई का असर बरसात में देखने को मिला। बरसात में खेतों में ओवरफ्लो होने वाले पानी को अपने साथ बहाकर ले गया। जिससे हजारों हेक्टेअर फसल जलमग्न होने से बच गई।