शोभापुर के जातीय टकराव को लेकर तीसरी हत्या!
एनएच-58 के किनारे डाबका गांव के निकट शनिवार सुबह गेहूं के खेत में मिला अधजला शव शोभापुर के मोनू गुर्जर का था। रविवार शाम परिजनों ने मर्चरी पहुंच कर उसकी शिनाख्त कर ली। वह होली के दिन से लापता था।
मेरठ। एनएच-58 के किनारे डाबका गांव के निकट शनिवार सुबह गेहूं के खेत में मिला अधजला शव शोभापुर के मोनू गुर्जर का था। रविवार शाम परिजनों ने मर्चरी पहुंच कर उसकी शिनाख्त कर ली। वह होली के दिन से लापता था। परिजन उसे रिश्तेदारी में तलाश कर रहे थे। माना जा रहा है कि यह हत्या भी शोभापुर के जातीय टकराव के कारण की गई है।
डाबका निवासी वेदप्रकाश के एनएच-58 के किनारे गेहूं के खेत में शनिवार सुबह करीब 25 वर्षीय युवक का अधजला शव पड़ा मिला था। तब उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई थी। रविवार को परिजनों को शव के बारे में पता चला तो उन्होंने मर्चरी जाकर उसकी शिनाख्त मोनू गुर्जर पुत्र मांगेराम पहलवान के रूप में की। परिजनों के मुताबिक मोनू गांव के ही अनुसूचित जाति के युवक ईशु पुत्र जनेश्वर के साथ होली के दिन घर से गया था। इसके बाद वापस नहीं लौटा। पुलिस ने ईशु के पिता जनेश्वर को हिरासत में ले लिया है, जबकि ईशु हत्थे नहीं चढ़ा। सीओ जितेंद्र कुमार और इंस्पेक्टर एपी मिश्र फोर्स लेकर शोभापुर पहुंचे। समाचार लिखे जाने तक परिजनों ने तहरीर नहीं दी थी।
एक वर्ष से जातीय टकराव की आंच में तप रहा शोभापुर
शोभापुर गांव पिछले करीब एक वर्ष से गुर्जर और अनुसूचित जाति के लोगों के बीच जातीय टकराव की आंच में झुलस रहा है। बीते वर्ष दो अप्रैल को भारत बंद के दौरान हुए बवाल के बाद चार अप्रैल को गोपी पारिया की गोलियां बरसा कर हत्या कर दी गई थी। इसमें कई लोग जेल गए थे। मोनू का चाचा मनोज गुर्जर अभी भी इस मामले में जेल में है। इस हत्याकांड का बदला लेने को 15 दिसंबर को आशीष गुर्जर की हत्या कर दी गई थी। माना जा रहा है कि मोनू गुर्जर की हत्या भी इसी जातीय टकराव के चलते की गई है।
पुलिस-प्रशासन की शांति की अपील रही बेअसर
शोभापुर के हालात सामान्य करने और दोनों पक्षों के लोगों के बीच आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी दो बार शांति समिति की बैठक कर चुके हैं। इसमें खून-खराबे का रास्ता छोड़कर भाईचारा बढ़ाने पर बल दिया गया था, मगर वह अपील काम नहीं आई।
चार भाइयों में सबसे बड़ा था मोनू
मोनू अपने माता-पिता के चार पुत्रों में सबसे बड़ा था। उससे छोटे प्रिस, कृष्ण और गौरी हैं। मोनू की शिनाख्त होते ही परिजनों में कोहराम मच गया। सभी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मोनू खेतीबाड़ी और पशुपालन में परिवार का हाथ बंटाता था।